scorecardresearch
 

सांसदों की अंग्रेजी स्पीच का हिंदी वॉयसओवर में टेलीकास्ट! सुप्रिया सुले ने फिर की रोक लगाने की मांग

शरद पवार की अगुवाई वाली पार्टी की नेता और लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने संसद में सांसदों के अंग्रेजी स्पीच के हिंदी ट्रांसलेशन पर रोक लगाने की मांग की है. उनका कहना है कि यह सांसदों की आवाज को दबाने वाला कदम है. वह पहले भी इस मामले पर सवाल खड़ी कर चुकी हैं.

Advertisement
X
सुप्रिया सुले
सुप्रिया सुले

लोकसभा सांसद और शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी की नेता सुप्रिया सुले ने सांसदों की अंग्रेजी स्पीच के हिंदी वॉयसओवर पर रोक लगाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि टीवी चैनल पर टेलिकास्ट किए जाने वाले सांसदों के अंग्रेजी स्पीच का हिंदी वॉयसओवर बंद किया जाना चाहिए.

सुप्रिया सुले ने एक एक्स पोस्ट में कहा, "संसद टीवी ने इस लोकसभा के पहले सत्र में सांसदों द्वारा अंग्रेजी या क्षेत्रीय भाषाओं में दिए गए भाषणों को हिंदी में वॉयसओवर देने की "खतरनाक" प्रथा शुरू की है, और बजट सत्र में भी ऐसा किया जा रहा है."

यह भी पढ़ें: मीटिंग हॉल में अजित के आते ही खड़े हो गए चाचा शरद... सुप्रिया सुले बोलीं- उन्होंने प्रोटोकॉल का पालन किया

अंग्रेजी से हिंदी ट्रांसलेशन पर तुरंत रोक लगाने की मांग

एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने कहा, "यह एक तरह की सेंसरशिप है. यह करोड़ों गैर-हिंदी भाषी भारतीयों को अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के मूल शब्दों को उनकी अपनी भाषाओं में सुनने के अधिकार से वंचित करता है. सरकार को इस भेदभावपूर्ण और संघीय व्यवस्था विरोधी कदम को तुरंत बंद करना चाहिए."

Advertisement

सुप्रिया सुले ने पहले भी उठाए सवाल

महाराष्ट्र के बारामती से लोकसभा सांसद सुले ने इस मामले पर पहली बार टिप्पणी नहीं की है. उन्होंने पहले भी एक एक्स पोस्ट में कहा था, "यह देखा गया है कि संसद टीवी अब सांसदों के भाषण का अंग्रेजी में हिंदी में अनुवाद कर रहा है, जबकि मूल ऑडियो को म्यूट किया जा रहा है."

यह भी पढ़ें: अजित पवार की पत्नी राज्यसभा के लिए किया नामांकन, सुप्रिया सुले से हारी थीं लोकसभा चुनाव

सुप्रीया सुले ने आगे कहा था, "यह नया अभ्यास बहुत ही समस्याग्रस्त है, क्योंकि यह सांसदों की आवाज को दबाता है, निर्वाचित सदस्यों को उनकी चुनी हुई भाषा में सुनने के अधिकार से वंचित करता है, और निरंकुश है. हम मांग करते हैं कि एनडीए सरकार ऐसी अनैतिक चालों से दूर रहे जो लोकतांत्रिक और संवैधानिक सिद्धांतों को कमजोर करती हैं और भारत के लोगों की आवाज को दबाती हैं."

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement