कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और पार्टी की राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी ने मंगलवार को संसद में नेशनल लाइवलीहुड मिशन के साथ ही आंगनबाड़ी, आशा कार्यकत्रियों का मुद्दा उठाया. सोनिया गांधी ने राज्यसभा में जीरो ऑवर के दौरान कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण की राह में ये इनिशिएटिव लिए गए थे. सार्वजनिक सेवाओं की डिलीवरी में भी इनका बड़ा योगदान है.
उन्होंने यह डिमांड भी की है कि इन कर्मचारियों को वेतन समय से दिया जाए. इन योजनाओं में केंद्र सरकार का योगदान दोगुना कर दिया जाए. सोनिया गांधी ने यह मांग भी की है कि गांवों में आबादी के लिहाज से अतिरिक्त आशा वर्कर्स की तैनाती की जाए. आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की संख्या दोगुनी की जाए. उन्होंने कहा कि इस वर्कफोर्स पर निवेश देश की मजबूती और भविष्य के लिहाज से जरूरी है.
इसी दौरान ऐसा भी हुआ कि सोनिया गांधी अभी बोल रही थीं और सभापति सीपी राधाकृष्णन ने दूसरे वक्ता का नाम ले लिया. सोनिया गांधी ने अभी अपनी बात पूरी नहीं की थी और सभापति ने बीजेपी सांसद डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेयी का नाम ले लिया. डॉक्टर वाजपेयी ने बोलना भी शुरू कर दिया. सभापति ने फिर लक्ष्मीकांत वाजपेयी को रोका और सोनिया गांधी से अपनी बात पूरी करने के लिए कहा.
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इससे पहले, उन्होंने कहा कि इन महिला कर्मचारियों पर काम का बोझ बहुत अधिक है. सोनिया गांधी ने कहा कि देशभर में आशा वर्कर्स के पास इम्युनाइजेशन, मोबिलाइजेशन, मैटर्नल हेल्थ और परिवार कल्याण की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि आशा वर्कर्स अब तक वॉलंटियर्स ही बनी हुई हैं. इनके मानदेय और सोशल सिक्योरिटी भी कम है.
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सोनिया गांधी ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का हाल भी कुछ ऐसा ही है. उन्हें 4500 और 2250 रुपये प्रति महीने का मानदेय केंद्र सरकार की ओर से मिलता है. उन्होंने कहा कि अलग-अलग योजनाओं के तहत ऐसी तीन लाख से अधिक महिलाएं कार्यरत हैं, जो लाखों महिलाओं और बच्चों का खयाल रख रही हैं. सोनिया गांधी ने कहा कि बढ़ती आबादी के कारण ये पद भी कम पड़ रहे हैं. केंद्र सरकार को खाली पद भरने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करना चाहिए.