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Bihar politics: राहुल गांधी की वो बात जिससे 'INDIA' गठबंधन छोड़ NDA में चले गए नीतीश! जानें-13 जनवरी का वाकया

जिस विपक्षी एकता का नारा कांग्रेस लगा रही थी, वह नारा नीतीश कुमार का ही दिया हुआ था, लेकिन जब इस नारे के साथ जमीन पर उतरने का वक्त आया तो कांग्रेस उसी खास शख्सियत से हाथ धो बैठी. सवाल है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि नीतीश कुमार, राजद ही नहीं, बल्कि इंडिया गठबंधन भी छोड़कर चले गए?

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नीतीश कुमार बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हो चुके हैं (फाइल फोटो)
नीतीश कुमार बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हो चुके हैं (फाइल फोटो)

बिहार की सत्ता फिर से बदल चुकी है. हालांकि सीएम वही हैं नीतीश कुमार. सीएम कुर्सी भी वही, राजभवन और विधानसभा भी वही. तो बदला क्या है? बदले हैं समीकरण, बदली है सत्ता की चाबी, बदल गए हैं दल और बदले हैं सहयोगी. इस बदलाव का नतीजा ये है कि बिहार में 17 महीने पहले हुआ गठबंधन, जिसमें RJD और JDU शामिल थे, वह टूटकर बिखर गया और जो कांग्रेस INDIA ब्लॉक वाली छतरी के नीचे कई दलों के साथ खड़े होकर NDA का विजय रथ रोकने जा रही थी, उसे करारा झटका लगा है. 

नीतीश का जाना कांग्रेस को करारा झटका कैसे? 
करारा झटका इसलिए, क्योंकि जिस विपक्षी एकता का नारा कांग्रेस लगा रही थी, वह नारा नीतीश कुमार का ही दिया हुआ था, लेकिन जब इस नारे के साथ जमीन पर उतरने का वक्त आया तो कांग्रेस उसी खास शख्सियत से हाथ धो बैठी, जो अभी कुछ दिन पहले उन्हीं के साथ बैठकर, सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने की कवायद में बड़ी ही शिद्दत से जुटा हुआ था. ये शख्स कोई और नहीं थे तो नीतीश कुमार, जो नौवीं बार बिहार के सीएम हैं, लेकिन बदले हुए समीकरण के साथ. जिसके विरोध में थे उसके ही साथ. छोड़कर राजद का साथ. 

सवाल है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि नीतीश कुमार, राजद ही नहीं, बल्कि इंडिया गठबंधन भी छोड़कर चले गए?
 
सवाल एक, लेकिन जवाब कई हैं
इस एक यक्ष प्रश्न का कोई एक जवाब नहीं है, लेकिन-लेकिन विश्लेषण किया जाए तो वजहें कई निकल कर आ रही हैं. एक तरफ तो इंडिया गठबंधन में उनकी जगह नहीं बन रही थी. कांग्रेस ने उनका प्लान टेकओवर टाइप कर लिया था. दूसरा- सीट शेयरिंग पर लगातार देरी हो रही थी. तीसरा- RJD के साथ भी कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा था. कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने के बाद दोनों पार्टियों के बीच जो छिपी हुई दरार थी, वह खाई बनकर सामने आ गई.

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इन सब बातों के बीच, जो असल बात सामने आई है वह तो और दिलचस्प है. इस बात के केंद्र में है कांग्रेस और राहुल गांधी की ऐसी बात, जिसके बाद नीतीश ने तय कर लिया कि 'INDIA' में रहना ठीक नहीं और वह 'चल खुसरो घर आपने...' गुनगुनाते हुए वहां से उठ आए. 

सीएम नीतीश कुमार

13 जनवरी 2024 को क्या हुआ था?
तारीख थी 13 जनवरी 2024. मकर संक्रांति से दो दिन पहले की बात. उस दिन इंडिया गठबंधन की बैठक हुई थी. बैठक में क्या हुआ, इस बाबत खबर आई थी कि नीतीश ने विपक्षी गठबंधन में संयोजक पद लेने से इनकार कर दिया है. उस दिन सामने आई खबर के मुताबिक, 'नीतीश कुमार ने कहा कि लालू यादव जी सबसे वरिष्ठ हैं. उन्हें गठबंधन का संयोजक बनाया जाना चाहिए. सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार ने कहा कि कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए गठबंधन का चेयरमैन कांग्रेस के नेता को बनाना चाहिए. मैं संयोजक नहीं बनना चाहता हूं. मैं गठबंधन के बिना पद के लिए काम करूंगा.'

