प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में पूर्व सांसद अतुल राय और माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी से जुड़ी अचल संपत्तियों को अटैच किया है. इलाहाबाद सब-जोनल कार्यालय ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया, जिसमें कुल 4.18 करोड़ रुपये मूल्य की 6 संपत्तियां जब्त की गई हैं.
किन संपत्तियों को अटैच किया गया
ईडी ने प्रिविजनल अटैचमेंट ऑर्डर के तहत नीचे दी गई संपत्तियों को जब्त किया:
ये संपत्तियां स्पेक्ट्रम इन्फ्रासर्विसेज प्रा. लि. (अतुल राय की कंपनी) और जितेन्द्र सपरा के नाम पर हैं.
मामला क्या है?
इस कार्रवाई की जड़ें मऊ ज़िले के दक्षिण टोला थाना में दर्ज एफआईआर में हैं. एफआईआर के अनुसार, मुख्तार अंसारी के प्रभाव में काम करने वाली विकास कंस्ट्रक्शन कंपनी ने रैनी गांव (मऊ) की सरकारी ज़मीन पर अवैध रूप से गोदाम बनवाया और उसे भारतीय खाद्य निगम (FCI) को किराए पर दे दिया। इससे करोड़ों की अवैध कमाई की गई.
कितनी हुई अवैध कमाई?
ईडी की जांच में सामने आया कि FCI से किराया 15.31 करोड़ रुपये आया. NABARD से सब्सिडी 2.25 करोड़ रुपये, पूर्व पार्टनरों से जबरन वसूली से 3.10 करोड़ रुपये और FCI से ट्रांसपोर्ट चार्जेस (अतिफ रजा को) 7.05 करोड़ रुपये की कमाई हुई. यानि कुल काली कमाई 27.72 करोड़ रुपये हुई.
काले धान को कैसे किया गया सफेद?
ईडी की जांच में यह सामने आया कि इस अवैध कमाई को कई फर्जी कंपनियों के जरिए घुमाकर वैध दिखाने की कोशिश की गई.
इन कंपनियों में शामिल हैं: आगाज प्रोजेक्ट एंड इंजीनियरिंग प्रा. लि. और इनीजियो नेटवर्क सॉल्यूशन प्रा. लि. (दोनों कंपनियां मुख्तार अंसारी और उनके सहयोगियों से जुड़ी हैं).
बाद में इन कंपनियों से पैसा ट्रांसफर कुसुमविजन इन्फ्रा प्रा. लि., स्पेक्ट्रम इन्फ्रासर्विसेज प्रा. लि. और कुसुम कंस्ट्रक्शन एंड टेलीकॉम सर्विसेस (तीनों कंपनियां अतुल राय से जुड़ी) में हुआ.
साथ ही, जितेन्द्र सपरा और उनके परिवार के खातों में 1 करोड़ रुपये ट्रांसफर किया गया, जिससे जमीनें खरीदी गईं.
मुख्तार अंसारी पर क्या आरोप हैं?
ईडी के अनुसार, मुख्तार अंसारी के खिलाफ अब तक 49 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, जबरन वसूली, ज़मीन पर कब्ज़ा जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं.
विकास कंस्ट्रक्शन कंपनी मुख्तार अंसारी के प्रभाव में ही चलती थी. कंपनी में उनके जीजा अतिफ रजा की हिस्सेदारी भी 15 प्रतिशत थी.
अब तक की अटैचमेंट कार्रवाई
अब तक ईडी इस केस में कुल 6.40 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच कर चुकी है. जांच अब भी जारी है और ईडी बाकी अवैध संपत्तियों और बैंक खातों की ट्रैकिंग कर रही है. ईडी का कहना है कि जिन कंपनियों और व्यक्तियों के नाम सामने आ रहे हैं, उन पर निगरानी और तेज कर दी गई है.