चीन ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चुनाव की राह में रोड़े अटकाने का मन बना लिया है. तिब्बत के सर्वोच्च धर्मगुरु 14वें दलाई लामा ने जब से ऐलान किया है कि अगले दलाई लामा की घोषणा उनके जीवनकाल में भी हो सकती है, चीन ने तिलमिलाना शुरू कर दिया है. अब भारत सरकार ने भी इस पर चीन को आईना दिखाने की कोशिश की है.
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि दलाई लामा का पद सबसे महत्वपूर्ण होता है. यह पद केवल तिब्बतियों के लिए ही नहीं बल्कि सभी उपासकों के लिए महत्वपूर्ण है. दलाई लामा के उत्तराधिकारी के बारे में फैसला करने का अधिकार सिवाए दलाई लामा के किसी और का नहीं है.
बता दें कि किरेन रिजिजू और लल्लन सिंह भारत सरकार की ओर से धर्मशाला जा रहे हैं. वह वहां दलाई लामा के 90वें जन्मदिवस के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. यह पूर्ण रूप से एक धार्मिक अवसर होगा.
चीन ने क्या कहा था?
चीन का कहना है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को बीजिंग सरकार से मंजूरी लेनी होगी. बिना चीन की सरकार की मंजूरी के उत्तराधिकारी का चयन नहीं होगा.
दलाई लामा के इस ऐलान पर भड़कते हुए चीन ने कहा था कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चुनने के लिए चीन से मंजूरी लेनी होगी. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा था कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन चीन की सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार ही होगा. दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चीन के नियमों और धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करना होगा.
मालूम हो कि दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी के चयन की जिम्मेदारी गादेन फोडरंग ट्रस्ट को सौंपी है. उन्होंने कहा कि अगले दलाई लामा की पहचान और मान्यता की पूरी प्रक्रिया का अधिकारी केवल गादेन फोडरंग ट्र्स्ट को होगा.