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20 साल बाद क्या साथ आएंगे राज-उद्धव? संजय राउत बोले- गठबंधन नहीं, सिर्फ भावनात्मक जुड़ाव

संजय राउत ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच गठबंधन वार्ता पर अपनी राय रखी. राउत ने कहा कि दोनों भाई मिलकर राज्य के हित में काम करने को तैयार हैं, अगर आवश्यक हुआ. राज ठाकरे ने महाराष्ट्र के फायदे के लिए पुराने मतभेदों को भुलाने की बात कही. उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के खिलाफ इशारा करते हुए कहा कि महाराष्ट्र विरोधी ताकतों से दूरी बनाए रखनी चाहिए.

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संजय सिंह, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे (फाइल फोटो)
संजय सिंह, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और उनके भाई राज ठाकरे के साथ आने को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. दो दशक से चल रही राजनीतिक दुश्मनी को भुलाकर ठाकरे भाई करीब आते दिख रहे हैं. दोनों भाईयों ने महायुति सरकार की ओर से प्रदेश में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने की नीति का विरोध कर रहे हैं. इस बीच राज्यसभा सांसद और शिवसेना (उद्धव बाळासाहेब ठाकरे) के गुट के नेता संजय राउत ने कहा है कि दोनों के बीच गठबंधन को लेकर अभी बातचीत नहीं हुई, केवल भावनात्मक जुड़ाव है.

प्रेस वार्ता में क्या बोले संजय राउत?

संजय राउत ने कहा, राज ठाकरे ने एक विषय रखा था, वो विषय था महाराष्ट्र. जाहिर तौर पर, तुरंत ही उद्धव ठाकरे ने उस पर प्रतिक्रिया दी. यह प्रतिक्रिया महाराष्ट्र के हित में थी, इसमें कोई शर्त नहीं रखी गई. अगर कोई शर्त होती, तो दो बड़े नेता एक साथ नहीं आते. ये दोनों बड़े नेता – ठाकरे और उद्धव – महाराष्ट्र के हित में एकजुट होने के लिए सहमत हुए हैं.  

महाराष्ट्र हित पर सवाल उठाना सही नहीं  

उन्होंने कहा, तो इस बीच में कोई झगड़ा या विवाद करना क्या सही है? क्या यह महाराष्ट्र के हित का फॉर्मूला नहीं है? भारतीय जनता पार्टी को यह महाराष्ट्र हित का फॉर्मूला पसंद नहीं आ रहा. आज भारतीय जनता पार्टी जेल क्यों भेज रही है?  इसका मतलब यह नहीं है कि यह कोई व्यक्तिगत बात है, यह जनता की भावना है. थोड़ा बहुत राजनीतिक अध्ययन करना जरूरी है.   

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एक विचारधारा और आखिरी व्यक्ति तक संदेश

संजय राउत ने कहा, जहां एक तरफ शरद पवार और बाला साहेब ठाकरे का महाराष्ट्र के लिए, मराठी लोगों के सम्मान के लिए एक विचारधारा स्थापित करना मिशन था. गांव के आखिरी व्यक्ति तक भी यह बात पहुंचनी चाहिए – यही हमारी भूमिका है. महाराष्ट्र के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है. जो भी इसके विरुद्ध होगा, वह हमारे घर में भी नहीं टिक सकता, और न ही हमारी पंक्तियों में बैठने का स्वागत है.  

महाराष्ट्र के असली दुश्मन

उन्होंने कहा, महाराष्ट्र के दुश्मन – सामाजिक दृष्टिकोण से देखें तो बालासाहेब ठाकरे की महाराष्ट्र स्वाभिमान की सेना को तोड़ने वाले ही असली दुश्मन हैं. उन्होंने शिवसेना तोड़ी है. उन्होंने महाराष्ट्र के शत्रुओं को ताकत दी है. और अब अगर कोई महाराष्ट्र हित की बात करता है, तो उसे संदेह से नहीं देखा जाना चाहिए – ये एक साफ, स्पष्ट भूमिका है.  

शिवसेना की भूमिका और बीजेपी का प्रमाणपत्र

संजय राउत ने कहा, उद्धव ठाकरे और उनके साथियों ने यह स्पष्ट रूप से कहा है – महाराष्ट्र के हर गांव और हर मराठी आदमी के घर तक हमारी बात पहुंच रही है. अब कोई यह कहे कि हिन्दुत्ववादी कौन है, उसका प्रमाणपत्र बीजेपी ही दे सकती है – ऐसा नहीं है. तो फिर महाराष्ट्र विरोधी कौन है?