यह भी पढ़िएः 'मुझे नहीं, लालू यादव को बनाएं संयोजक, क्योंकि...', INDIA गठबंधन के प्रस्ताव पर बोले नीतीश

... तो क्या नीतीश पहले ही नाराज थे?
लेकिन, सूत्रों के मुताबिक, उस दिन जो बात सामने आई वह पूरी बात का एक हिस्सा भर है. असल में बात तो और आगे की है. हुआ यूं कि, नीतीश कुमार ने 13 जनवरी को ही तय कर लिया था कि वे अब इंडिया गठबंधन में नहीं रहेंगे. 13 जनवरी को वीडियो कांफ्रेंस से मीटिग हुई थी. नीतीश कुमार सीट शेयरिंग नहीं होने पर पहले से ही नाराज थे. नीतीश का संयोजक के रूप में ऐलान करना था, लेकिन राहुल गांधी ने कहा था कि ममता बनर्जी से सलाह कर बताएंगे. राहुल गांधी की इसी बात से नीतीश ने तय कर लिया था कि अब INDIA ब्लॉक में नहीं रहना है. सामने आया है कि नीतीश ने उसी दिन तय कर लिया था कि रिश्ता तोड़ना है और गुस्से में नीतीश ने कहा था कि 

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'मुझे संयोजक नहीं बनना, लालू को बना दीजिए. '  

...तो लालू यादव को संयोजक बनाने की जो बात सामने आई थी, और कहा गया था कि नीतीश ने ही प्रस्ताव दिया था. यह प्रस्ताव गठबंधन धर्म के नाते या लालू यादव की वरिष्ठता का मान रखते हुए नहीं दिया गया था, बल्कि नीतीश कुमार ने गुस्से में कहा था कि , 'मुझे संयोजक नहीं बनना, लालू को बना दीजिए.' 

नीतीश कुमार

फिर क्या हुआ?
फिर होना क्या था... इसके बाद नीतीश कुमार के एक बेहद करीबी सहयोगी ने वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री से संपर्क साधा. पार्टी नेतृत्व से बातचीत की. इस बातचीत के बाद केंद्रीय मंत्री ने हरी झंडी दिखाई. एक अड़चन और आई कि बिहार के बीजेपी के प्रदेश नेता तैयार नहीं थे. ऐसे में उन्हें दिल्ली बुला कर तैयार किया गया. मान-मनौवल हुई. नीतीश पर दबाव बना रहे इसके लिए उनके खिलाफ मोर्चा खोल चुके सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को उपमुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया गया.

यह तो थी नीतीश कुमार के RJD छोड़कर, INDIA ब्लॉक को धता बताकर एक बार फिर से NDA में जाने की पूरी पटकथा.

अब लगे हाथ कुछ और कारणों पर नजर डाल लेते हैं, जिसके कारण नीतीश नाराज हो रहे थे.

1. सीट शेयरिंग को लेकर देरी
एक तरफ BJP और NDA लोकसभा की तारीखें नजदीक देखते हुए देशभर में चुनावी तैयारी में जुट गईं हैं तो वहीं अभी तक कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल ये तय नहीं कर पाए थे कि आगे करना क्या है? जहां खुद चुनाव आयोग ने भी चुनाव की तैयारियों के लिए कमर कस ली है तो वही INDIA ब्लॉक के दल अभी तक सीट शेयरिंग पर सहमत नहीं हो सके थे. JDU लगातार इस देरी पर सवाल उठा रही थी और नाराज भी हो रही थी. नीतीश कुमार ने तो पहले ही कहा था कि कांग्रेस की वजह से ही INDIA ब्लॉक का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है, क्योंकि पूरी पार्टी विधानसभा चुनावों में व्यस्त है. जेडीयू नेता केसी त्यागी और विजय चौधरी भी लगातार देरी को लेकर कांग्रेस को ही जिम्मेदार मानते हुए बयान दे रहे थे.

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2.  RJD के साथ भी खटपट
खैर, RJD के साथ तो गठबंधन के ठीक बाद से ही ऐसे कयासों की खबर सामने आने लगी थी कि JDU-RJD में कुछ ठीक नहीं चल रहा है. इस ठीक नहीं चलने वाली बात पर केंद्र सरकार के एक ऐलान ने मुहर लगा दी. हुआ यूं कि गणतंत्र दिवस से पहले देश के चार शीर्ष पुरस्कारों का ऐलान किया जाता है. केंद्र सरकार ने इसी परंपरा का पालन करते हुए बिहार के पूर्व सीएम और जननायक कर्पूरी ठाकुर के लिए भारत रत्न का ऐलान कर दिया. लिहाज... बिहार की राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई. सीएम नीतीश कुमार ने परिवारवाद को लेकर बिना नाम लिए बयान दे दिया. 

