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आम चुनाव से पहले CAA लागू करने की तैयारी में केंद्र सरकार, जानें क्या है कानून, किसे मिलेगी नागरिकता

एक बार फिर इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर CAA लागू होने के बाद किसे नागरिकता मिलेगी और आवेदन की प्रक्रिया क्या होगी. दरअसल, केंद्र सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने कहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले इसे नोटिफाई कर दिया जाएगा.

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CAA
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केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू करने की तैयारी कर ली है. केंद्र के एक सीनियर सरकारी अफसर ने कहा है कि 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव से पहले सीएए को नोटिफाई कर दिया जाएगा. इस बयान के बाद अब एक बार फिर इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर CAA लागू होने के बाद किसे नागरिकता मिलेगी और आवेदन की प्रक्रिया क्या होगी तो आइए आपको बताते हैं कि इस कानून के तहत किसे नागरिकता दी जाएगी.

क्या है नागरिकता संशोधन कानून?

धर्म के आधार पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में सताए गए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म के शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के लिए भारत सरकार इस कानून को लेकर आई है. नागरिकता संशोधन बिल पहली बार 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था. यहां से तो ये पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में अटक गया. बाद में इसे संसदीय समिति के पास भेजा गया. और फिर चुनाव आ गए. दोबारा चुनाव के बाद नई सरकार बनी, इसलिए दिसंबर 2019 में इसे लोकसभा में फिर पेश किया गया. इस बार ये बिल लोकसभा और राज्यसभा, दोनों जगह से पास हो गया. 10 जनवरी 2020 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है. अब इसके लागू होने का इंतजार है.

CAA के तहत किसे मिलेगी नागरिकता?

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नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगा. कानून के मुताबिक, जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले आकर भारत में बस गए थे, उन्हें ही नागरिकता मिलेगी.

CAA के तहत आवेदन की क्या होगी प्रक्रिया

सरकारी अधिकारी के मुताबिक पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है. आवेदकों को वह साल बताना होगा, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था. हालांकि, आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे.

आमतौर पर कैसे मिलती है नागरिकता?

कानूनन भारत की नागरिकता के लिए कम से कम 11 साल तक देश में रहना जरूरी है. लेकिन, नागरिकता संशोधन कानून में इन तीन देशों के गैर-मुस्लिमों को 11 साल की बजाय 6 साल रहने पर ही नागरिकता दे दी जाएगी. बाकी दूसरे देशों के लोगों को 11 साल का वक्त भारत में गुजारना होगा, भले ही फिर वो किसी भी धर्म के हों.

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