लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की अध्यक्षता में शुक्रवार को कांग्रेस सांसदों की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई. संसद भवन की ऐनेक्सी एक्सटेंशन बिल्डिंग में आयोजित इस बैठक में संसद के शेष शीतकालीन सत्र के लिए रणनीति, विपक्ष की एकजुटता और सरकार को घेरने के मुद्दों पर चर्चा हुई. इस बैठक में कांग्रेस के करीब सभी लोकसभा सांसद मौजूद रहे, लेकिन केरल की तिरुवनंतपुरम सीट से पार्टी के सांसद शशि थरूर की अनुपस्थिति चर्चा का विषय बन गई.
रिपोर्ट्स के अनुसार, शशि थरूर ने अपनी अनुपस्थिति की जानकारी पहले ही पार्टी को दे दी थी. हालांकि, पार्टी के मुख्य सचेतक (चीफ व्हिप) ने कहा कि उन्हें थरूर के मीटिंग में नहीं आने का कारण नहीं पता, जिसके बाद अटकलें और तेज हो गईं. इस बयान ने अटकलों को हवा दी कि क्या यह केवल टाइमिंग का मामला था, या इसके पीछे कोई राजनीतिक खटास या रणनीतिक असहमति छिपी है. कांग्रेस सूत्रों का थरूर की गैरमौजूदगी पर कहना है कि यह सिर्फ 'पूर्व निर्धारित कार्यक्रम' का मामला हो सकता है.
शशि थरूर कांग्रेस के भीतर अपने स्वतंत्र विचारों और स्पष्ट राजनीतिक रुख के लिए जाने जाते हैं. वह अक्सर पार्टी लाइन से अलग जाकर भी अपनी राय रखते हैं, जिसे लेकर उन्हें कांग्रेस के एक हिस्से से समर्थन भी मिलता है और आलोचना भी. ऐसे में उनकी अनुपस्थिति को लेकर स्वाभाविक रूप से कई अटकलें सामने आने लगी हैं. चूंकि बैठक राहुल गांधी की अगुवाई में हुई, इसलिए थरूर का इसमें शामिल नहीं होना बड़ा मुद्दा बन गया है. बता दें कि वह संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से एक दिन पहले, यानी 1 दिसंबर को सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई रणनीतिक बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे.
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शशि थरूर के दफ्तर ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा था कि वह तिरुवनंतपुरम में अपनी बीमार मां का ध्यान रख रहे हैं और स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी में व्यस्त हैं, इसलिए मीटिंग में नहीं पहुंच सके थे. इसके कुछ दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा ‘सैम पित्रोदा विवाद’ और SIR (मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण) मुद्दे पर बुलाई गई बैठक से भी शशि थरूर ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर दूरी बनाई थी. हैरानी की बात यह थी कि ठीक एक दिन पहले वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में मौजूद थे और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उनकी खुलकर तारीफ की थी. थरूर के इस पोस्ट ने कांग्रेस खेमे में खासी नाराजगी पैदा की थी.
शशि थरूर का मोदी सरकार के प्रति बार-बार नरम रुख और पार्टी लाइन से अलग बयानबाजी पहले से ही कांग्रेस के लिए असहजता का कारण बनी हुई है. हाल के महीनों में उन्होंने कई मौकों पर मोदी सरकार की विदेश नीति, अर्थव्यवस्था और कुछ विधेयकों की तारीफ की है, जिसे कांग्रेस पार्टी 'उनका निजी मत' बताती रही है. राहुल गांधी ने शुक्रवार की बैठक में कांग्रेस पार्टी के सभी सांसदों से सदन में आक्रामक और मुद्दा आधारित रणनीति पर एकजुट रहने की अपील की. कांग्रेस नेतृत्व ने जोर दिया कि सरकार की नीतियों, आर्थिक मुद्दों, महंगाई, बेरोजगारी और संस्थानों की स्वतंत्रता जैसे प्रमुख विषयों पर पार्टी को आवाज उठानी है.