कहा- 'कर्पूरी ठाकुर ने कभी अपने परिवार को आगे नहीं बढ़ाया. आजकल लोग अपने परिवार को बढ़ाते हैं. कर्पूरी ठाकुर के नहीं रहने के बाद उनके बेटे रामनाथ ठाकुर को हमने बनाया. हमने भी कर्पूरीजी से सीखकर परिवार में किसी को नहीं बढ़ाया. हम हमेशा दूसरे को बढ़ाते हैं.'

सीएम नीतीश कुमार

नीतीश कुमार का बयान, RJD में खलबली
नीतीश कुमार के इस बयान से RJD में खलबली मच गई, लेकिन लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने एक कदम आगे बढ़कर नीतीश कुमार पर हमला बोल दिया. रोहिणी आचार्य ने सिलसिलेवार पोस्ट के जरिए निशाना साधते हुए कहा कि, 'समाजवादी पुरोधा होने का करता वही दावा है, हवाओं की तरह बदलती जिनकी विचारधारा है. एक अन्य पोस्ट में रोहिणी ने कविता की तरह लाइनों में लिखा- खीज जताए क्या होगा, जब हुआ ना कोई अपना योग्य, विधि का विधान कौन टाले, जब खुद की नीयत में ही हो खोट. तीसरे पोस्ट में रोहिणी ने लिखा, अक्सर कुछ लोग नहीं देख पाते हैं अपनी कमियां, लेकिन किसी दूसरे पे कीचड़ उछालने को करते रहते हैं बदतमीजियां. '

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17 महीने पुराने गठबंधन का अंत
इन बातों के बाद ये तय हो गया था कि बिहार की सत्ता में बड़ा बदलाव होने वाला है. 26 जनवरी से शुरू हुआ हलचलों का सिलसिला, 28 जनवरी की शाम नीतीश कुमार के नौवीं बार शपथ ग्रहण के साथ समाप्त हुआ. नीतीश कुमार रविवार को नौंवी बार बिहार के सीएम बन गए. रविवार शाम उन्होंने बिहार के राजभवन में शपथ ली. उनके साथ आठ अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इससे पहले दिन में बिहार के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. इस इस्तीफे के साथ ही बिहार में 17 महीने पुरानी महागठबंधन सरकार का अंत हो गया.

नीतीश फिर सीएम बन गए, अब आगे क्या?
बात यहां आकर खत्म नहीं हुई कि नीतीश सीएम बन गए. सूत्रों के मुताबिक, अगले कुछ और दिन भी बिहार में बड़ी हलचल वाले रहेंगे क्योंकि अभी तो आठ मंत्रियों ने ही शपथ ली है और आगामी दिनों में मंत्रिमंडल विस्तार होना है. सबके पोर्टफोलियो तय होने हैं. सरकार बनाने में जिस तरह जातीय समीकरण का ध्यान रखा गया है. पोर्टफोलियो के बंटवारे में भी यह बात शीर्ष नेतृत्व ध्यान में जरूर रखेगा. नई सरकार में कुर्मी के 2 मंत्री, भूमिहार जाति के 2, राजपूत से एक, यादव जाति से भी एक मंत्री बनाया जा रहा है. इसके अलावा पिछड़ा, अतिपिछड़ा और महादलित से भी एक-एक मंत्री बनाए गए हैं. 

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नई सरकार में जाति समीकरण
नीतीश कुमार खुद कुर्मी समाज से हैं. सम्राट चौधरी कोइरी समाज से हैं और उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया है. विजय कुमार चौधरी को भी मंत्री बनाया गया है. वह भूमिहार जाति से हैं. विजेद्र यादव हैं और प्रेम कुमार कहार जाति से हैं. श्रवण कुमार, कुर्मी समाज से हैं. सुमित सिंह राजपूत हैं और संतोष सुमन मंत्रिमंडल में रहकर महादलित समाज से आते हैं. विजय सिन्हा भूमिहार हैं जिन्होंने रविवार को मंत्री पद की शपथ ली.

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सीएम नीतीश के पास ही रहेगा गृह मंत्रालय!
अगली खबर है कि, अगले कुछ दिनों में मंत्रिपरिषद का विस्तार होगा. मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व के लिए 2020 का ही फार्मूला लागू होगा. मंत्रिपरिषद विस्तार के बाद विभागों का बंटवारा किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक संभव है कि गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास ही रहेगा. लोक सभा चुनाव के लिए भी सीटों के बंटवारे पर चर्चा होनी है. बिहार में अगले कुछ दिनों में ये जरूरी घटनाक्रम होने वाला है. 

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