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दलाई लामा उत्तराधिकार विवाद: रिजिजू के बयान पर चीन की आपत्ति, MEA बोला- भारत में धार्मिक स्वतंत्रता बरकरार रहेगी

रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने दलाई लामा संस्था की निरंतरता के बारे में परम पावन दलाई लामा द्वारा दिए गए बयान से संबंधित रिपोर्ट देखी हैं. भारत सरकार आस्था और धर्म से जुड़ी मान्यताओं और परंपराओं पर कोई रुख नहीं अपनाती और इस विषय में कोई टिप्पणी नहीं करती.

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दलाई लामा के उत्तराधिकार विवाद पर भारत सरकार ने प्रतिक्रिया दी है
दलाई लामा के उत्तराधिकार विवाद पर भारत सरकार ने प्रतिक्रिया दी है

भारत सरकार ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने उत्तराधिकारी और दलाई लामा संस्था की भविष्य की दिशा को लेकर टिप्पणी की थी. इस संबंध में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आधिकारिक बयान जारी किया है. 

रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने दलाई लामा संस्था की निरंतरता के बारे में परम पावन दलाई लामा द्वारा दिए गए बयान से संबंधित रिपोर्ट देखी हैं. भारत सरकार आस्था और धर्म से जुड़ी मान्यताओं और परंपराओं पर कोई रुख नहीं अपनाती और इस विषय में कोई टिप्पणी नहीं करती. उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार ने हमेशा देश में सभी के लिए धर्म की स्वतंत्रता का समर्थन किया है और आगे भी ऐसा करती रहेगी.

ये भी पढ़ें- दलाई लामा के उत्तराधिकार पर विवाद... 15वीं सदी का इतिहास, कैसे एक मंगोल शासक अल्तान खान की वजह से शुरू हुई थी लामा परंपरा

क्या है भारत का रुख?

दरअसल, दुनियाभर में दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर चर्चा तेज हो गई है. भारत में तिब्बती निर्वासित सरकार और बड़ी संख्या में तिब्बती शरणार्थी समुदाय के होने के बावजूद भारत सरकार ने तटस्थ रवैया अपनाते हुए केवल धार्मिक स्वतंत्रता के सिद्धांत पर जोर दिया है.

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चीन ने जताई थी आपत्ति

इससे पहले चीन ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के उस बयान पर आपत्ति जताई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी की प्रक्रिया उनकी इच्छा अनुसार ही होनी चाहिए. चीन ने भारत से इस पर संवेदनशीलता दिखाने की मांग की थी.

ये भी पढ़ें- 'घरेलू मामलों में हस्तक्षेप...', दलाई लामा के सपोर्ट में बोले रिजिजू तो चीन को लगी मिर्ची, कह दी ये बात

क्या कहा था रिजिजू ने?

रिजिजू ने अपने बयान में कहा था कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी पर फैसला लेने का अधिकार केवल उन्हीं को है. यह न केवल तिब्बतियों बल्कि दुनियाभर में उनके अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है. वहीं, भारत ने इस पूरे प्रकरण में अपने रुख को दोहराते हुए स्पष्ट कर दिया है कि वह धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता और संविधान प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता का पालन करता रहेगा.

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