कोलकाता में ट्रेनी महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या मामले में कमिश्नर विनीत गोयल को पुलिस जांच को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि पुलिस ने दावा किया कि उन्होंने वह सब कुछ किया जो उनसे अपेक्षित था, लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस जांच में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं होने का हवाला देते हुए मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है.
अब विपक्षी दल बीजेपी ने कमिश्नर पर जानबूझकर जांच में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया है. भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया, "यह पूरी तरह संभव है कि ममता बनर्जी के निर्देश पर कोलकाता पुलिस ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बलात्कार और हत्या मामले में सबूत मिटा दिए हों. कोलकाता पुलिस द्वारा शुरुआती कार्रवाई भी बहुत भरोसा नहीं जगाती."
मालवीय ने ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले में दायर याचिकाओं पर कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई का एक वीडियो शेयर किया. वीडियो में, याचिकाकर्ताओं के एक वकील, जो मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे, मामले में कमिश्नर विनीत गोयल की भूमिका पर सवाल उठाते हैं, अतीत में इसी तरह के एक मामले में उनकी संलिप्तता का हवाला देते हैं.
मालवीय ने ट्वीट में आगे आरोप लगाते हुए कहा, "कोलकाता पुलिस के कमिश्नर विनीत कुमार गोयल से मिलिए. सीआईडी के महानिरीक्षक के तौर पर वे बहुचर्चित बलात्कार और हत्या मामले में जांच अधिकारी थे, जिसे उन्होंने पूरी तरह से विफल कर दिया. कामदुनी मामले में पीड़िता के शरीर पर खरोंच के निशान बनाने जैसी ही कार्यप्रणाली आरजी कर मामले में भी अपनाई गई."
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, "संभव है कि विनीत गोयल ने ममता बनर्जी के लिए यह काम पहले ही कर दिया हो और सीबीआई को शायद ज्यादा कुछ न मिल पाए. जो भी थोड़ा-बहुत सबूत बचा था, उसे भीड़ ने कल रात नष्ट कर दिया."
बता दें कि अमित मालवीय 2013 में बारासात जिले के एक गांव में 20 वर्षीय युवती के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या का जिक्र कर रहे थे. इस मामले के दौरान विनीत गोयल राज्य सीआईडी के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) थे.
शीर्ष पुलिस अधिकारी ने पुलिस जांच का बचाव किया
गुरुवार को विनीत गोयल ने पुलिस के खिलाफ सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे अभियान को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा, "यहां जो कुछ हुआ है, वह गलत मीडिया अभियान के कारण हुआ है, जो दुर्भावनापूर्ण है. कोलकाता पुलिस ने क्या नहीं किया है? उसने इस मामले में सब कुछ किया है. हमने परिवार को संतुष्ट करने की कोशिश की है, लेकिन अफवाहें फैलाई जा रही हैं. हमने कुछ भी गलत नहीं किया है."
उन्होंने कहा, "दुर्भावनापूर्ण मीडिया अभियान के कारण कोलकाता पुलिस ने लोगों का विश्वास खो दिया है. हमने कभी नहीं कहा कि केवल एक ही व्यक्ति (आरोपी) है, हमने कहा है कि हम लैब रिपोर्ट्स का इंतजार कर रहे हैं और इसमें समय लगता है. केवल अफवाहों के आधार पर, मैं एक युवा पीजी छात्र को गिरफ्तार नहीं कर सकता, यह मेरी अंतरात्मा के खिलाफ है. मीडिया से बहुत दबाव है, मैं बहुत स्पष्ट रहा हूं कि हमने जो किया वह सही था. अब, सीबीआई इसकी जांच कर रही है. वे निष्पक्ष जांच करेंगे. हम सीबीआई को पूरा समर्थन देंगे."
बता दें कि 12 अगस्त को ममता बनर्जी ने कोलकाता पुलिस को सख्त चेतावनी दी थी कि अगर पुलिस 18 अगस्त रविवार तक मामले को सुलझाने में विफल रही तो मामला सीबीआई को सौंप दिया जाएगा. हालांकि, पीड़िता के माता-पिता द्वारा स्वतंत्र जांच की मांग के बाद मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. अपने आदेश में न्यायालय ने पुलिस की जांच और मामले को शुरू से ही संभालने के तरीके की आलोचना की.
अदालत ने कहा, "एक और पहलू, जो काफी परेशान करने वाला है, वह यह है कि ताला पुलिस स्टेशन में अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया है. यह प्रस्तुत किया गया है कि सामान्य परिस्थितियों में, जब कोई शिकायत नहीं होती है, तो अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया जाता है."
आईपीएस विनीत गोयल कौन हैं?
1994 बैच के आईपीएस अधिकारी विनीत गोयल कोलकाता पुलिस के वर्तमान आयुक्त हैं. उन्हें 1 जनवरी, 2022 को कोलकाता पुलिस के आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था, उन्होंने सौमेन मित्रा की जगह ली थी जो 31 दिसंबर, 2021 को सेवानिवृत्त हुए थे. वे आईआईटी खड़गपुर के पूर्व छात्र हैं और उन्होंने कोलकाता पुलिस और राज्य पुलिस दोनों में विभिन्न प्रमुख पदों पर काम किया है. आयुक्त बनने से पहले, गोयल राज्य पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) थे. उन्होंने डीसीपी (यातायात) सहित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) के रूप में भी काम किया है और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के पद तक पहुंचे हैं.
पिछले महीने केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के कार्यालय की कथित रूप से निंदा करने और प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के लिए गोयल और डिप्टी कमिश्नर (डीसीपी) सेंट्रल इंदिरा मुखर्जी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की थी.