भारत और पाकिस्तान के बीच स्थिति तनाव पूर्ण बनी हुई है. बीते मंगलवार की रात हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद से बौखलाया पाकिस्तान लगातार भारतीय सीमा पर हमले की कोशिश कर रहा है, लेकिन हर बार उसे मुंह की खानी पड़ रही है. इसी बीच शुक्रवार शाम को हुई MEA की प्रेस ब्रीफिंग में 8 मई से 9 मई के बीच हुई गतिविधियों की जानकारी दी गई, जिसमें सामने आया है कि पाकिस्तान नागरिक विमानों को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहा है.
जबकि ऐसी युद्धक स्थितियों में नागरिकों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए सिविल एयरपोर्ट बंद कर दिए जाते हैं और नागरिक उड़ानों को भी या तो डायवर्ट किया जाता है, या फिर उन्हें भी रद्द किया जाता है.
विदेश मंत्रालय की ओर से शाम साढ़े 5 बजे प्रेस ब्रीफिंग की गई. इस दौरान विदेश सचिव विक्रम मिसरी, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर नई जानकारी दी. कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने एलओसी पर भारी गोलीबारी की. घुसपैठ की कोशिश की गई. तंगधार, उरी और उधरपुर में भारी गोलीबारी हुई. पाकिस्तान की गोलीबारी से नुकसान हुआ है. उन्होंने तस्वीर दिखाते हुए कहा कि भारतीय वायुसेना ने भारी संयम दिखाया है.
पाकिस्तान अपने नागरिकों को बना रहा है ढालः कर्नल सोफिया कुरैशी
कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने अपना हवाई क्षेत्र बंद नहीं किया, बल्कि उसे एक ढाल (shield) की तरह इस्तेमाल किया है. जब यह हमला किया गया, उस समय कराची और लाहौर जैसे बड़े शहरों में पैसेंजर प्लेन उड़ान भर रहे थे, जिससे आम नागरिकों की जान जोखिम में डाली गई. भारतीय सुरक्षाबलों ने इस पूरी कार्रवाई के दौरान संयम बरता और जवाबी हमले को सीमित रखा, ताकि आम नागरिकों को नुकसान न हो. इस रक्षात्मक और संवेदनशील रुख की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना की जा रही है.
सवाल उठता है कि ऐसे तंग माहौल में जब भारत-पाकिस्तान दोनों की जमीन से लेकर आसमान तक तनाव पसरा हुआ है, ऐसे में भी पाकिस्तान आखिर अपने सिविल एयरपोर्ट क्यों बंद नहीं कर रहा है और दूसरा सवाल ये है कि क्या जंग के बीच सिविल एयरपोर्ट बंद करने से संबंधित कोई अंतरराष्ट्रीय नियम है?
पहले प्रश्न का जवाब तो कर्नल सोफिया कुरैशी ने ही MEA की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान दिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने नागरिकों और नागरिक विमानों को ढाल बना रहा है.
हालांकि, जंग के दौरान हवाई अड्डों को बंद करने के पीछे मुख्य कारण सुरक्षा और सैन्य जरूरतें होती हैं. हवाई अड्डे हमलों के लिए आसान टार्गेट हो सकते हैं, इसलिए नागरिकों और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए उन्हें बंद किया जाता है. इसके अलावा, सैन्य अभियानों के लिए भी हवाई अड्डों के इस्तेमाल की जरूरत पड़ती है, जिसके लिए नागरिक उड़ानों को रद्द करना जरूरत हो जाता है. इसकी दो वजहें हैं, एक तो नागरिकों की सुरक्षा और दूसरा सैन्य अभियान को गुप्त बनाए रखने के लिए भी देश की सरकारें ऐसे दिशा-निर्देश जारी करती हैं.
क्या कहता है ICOA का सुरक्षा नियम?
साल 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान यूक्रेन ने अपने सभी हवाई अड्डों को बंद कर दिया था. अब अगर इस बारे में अंतरराष्ट्रीय दिशा निर्देशों को देखें तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, 1944 के शिकागो कन्वेंशन के तहत हर देश को अपने हवाई क्षेत्र पर पूर्ण संप्रभुता दी गई है, जिससे वे युद्ध के दौरान हवाई अड्डों को बंद कर सकते हैं. ICAO का ICAO Annex 17 - Security विमानन सुरक्षा के लिए मानक है, जो अवैध हस्तक्षेप से बचाव के लिए राज्यों को दिशानिर्देश देता है, हालांकि यह खास तौर पर युद्ध के लिए नहीं है.
सुरक्षा चिंताएंः हवाई हमलों से सुरक्षा: हवाई अड्डे सैन्य और रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण लक्ष्य होते हैं. दुश्मन देश इन पर हमला करके सैन्य अभियानों को बाधित करने या नागरिकों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर सकते हैं.
आतंकी खतरों से बचाव: युद्ध के दौरान आतंकी संगठन हवाई अड्डों को निशाना बना सकते हैं. 2024 में हैती के मुख्य अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को गैंग हिंसा के कारण बंद करना पड़ा था, जो सुरक्षा चिंताओं का एक उदाहरण है.
नागरिकों की सुरक्षा: नागरिक उड़ानों को बंद करके यात्रियों और हवाई अड्डे के कर्मचारियों की जानमाल की रक्षा की जाती है, खासकर जब हवाई क्षेत्र में जोखिम बढ़ जाता है.
सैन्य अभियानों के लिए उपयोग: युद्ध के समय नागरिक हवाई अड्डों को अक्सर सैन्य हवाई अड्डों के रूप में उपयोग किया जाता है. साल 2003 में इराक युद्ध के दौरान बगदाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को बंद कर दिया गया था और इसे अमेरिकी सेना ने अपने सैन्य अड्डे के रूप में प्रयोग किया था.
हवाई क्षेत्र पर नियंत्रण: युद्ध के दौरान हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध लगाए जाते हैं ताकि केवल सैन्य विमानों को उड़ान की अनुमति हो. 2025 में भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र को भारतीय उड़ानों के लिए बंद कर दिया था, जिससे कई हवाई अड्डों पर उड़ानें रद्द हुईं हैं.
कूटनीतिक दबाव: युद्ध के दौरान देश अपने हवाई अड्डों को बंद करके अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर दबाव डाल सकते हैं. उदाहरण के लिए, 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद कई यूरोपीय देशों ने रूसी विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया था, जो एक प्रकार का प्रतिबंध था.
संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) युद्ध के दौरान हवाई क्षेत्र के उपयोग पर प्रतिबंध लगा सकती है, विशेष रूप से यदि यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा हो.
प्रत्येक देश का उड्डयन प्राधिकरण, जैसे भारत में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA), युद्ध के दौरान हवाई अड्डों को बंद करने और उड़ानों को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार होता है.
कुल मिलाकर इस मामले को दूरदर्शिता के भी आधार पर देखें तो युद्धक स्थितियों के दौरान हर देश/राज्य जितना हो सके, अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए अधिक से अधिक तैयारी करता है. ऐसे में एयरपोर्ट बंद कर दिए जाते हैं. हालांकि पाकिस्तान, जो कि इस वक्त सिर्फ बौखलाहट में है, वह अपने नागरिकों का ढाल बना रहा है और सिविल एयरपोर्ट को बंद नहीं कर रहा है.