विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि जब तक सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) का एक भी सदस्य आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहेगा, तब तक भारत सार्क की बैठक नहीं कर सकता है. कनाडा का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि वोट बैंक की मजबूरी के कारण कनाडा खालिस्तानियों का समर्थन कर रहा है.
पाकिस्तान पर परोक्ष हमला करते हुए विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि भारत ऐसी स्थिति को बर्दाश्त नहीं करेगा जहां 'जहां रात में आतंकवाद होता है और दिन में व्यापार होता है.'
कनाड़ा पर निशाना
विदेश मंत्री ने न केवल पाकिस्तान को जमकर सुनाया बल्कि चीन और कनाड़ा को भी खरी-खरी सुनाई. कनाडा को निशाने पर लेते हुए एस जयशंकर ने कहा कि वह वोट बैंक पॉलिटिक्स के चलते खालिस्तानियों को समर्थन कर रहे हैं और इससे हमारे रिश्ते पर काफी असर पड़ा है. विदेश मंत्री ने कहा, 'उनकी प्रतिक्रियाएँ वोट बैंक की मजबूरियों के कारण बाधित हुई हैं. यदि कनाडा में ऐसी गतिविधियां हो रही हैं जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता पर आघात करती हैं, तो हमें जवाब देना होगा. आप देख सकते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में इसका हमारे संबंधों पर कई तरह से प्रभाव पड़ा है.'
पाकिस्तान पर निशाना
पाकिस्तान को लेकर विदेश मंत्री ने कहा, 'हम आतंकवाद को सामान्य नहीं होने दे सकते, हम उसे पाकिस्तान के साथ चर्चा का आधार नहीं बनने दे सकते. जब तक सीमा पार आतंकवाद की नीति खत्म नहीं होती, तब तक सामान्य संबंध बनाना संभव नहीं है. अब समय आ गया है कि मुद्दों की गंभीरता को पहचाना जाए और रात में आतंकवाद और दिन में व्यापार न होने दिया जाए. मुझे नहीं लगता कि इससे देश का भला होगा. विदेश मंत्री ने कहा कि जब तक आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई नहीं होती है तब तक सामान्य रिश्ते रखना मुश्किल है.
चीन को लेकर कही बड़ी बात
चीन का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, 'चीन एक कठिन दौर से गुजर रहा है, यह एक बड़ा पड़ोसी है. उन्होंने चीन के साथ संबंधों पर भी कहा कि बीजिंग के साथ फिलहाल संबंध उतार-चढ़ाव भरे हैं लेकिन वह बहुत बड़ा पड़ोसी है और आखिर में किसी के भी साथ संबंध परिपक्वता की कसौटी पर खरे उतरने चाहिए. एक-दूसरे के हितों के लिए सम्मान होना चाहिए. जयशंकर ने चीन को लेकर कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध तभी ठीक रह सकते हैं, जब एक दूसरे के प्रति सम्मान हो. आखिर में सीमा पर स्थिति ही संबंधों की दशा और दिशा तय करेगी. फिलहाल चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं है.
रूस के साथ रिश्ते स्थिर
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि सभी तरह की उथल-पुथल के बीच रूस के साथ हमारे रिश्ते अभी भी स्थिर बने हुए हैं. हमने रूस को लेकर बीते कुछ सालों में मूल्यांकन किया है. संबंधों को निर्भरता के नाम पर रूस के साथ संबंधों को कमतर करना गलती होगी. रूस के साथ हमारे आर्थिक संबंधों में बढ़ोतरी हुई है.