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राज ठाकरे का अनुभव   

उन्होंने कहा, राज ठाकरे कई ट्रेनिंग स्कूलों में गए हैं. राज ठाकरे सबकी बातें सुनते हैं – पर आज कौन महाराष्ट्र विरोधी है, इसका जवाब वे ही दे सकते हैं. कुछ लोग जो अर्थव्यवस्था, महाराष्ट्र की ताकत को नहीं पहचानते, वो आज यहां टिप्पणी कर रहे हैं. हमने कभी उद्धव ठाकरे के सामने कोई शर्त नहीं रखी – महाराष्ट्र का हित सर्वोपरि है. उसके विरोध में कुछ भी नहीं चलेगा.  

शक्ति की पहचान और झूठ का प्रभाव

संजय राउत ने कहा, ठोस अध्ययन की जरूरत है – ताकि शक्ति की सही पहचान हो और उस पर चर्चा हो. जब आप झूठ फैलाते हो – तो गृह मंत्री, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री आते हैं – ये सब शासकीय कार्य है.  मुक्ता (संस्था) ने सबको एकत्र किया था, लेकिन अब उन्हें ही सस्पेंड कर दिया गया.

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जस्टिस चंद्रचूड़ और मस्जिद विवाद 

संजय राउत ने कहा, जब जस्टिस चंद्रचूड़ ने मस्जिद की खुदाई का आदेश दिया था? क्या अब आप कहीं भी जाकर मस्जिद या दरगाह खोद सकते हो? संभल में इसलिए दंगे भड़के. क्या निशिकांत दुबे अब उस जजमेंट की बात करना चाहते हैं?  क्या किसी भी मस्जिद को खोद सकते हो यह देखने के लिए कि नीचे मंदिर है या कुछ और? मुझे लगता है, वे जस्टिस चंद्रचूड़ को ही निशाना बना रहे हैं.  ये लोग न सुप्रीम कोर्ट को मानते हैं, न किसी कोर्ट को, न संसद को. ये लोग किसी भी संवैधानिक संस्था को नहीं मानते. अब निशिकांत दुबे सुप्रीम कोर्ट के ऊपर बोलेंगे?  मुझे बताइए, क्या ऐसे व्यक्ति को पार्टी से निकालना नहीं चाहिए?  

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संविधान और न्यायपालिका पर सवाल

उन्होंने कहा, अगर आप संविधान के रखवाले हो, तो आपको इनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. जब जस्टिस चंद्रचूड़ ने मस्जिद खुदाई का आदेश दिया था – तब आपको नहीं लगा कि यह समाज में झगड़े पैदा कर सकता है? संभल में सात लोग मरे और अन्य जगहों पर भी जानें गईं. तब नहीं लगा कि सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकारों से आगे जा रही है? जब महाराष्ट्र की गैरकानूनी सरकार को मान्यता दी गई, तब अनुच्छेद 10 को टूटते हुए देखा गया. तब आपको नहीं लगा कि ये गलत हो रहा है?  

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के संबंध  

संजय राउत ने कहा, मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) के ‘टर्म्स एंड कंडीशन्स’ – राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे दोनों भाई हैं. हमने वर्षों साथ काम किया है. आज भी हमारा रिश्ता कायम है – भाईचारे और मित्रता का. वो कभी टूटा नहीं.  अगर कोई और व्यक्ति कुछ कहता है – तो वह अपनी पार्टी से पूछ ले कि जो हम कह रहे हैं, वो सही है या नहीं. दोनों भाई तय करेंगे – और हमने उद्धव की बात मानी है कि अगर महाराष्ट्र के हित में एक होना पड़े, तो हम सारे मतभेद भुला देंगे.  

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महाराष्ट्र शत्रु कौन और गठबंधन की राह

उन्होंने कहा, कुछ राजनीतिक दल सत्ता में हैं और अपने आप को महाराष्ट्र का हितैषी बताते हैं – लेकिन वे असल में महाराष्ट्र के शत्रु हैं. वे मराठी स्वाभिमान को मिटाना चाहते हैं. उन्होंने बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को तोड़ा – ताकि महाराष्ट्र के आत्मसम्मान को खत्म किया जा सके. ऐसे किसी भी दल से हमारा कोई संबंध नहीं होना चाहिए – तभी हम सच्चे महाराष्ट्र भक्त कहलाएंगे. और यह कोई शर्त नहीं – बल्कि राज्य की जनता की भावना है.

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