राज ठाकरे
राज श्रीकांत ठाकरे (Raj Shrikant Thackeray) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष हैं. वह बाल ठाकरे के भतीजे हैं (Nephew of Bal Thackeray), और शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के 19वें और मौजूदा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई हैं (Cousin of Uddhav Thackeray).
राज श्रीकांत ठाकरे का जन्म 14 जून 1968 को स्वराज श्रीकांत ठाकरे (Swararaj Shrikant Thackeray) नाम के साथ हुआ था (Raj Thackeray Age). उनके पिता श्रीकांत ठाकरे बाल ठाकरे के छोटे भाई थे (Raj Thackeray Father) और उनकी माता कुंडा ठाकरे बाल ठाकरे की पत्नी मीना ठाकरे की छोटी बहन थीं (Raj Thackeray Mother). राज ठाकरे ने एक बच्चे के रूप में उन्होंने तबला, गिटार और वायलिन सीखा. ठाकरे मुंबई के सर जे.जे. इंस्टिट्यूट ऑफ एप्लाइड आर्ट से स्नातक की डिग्री ली (Raj Thackeray Education). उसके बाद, वे बाल ठाकरे की साप्ताहिक पत्रिका मार्मिक में एक कार्टूनिस्ट के रूप में शामिल हुए (Raj Thackeray Cartoonist in Marmik). राज ठाकरे ने मराठी सिनेमा फोटोग्राफर, निर्माता-निर्देशक मोहन वाघ की बेटी शर्मिला वाघ से शादी की है (Raj Thackeray Wife). उनका एक बेटा अमित ठाकरे और एक बेटी उर्वशी ठाकरे है (Raj Thackeray Children).
ठाकरे ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय विद्यार्थी सेना नामक शिवसेना के छात्र विंग को लॉन्च करके की (Raj Thackeray Launched student wing of Shiv Sena called Bharatiya Vidyarthi Sena). 1990 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान वह प्रमुखता से सामने आए. 1990 के दशक के दौरान, राज खुद को अपने चाचा बालासाहेब का उत्तराधिकारी मानते थे. हालांकि, बालासाहेब ने अपने बेटे, उद्धव को अपना उत्तराधिकारी चुना. बाल ठाकरे के द्वारा दरकिनार किए जाने के बाद, निराश ठाकरे ने 27 नवंबर 2005 को शिवसेना से इस्तीफा दे दिया (Raj Thackeray Resigned from Shiv Sena) और 9 मार्च 2006 को मुंबई में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना पार्टी की स्थापना की (Raj Thackeray Founded MNS).
फरवरी 2008 में राज ठाकरे ने उत्तर भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार से महाराष्ट्र के प्रवासियों के खिलाफ एक हिंसक आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था (Raj Thackeray 2008 Anti-North Indian Campaign). 2010 में उनकी पार्टी ने शिवसेना के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर हमले के विरोध में आईपीएल 3 में भाग लेने वाले ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों को मुंबई में खेलने से प्रतिबंधित कर दिया (Raj Thackeray Australian Ban). हिंदी फिल्म द्रोण के म्यूजिक लॉन्च के दौरान समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने कहा, 'हम यूपी के लोग हैं, इसलिय हिंदी में बात करेंगे, महाराष्ट्र के लोग माफ करेंगे'. इसके बाद राज ठाकरे ने बच्चन की सभी फिल्मों पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने थिएटरों पर हमला करना शुरू कर दिया था (Raj Thackeray Jaya Bachchan Controversy).
मराठी विवाद के बीच अब उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के तेवर नरम पड़ते नजर आ रहे हैं. उद्धव बार-बार यह सफाई दे रहे हैं कि हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं. वहीं, राज भी बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. इसके पीछे क्या है?
कांग्रेस समझती है कि ठाकरे बंधु बीएमसी चुनावों के बाद एक साथ नहीं दिखाई देने वाले हैं. ये केवल कुछ समय का गठबंधन है. इसके साथ ही इनका गठबंधन मुंबई से बाहर नहीं जाने वाला है.
बीजेपी सांसद ने यह भी कहा कि वे मराठी भाषा और महाराष्ट्र के लोगों का सम्मान करते हैं, जिन्होंने भारत की आजादी में बड़ा योगदान दिया है. लेकिन आगामी बीएमसी चुनाव को लेकर ठाकरे बंधु सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं.
