विनायक दामोदर सावरकर से जुड़े मानहानि मामले में पुणे की मजिस्ट्रेट अदालत ने अहम आदेश देते हुए यूट्यूब और गूगल को कांग्रेस नेता राहुल गांधी से जुड़े वीडियो के रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया है. यह मामला सावरकर के प्रपौत्र (Grand-Nephew) सत्यकी सावरकर द्वारा राहुल गांधी के खिलाफ दायर मानहानि केस से जुड़ा है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जिन इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स को तलब करने की मांग की गई है, वे जांच और ट्रायल के लिए प्रासंगिक और आवश्यक प्रतीत होते हैं. न्याय के हित में अदालत ने निर्देश दिया कि यूट्यूब/गूगल अपने अधिकृत अधिकारियों के माध्यम से संबंधित रिकॉर्ड अदालत के समक्ष प्रस्तुत करें.
यह आदेश उस यूट्यूब वीडियो से जुड़ा है, जिसका इस्तेमाल सत्यकी सावरकर ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले में किया है. संबंधित वीडियो का शीर्षक है— 'Indians abroad are shining examples of our culture of respect, Interaction with diaspora in London', जिसे 5 मार्च 2023 को राहुल गांधी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था. सत्यकी सावरकर की ओर से पेश वकील संग्राम कोल्हटकर ने अदालत को बताया कि सबूत के तौर पर दिए गए राहुल गांधी के मानहानिकारक भाषण के वीडियो का सीडी अचानक ब्लैंक निकला, जबकि कुछ अन्य सीडी भी गायब हो गईं.
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इसके बाद उन्होंने यूट्यूब/गूगल से मूल वीडियो और उससे जुड़ा मेटाडेटा उपलब्ध कराने की मांग की. इसमें वीडियो की अपलोड तारीख और समय, यूआरएल, यूनिक वीडियो आईडी, डिजिटल सिग्नेचर/हैश वैल्यू, सर्वर लॉग्स और बैकअप या आर्काइव्ड कॉपी शामिल हैं. साथ ही रिकॉर्ड को छेड़छाड़-रहित डिजिटल फॉर्मेट में देने की मांग की गई. राहुल गांधी की ओर से पेश वकील मिलिंद पवार ने इन मांगों का विरोध किया. सीडी के गायब होने के मुद्दे पर अदालत ने कहा कि यह दावा सही नहीं है कि सीडी कोर्ट की कस्टडी से गायब हुईं, क्योंकि सीडी की कॉपियां राहुल गांधी को दी गई थीं.
वहीं ब्लैंक सीडी के मामले में भी अदालत ने आगे जांच से इनकार कर दिया. हालांकि अदालत ने सत्यकी सावरकर को दो पेन ड्राइव में राहुल गांधी के कथित बयान के वीडियो साक्ष्य के रूप में दाखिल करने की अनुमति दे दी है. अगली सुनवाई 31 दिसंबर को होगी, जिसमें ये वीडियो अदालत में चलाए जाएंगे. एक पेन ड्राइव आरोपी को दी जाएगी और दूसरी कोर्ट की कस्टडी में साक्ष्य के तौर पर रखी जाएगी. यह मामला राहुल गांधी के वीर सावरकर पर की गई कथित मानहानिकारक टिप्पणियों से जुड़ा है, जो राजनीतिक विवाद का विषय बना हुआ है.