बिहार में हाल ही में मतदाता सूची में कुत्तों और बिल्लियों की तस्वीरें जोड़ने के दावों के बाद चुनाव आयोग ने असम में भी कड़ी जांच शुरू कर दी है. आयोग ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया है कि मतदाता सूची में मौजूद ‘नॉन-ह्यूमन इमेज’, ‘ब्लैक एंड व्हाइट फोटो’, ‘नॉट-टू-स्पेसिफिकेशन’ फोटो और ‘नो इमेज’ जैसी प्रविष्टियों की सॉफ़्टवेयर-आधारित पहचान कर उन्हें ठीक किया जाए.
चुनाव आयोग ने कहा है कि फोटो में गड़बड़ी वाले हर मामले में बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) मौके पर जाकर सत्यापन करेंगे और मतदाता से स्पेसिफिकेशन के मुताबिक नया फोटो और फॉर्म-8 अनिवार्य रूप से प्राप्त करेंगे. उन्हें रिकॉर्ड रखने का निर्देश भी जारी किया गया है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया कि BLO जरूरत पड़ने पर मतदाता की वहीं पर फोटो खींचकर भी अपडेट कर सकते हैं.
डुप्लिकेट और त्रुटियों को हटाने का अभियान तेज
आयोग ने कहा कि ड्राफ्ट प्रकाशन से पहले मतदाता सूची में मौजूद सभी तार्किक त्रुटियां हटाई जाएं, पते समान रूप से लिखे जाएं और फोटो की गुणवत्ता जांची जाए. कुछ स्थानों पर घरों को दिए गए काल्पनिक हाउस नंबर को लेकर भ्रम को दूर करते हुए आयोग ने कहा कि इससे संपत्ति की कानूनी स्थिति पर कोई फर्क नहीं पड़ता. इसका उद्देश्य केवल यह है कि एक परिवार के मतदाता एक ही पोलिंग स्टेशन में दर्ज रहें. BLO को इसके साथ नजदीकी लैंडमार्क भी दर्ज करना होगा ताकि घर की पहचान आसानी से हो सके.
क्या था बिहार का ‘डॉग-बाबू’ विवाद
बता दें कि बिहार चुनाव से पहले राज्य में मतदाता सूची को संशोधित करने के लिए SIR प्रक्रिया की गई थी. लेकिन इस दौरान सोशल मीडिया पर कई पोस्ट में दावा किया गया था कि बिहार की विशेष मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया के दौरान कुछ लोगों ने कुत्तों और बिल्लियों की तस्वीरें मतदाता सूची में डालकर सिस्टम की कमियों को उजागर कर दिया. इसी विवाद के बाद आयोग ने अन्य राज्यों में भी सतर्कता बढ़ाई है.
असम में 17 नवंबर से शुरू हुई SIR
चुनाव आयोग ने 17 नवंबर को असम में विशेष संशोधन (Special Revision) की घोषणा की. इसका फाइनल मतदाता सूची ड्राफ्ट 10 फरवरी 2026 को होगा. राज्य के लिए क्वॉलिफाइंग डेट 1 जनवरी 2026 तय की गई है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि असम में यह प्रक्रिया स्पेशल समरी रिवीजन और स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बीच की एक व्यवस्था है. BLO इस बार घर-घर फॉर्म भरने की बजाय प्री-फिल्ड रजिस्टर का सत्यापन करेंगे.
अधिकारी के अनुसार, “असम में नागरिकता से जुड़े विशेष प्रावधान हैं. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में नागरिकता सत्यापन लगभग अंतिम चरण में है. इसलिए SIR की जगह यह विशेष संशोधन प्रक्रिया अपनाई गई है.”