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'भारत-चीन संबंधों के लिए बॉर्डर पर शांति जरूरी...', चीनी विदेश मंत्री के साथ मीटिंग में बोले जयशंकर

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष से कहा कि दोनों देश कठिन दौर से गुजर रहे हैं और उन्हें सहयोगात्मक नजरिए के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है.

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी समकक्ष के साथ की मीटिंग (Photo: PTI)
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी समकक्ष के साथ की मीटिंग (Photo: PTI)

चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) मौजूदा वक्त में भारत दौरे पर हैं. वे 18 और 19 अगस्त के बीच नई दिल्ली में मौजूद रहेंगे. इस दौरान वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ 24वें दौर की बॉर्डर से जुड़ी बातचीत करेंगे.

तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से पहले, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने सोमवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक की और कहा कि भारत-चीन संबंधों में सुधार के लिए सीमा पर शांति जरूरत है. 

जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष से कहा कि दोनों देश कठिन दौर से गुज़रे हैं और उन्हें साफ एवं सहयोगात्मक नजरिए के साथ आगे बढ़ने की ज़रूरत है.

'रचनात्मक नजरिए की जरूरत...'

जयशंकर ने अपनी स्पीच में कहा, "यह बहुत अहम है क्योंकि हमारे संबंधों में किसी भी सकारात्मक गति का आधार सीमावर्ती इलाकों में संयुक्त रूप से शांति और सौहार्द बनाए रखने की क्षमता है."

जयशंकर ने आगे कहा, "इसके लिए दोनों पक्षों की तरफ से एक साफ और रचनात्मक नजरिए की जरूरत है. इस कोशिश में हमें तीन परस्पर सिद्धांतों- आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित के साथ काम करना चाहिए. मतभेद विवाद, प्रतिस्पर्धा और संघर्ष में नहीं बदलने चाहिए.

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जयशंकर ने पश्चिमी हिमालय में विवादित सीमा पर अग्रिम चौकियों से दोनों देशों द्वारा सैनिकों को वापस बुलाने की जरूरत पर भी जोर दिया, जहां 2020 में हुई झड़प के बाद से तनाव बना हुआ है.

यह भी पढ़ें: वांग यी की भारत यात्रा... भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने की दिशा में बड़ा कदम

विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि सभी रूपों में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई दोनों देशों के लिए एक बड़ी प्राथमिकता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि चर्चा से दोनों पक्षों के हितों को पूरा करने वाले एक स्थिर और सहयोगात्मक संबंध बनाने में मदद मिलेगी.

जयशंकर ने मीटिंग के दौरान कहा, "आतंकवाद के सभी रूपों खिलाफ लड़ाई एक और प्राथमिकता है. कुल मिलाकर, उम्मीद है कि हमारी चर्चाएं भारत और चीन के बीच एक स्थिर, सहयोगात्मक और दूरदर्शी संबंध बनाने में योगदान देंगी, जो हमारे हितों की पूर्ति करेगा और हमारी चिंताओं का समाधान करेगा."

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