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'अगर मेरी समझ कम तो सेना से पूछूंगा चीनी राजदूत से नहीं', विदेश मंत्री ने बिना नाम लिए साधा राहुल गांधी पर निशाना

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राहुल गांधी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि अगर मेरी सोच में कमी है तो मैं अपनी फौज़ या फिर इंटेलिजेंस से बात करूंगा. मैं किसी चीनी एंबेसडर को बुलाकर अपनी खबर के लिए नहीं पूछता.

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राहुल गांधी पर निशाना साधा है
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राहुल गांधी पर निशाना साधा है

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राहुल गांधी पर निशाना साधा है. जयशंकर ने भारत की जमीन पर चीनी सैनिकों के कब्जे से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर वह किसी ज़मीन की बात करते हैं, तो 1962 में चीन ने भारत की जमीन पर कब्ज़ा किया था. जयशंकर ने राहुल गांधी समेत कई विपक्षी दलों पर पलटवार करते हुए कहा कि वे (विपक्ष) आपको ऐसे दिखाएंगे, जैसे ये कल-परसों का वाकया हो. 

विदेश मंत्री ने कहा कि अगर मेरी सोच में कमी है तो मैं अपनी फौज़ या फिर इंटेलिजेंस से बात करूंगा. मैं किसी चीनी एंबेसडर को बुलाकर अपनी खबर के लिए नहीं पूछता. साथ ही कहा कि वह लोगों को क्यों गुमराह कर रहे हैं, चीन के बारे में गलत खबर क्यों फैला रहे हैं. इसका मैं जवाब नहीं दे सकता.

 

विदेश मंत्री ने कहा कि वह राजनेता है, लेकिन कभी-कभी जानबूझकर ऐसी खबर फैलाते हैं, जिसके बारे में वह जानते हैं कि ये सच नहीं हैं. वह अगर जमीन की बात करते हैं तो 1962 में चीन ने जमीन पर कब्जा किया था. लेकिन वह ऐस नहीं बताएंगे, बल्कि ऐसे इम्प्रेशन देंगे कि कल-परसों की बात हो.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ये भी कहा कि सिंधु जल संधि एक तकनीकी मामला है और भविष्य की कार्रवाई भारत और पाकिस्तान के सिंधु आयुक्तों के बीच बातचीत पर निर्भर करेगी. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में जो हो रहा है, उसके बारे में सार्वजनिक रूप से बोलना मेरे लिए सही नहीं होगा. यह एक तकनीकी मामला है, दोनों देश सिंधु जल संधि के बारे में बात करेंगे. हम उसके बाद ही अपने भविष्य के कदमों पर चर्चा कर सकते हैं.

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विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर से जब पूछा गया कि क्या पाकिस्तान हमारे पड़ोसी के रूप में हमारे लिए कोई दायित्व है. इसके जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि यह हमारे लिए एक वास्तविकता है. जीवन में आपके पास वही है जो आपके पास है. जैसे पांडव अपने संबंधियों को नहीं चुन सकते थे, ठीक उसी तरह हम अपने पड़ोसियों को नहीं चुन सकते. स्वाभाविक रूप से, हम सिर्फ ये उम्मीद करते हैं कि उन्हें सद्बुद्धि आए.

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