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मीटिंग हॉल में अजित के आते ही खड़े हो गए चाचा शरद... सुप्रिया सुले बोलीं- उन्होंने प्रोटोकॉल का पालन किया

अजित पवार और शरद पवार जिला विकास परिषद की बैठक में शामिल होने के लिए पुणे पहुंचे थे. अजित पवार यहां के गार्जियन मिनिस्‍टर हैं. इस नाते वही विकास परिषद बैठक की अध्‍यक्षता कर रहे थे. अजित पवार जैसे ही मीटिंग रूम में पहुंचे वहां पहले से बैठे शरद पवार अपनी कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए.

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अजित पवार/शरद पवार (File Photo)
अजित पवार/शरद पवार (File Photo)

लोकसभा चुनाव के बाद अब महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव की ओर बढ़ रहा है. जोड़-तोड़ और दांव-पेंच जारी है. इसी बीच शनिवार को राज्य में एक दिलचस्‍प घटना देखने को मिली. ये घटना चर्चा का विषय भी बनी हुई है. दरअसल, अजित पवार और शरद पवार जिला विकास परिषद की बैठक में शामिल होने के लिए पुणे पहुंचे थे. अजित पवार यहां के गार्जियन मिनिस्‍टर हैं. इस नाते वही विकास परिषद बैठक की अध्‍यक्षता कर रहे थे. अजित पवार जैसे ही मीटिंग रूम में पहुंचे वहां पहले से बैठे शरद पवार अपनी कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए.

हालांकि, एनसीपी (एसपी) की बारामती सांसद सुप्रिया सुले ने दावा किया कि उनके पिता ने खड़े होकर प्रोटोकॉल का पालन किया, लेकिन जब डिप्टी सीएम ने विकास निधि के वितरण के बारे में सवाल पूछा तो उन्होंने आपत्ति जताई. 83 वर्षीय शरद पवार ने राज्यसभा सदस्य के रूप में यहां जिला योजना और विकास परिषद (डीपीडीसी) की एक बैठक में भाग लिया था. जैसे ही अजित पवार, अंदर आए, शरद पवार अन्य शामिल नेताओं की तरह ही अपने पैरों पर खड़े हो गए.

सुले ने शाम को पिंपरी चिंचवड़ में अपनी पार्टी की रैली में कहा, "वह प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए खड़े हुए और सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए." अजित ने पिछले साल अपने चाचा के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया और महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल होने के लिए NCP को विभाजित कर दिया. रैली में बोलते हुए सुले ने आगे कहा कि शरद पवार ने डीपीडीसी की बैठक के दौरान विकास निधि के तहसीलवार वितरण के बारे में जानकारी मांगी और कलेक्टर ने कहा कि उन्हें आवश्यक जानकारी मिल जाएगी.

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सुले ने दावा किया, लेकिन अजित पवार ने एक सरकारी संकल्प (आदेश) का हवाला दिया और कहा कि सांसद और विधायक इन बैठकों के दौरान फंड वितरण या वोट के बारे में सवाल नहीं पूछ सकते हैं क्योंकि वे केवल आमंत्रित सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि, "हम यही कह रहे हैं, सत्तारूढ़ दल तानाशाही लाना चाहता है और संविधान बदलना चाहता है. मेरे पास वह जीआर है, जिसमें कहा गया है कि आमंत्रित लोग प्रश्न पूछ सकते हैं और डीपीडीसी बैठक में अपने विचार रख सकते हैं हम प्रश्न पूछ सकते हैं."  

सुले ने कहा, सरकार असहमति की आवाज को दबाना चाहती है और फर्जी कहानी फैलाए जाने की बात करना चाहती है, लेकिन एक बीजेपी सांसद ने कहा था कि उनकी पार्टी को लोकसभा में 400 से ज्यादा सीटें मिलने के बाद संविधान बदल दिया जाएगा.

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