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गठबंधन सरकार में होगा कितना समझौता? जानें- सहयोगी दलों को कौन-कौन से मंत्रालय सौंप सकती है BJP

राष्ट्रपति भवन में नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल वाले शपथग्रहण समारोह की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. जानकारी के मुताबिक 9 जून को पीएम मोदी के शपथग्रहण समारोह हो सकता है. इसके लिए अब तक छह देशों के राष्ट्राध्यक्ष को न्योता दिया जा चुका है. लेकिन असल में NDA गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं को 9 जून से पहले एक फोन कॉल पर उस न्योते की दस्तक का इंतजार है, जो मोदी 3.0 में मंत्रिमंडल वाली सीट कन्फर्म करे.

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केंद्र में एनडीए की सरकार में चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार अहम रोल निभाने जा रहे हैं (फाइल फोटो)
केंद्र में एनडीए की सरकार में चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार अहम रोल निभाने जा रहे हैं (फाइल फोटो)

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब सरकार गठन की कवायद शुरू हो गई है. केंद्र में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनने जा रही है. इसको लेकर शुक्रवार 8 जून को एनडीए के संसदीय दल की बैठक है. इसी बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एनडीए संसदीय दल का नेता चुना जाएगा. इस बैठक में बीजेपी और एनडीए के घटक दलों के नवनिर्वाचित सांसद मौजूद रहेंगे. इनके साथ ही बैठक में बीजेपी और एनडीए के घटक दलों द्वारा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, विधानसभा और विधान परिषद के फ्लोर लीडर और बीजेपी के सभी राष्ट्रीय पदाधिकारी, प्रदेश अध्यक्ष और सभी मोर्चो के अध्यक्ष भी मौजूद रहेंगे. लेकिन इससे पहले जेपी नड्डा और अमित शाह गुरुवार को प्रधानमंत्री आवास पहुंचे. बताया जा रहा है कि इस बैठक में नए कैबिनेट मंत्रियों के नामों को लेकर चर्चा हुई.

उधर, राष्ट्रपति भवन में नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल वाले शपथग्रहण समारोह की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. जानकारी के मुताबिक 9 जून को पीएम मोदी के शपथग्रहण समारोह हो सकता है. इसके लिए अब तक छह देशों के राष्ट्राध्यक्ष को न्योता दिया जा चुका है. लेकिन असल में NDA गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं को 9 जून से पहले एक फोन कॉल पर उस न्योते की दस्तक का इंतजार है, जो मोदी 3.0 में मंत्रिमंडल वाली सीट कन्फर्म करे. और तब पहली बार मोदी राज में बीजेपी के बहुमत से दूर रहने पर मंत्री पद की चाहत में सहयोगी अगर दबाव बनाएंगे तो बीजेपी क्या करेगी, इसे समझने की जरूरत है. 

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सबसे पहले जानते हैं कि किसने क्या मंत्रालय मांगा है. दरअसल, चर्चा है कि हर चार सांसद पर एक मंत्री पद की मांग बड़े सहयोगी चाहते हैं. 16 सीट वाली टीडीपी 4 मंत्री पद चाहती है. दावा है कि विभाग कौन से चाहिए, इसकी लिस्ट भी तैयार है. 12 सीट वाली जेडीयू 3 कैबिनेट मंत्री पद चाहती है तो 7 सांसद की ताकत वाली एकनाथ शिंदे की शिवसेना दो मंत्री पद चाहती है. वहीं 5 सांसद वाले चिराग पासवान की पार्टी कैबिनेट में दो सीट चाहते हैं. 2 सांसद वाली आरएलडी एक मंत्री पद तो 2 सांसद वाली जेडीएस भी एक मंत्री पद चाहती है. इनके अलावा अकेले खुद सांसद बने जीतन राम मांझी भी एक कैबिनेट पोस्ट अपने लिए चाहते हैं. लेकिन क्या इनको मनचाहे मंत्री पद औऱ विभाग मिल जाएंगे? अब तक होता तो ये आया कि मंत्री पद का फैसला आसानी से बीजेपी दो कार्यकाल में अपने दम पर बहुमत होने की वजह से करती रही. लेकिन अबकी बार क्या रास्ता निकलेगा? ये देखने वाली बात है.

इस बीच जेडीयू के बड़े नेता केसी त्यागी ने आजतक से बातचीत में कहा कि ये प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है और वही चुनेंगे किसे कौन सा मंत्री पद देना है. लेकिन सियासत में ऐसी सादगी पर देखी नहीं जाती. क्योंकि यही जेडीयू थी जो 2019 में संख्या के हिसाब से नुमाइंदगी की मांग पूरी ना होने पर सरकार में तब शामिल नहीं हुई थे. तो अब संतुलन कैसे बीजेपी साधेगी? 

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- सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि बीजेपी कहां समझौता नहीं करने वाली. रक्षा, वित्त, गृह और विदेश मंत्रालय बीजेपी किसी भी सहयोगी को नहीं देने वाली. 

- गरीब कल्याण, युवा और कृषि ये मुद्दे बीजेपी के फोकस में रहे हैं तो इन मंत्रालयों को भी बीजेपी अपने पास रखेगी. 

- रेलवे, सड़क परिवहन मंत्रालय को बीजेपी किसी और को देकर सुधार की रफ्तार धीमी नहीं करना चाहती. 

- टीडीपी स्पीकर पद भी चाहती है, लेकिन बीजेपी इसके लिए तैयार नहीं. दावा है कि ज्यादा जोर देने पर डिप्टी स्पीकर टीडीपी को दिया जा सकता है. 

- वाजपेयी सरकार के दौर में उद्योग, पेट्रोलियम, रसायन, कानून, सड़क, रेलवे यहां तक कि रक्षा मंत्रालय भी सहयोगियों को दिया गया. लेकिन मोदी राज में ऐसा लगता नहीं. लेकिन क्या गठबंधन का दौर आने पर कुछ बीजेपी को समझौता करना पड़ेगा? और तब कौन सा मंत्रालय कहां जा सकता है? 

- पंचायती राज और ग्रामीण विकास जैसे मंत्रालय जेडीयू को दिए जा सकते हैं 

नागरिक उड्डयन, स्टील जैसे मंत्रालय टीडीपी को मिल सकते हैं 

भारी उद्योग मंत्रालय शिवसेना को मिल सकता है 

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वित्त, रक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री पद की सीट सहयोगियों को दी जा सकती है. 

- पर्यटन, स्किल डेवलेपमेंट, सामाजिक न्याय जैसे मंत्रालय भी सहयोगियों को दिए जा सकते हैं. 

अटल सरकार में टीडीपी को मिला था स्पीकर पद

गौरतलब है कि 1998 में टीडीपी के 12 जबकि 1999 में 29 सांसद थे. लेकिन चंद्रबाबू नायडू की पार्टी का तब वाजपेयी सरकार में कोई मंत्री नहीं था, क्योंकि समर्थन बाहर से दिया था. नायडू बताते रहे हैं कि तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने उनकी पार्टी को 8 मंत्री पद का ऑफर दिया था. लेकिन तब एक भी पद टीडीपी ने नहीं लिया था. हांलाकि स्पीकर का पद टीडीपी को मिला था. आज परिस्थितियां दूसरी हैं. अब शायद 9 तारीख को अगर शपथग्रहण होता है तो तस्वीर और साफ होगी कि इस बार मंत्रिमंडल में कौन है और कौन नहीं.

(आजतक ब्यूरो)

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