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कांग्रेस ने फिलिस्तीन पर भारत की नीति को बताया शर्मनाक, जयराम बोले- यह नैतिक कायरता

रविवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने ऐलान किया कि ब्रिटेन अब फिलिस्तीन को आधिकारिक मान्यता देता है. इससे पहले कनाडा और ऑस्ट्रेलिया भी यह कदम उठा चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह राष्ट्रमंडल देशों की एक समन्वित पहल लग रही है.

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जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार भारत की ऐतिहासिक नीति से मुकर रही है.(File Photo: ITG)
जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार भारत की ऐतिहासिक नीति से मुकर रही है.(File Photo: ITG)

ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूके द्वारा फिलिस्तीन को आधिकारिक रूप से मान्यता देने के फैसले के बाद, कांग्रेस ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है. कांग्रेस ने कहा है कि पिछले 20 महीनों से फिलिस्तीन पर भारत की नीति "शर्मनाक और नैतिक कायरता" वाली रही है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि जब यूके, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश फिलिस्तीन को मान्यता दे रहे हैं, तब भारत की चुप्पी समझ से परे है. उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने तो 18 नवंबर 1988 को ही फिलिस्तीन को एक देश के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता दे दी थी.

रमेश की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने फिलिस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता देने की पुष्टि की है. इससे पहले कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी यही फैसला लिया.

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कांग्रेस लगातार उठा रही है सवाल

कांग्रेस ने पिछले महीने भी मोदी सरकार की "इजरायल के अस्वीकार्य कदमों पर पूरी तरह से चुप्पी" की निंदा की थी. इससे पहले, अगस्त में, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इजरायल पर "नरसंहार" का आरोप लगाते हुए, भारत सरकार को इजरायल की कार्रवाई पर "चुप रहने" के लिए लताड़ा था.

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हालांकि, जुलाई में राज्यसभा में विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने एक लिखित जवाब में कहा था कि भारत की फिलिस्तीन नीति लंबे समय से "दो-राष्ट्र समाधान" का समर्थन करती रही है, जिसमें एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फिलिस्तीन राज्य की स्थापना की बात है, जो इजरायल के साथ शांति से रहे.

यह भी पढ़ें: ब्रिटेन समेत इन 3 देशों ने फिलिस्तीन को माना स्वतंत्र राष्ट्र, इजरायल हुआ नाराज

भारत ने 7 अक्टूबर 2023 को हुए आतंकवादी हमलों की कड़ी निंदा की थी और नागरिकों की मौत पर चिंता जताई थी. साथ ही, भारत ने युद्धविराम, बंधकों की रिहाई और बातचीत के जरिए समाधान का आह्वान भी किया था.

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