राज ठाकरे की पार्टी मराठी भाषा का हितैषी होने का दावा करते हुए बीजेपी को मराठी विरोधी करार देने की कोशिश कर रही है. MNS का आरोप है कि गुजराती कारोबारियों ने इसी मीरा भायंदर में मोर्चा निकाला, लेकिन मराठियों को मोर्चा निकालने की इजाजत नहीं दी जा रही. देखें 'ब्रेकिंग न्यूज़'.
महाराष्ट्र में भाषा विवाद लगातार जारी है. नई शिक्षा नीति के तहत हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के आदेश पर फडनवीस सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा था. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने एमएनएस चीफ राज ठाकरे को बिहार आने की खुली चुनौती देते हुए कहा कि अगर राज ठाकरे में इतनी हिम्मत है तो वो बिहार आकर दिखाएं, 'पटक पटक कर मारा जाएगा'.
निशिकांत दुबे ने शिवसेना (यूबीटी) और एमएनएस को यूपी-बिहार आने की चुनौती दी थी और कहा था कि पटक-पटक कर मारेंगे. इस बयान पर अब उद्धव ठाकरे की प्रतिक्रिया आई है.
थ्री लैंग्वेज पॉलिसी के खिलाफ उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने जंग छेड़ दी. महाराष्ट्र सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा और दो दशक बाद दोनों भाई पहली बार किसी सार्वजनिक मंच पर आए. उद्धव और राज ठाकरे के इस 'मराठी वॉर' के पीछे क्या है?
मुंबई में शिवसेना यूबीटी और मनसे की संयुक्त रूप से विजय दिवस रैली हुई. मराठी भाषा के नाम पर ठाकरे बंधुओं ने खुलकर गुंडागर्दी को शह देने की बात की. इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस क्यों आंख मूंदे हुए हैं ?
शिंदे गुट के विधायक संजय गायकवाड़ ने कहा कि छत्रपति संभाजी महाराज ने 16 भाषाएं सीखी थीं. ताराबाई और जीजाबाई भी कई भाषाएं जानती थीं, जिनमें हिंदी भी शामिल थी. उन्होंने कहा कि हमें ज्यादा से ज्यादा भाषाएं सीखने चाहिए. गायकवाड़ ने कहा कि भाषा को लेकर राजनीति करना गलत है, उन्होंने तर्क दिया कि अगर हमें आतंकवाद को रोकना है तो हमें उर्दू भी सीखनी चाहिए. मैं यह बात कई बार कह चुका हूं.
शिवसेना-यूबीटी के प्रवक्ता संजय राउत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि दक्षिणी राज्य इस मुद्दे पर वर्षों से लड़ रहे हैं. हिंदी थोपे जाने के खिलाफ उनके रुख का मतलब है कि वे हिंदी नहीं बोलेंगे और न ही किसी को हिंदी बोलने देंगे. लेकिन महाराष्ट्र में हमारा रुख ऐसा नहीं है.
फडणवीस ने मुंबई के विकास पर ठाकरे बंधुओं को घेरते हुए कहा कि 25 साल तक मुंबई महानगरपालिका उनके पास रही, लेकिन दिखाने लायक कोई काम नहीं हुआ. आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने मुंबई का चेहरा बदला है. बीडीडी चॉल, अभ्युदय नगर, पत्रा चॉल में मराठी माणूस को उनका हक मिला तो उन्हें जलन हो रही है.
उद्धव गुट के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय राउत ने कहा कि जनता उन्हें (उद्धव और राज ठाकरे को) एक साथ लेकर आई है. एक साथ चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बारे में बातचीत हो जाएगी. हम अब भी इंडिया एलायंस का हिस्सा हैं, लेकिन स्थानीय चुनाव अलग होते हैं.
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे, जो 20 साल से अलग-अलग रास्तों पर थे, अब एक बार फिर मुंबई के वरली में एक मंच पर साथ आए हैं. उनका एक साथ आना महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के तौर पर अनिवार्य करने के सरकार के आदेश के विरोध में हुआ है.
महाराष्ट्र की सियासत में शनिवार को एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिला, जब उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने लगभग 2 दशक बाद पहली बार एक मंच साझा किया. उद्धव ने मंच से एकजुटता का संकेत जरूर दिया, लेकिन राज ठाकरे ने गठबंधन की बात पर सतर्कता बरती और कोई सीधा संकेत नहीं दिया. इसके बावजूद, ठाकरे ब्रदर्स का एक साथ मंच पर आना ही अपने समर्थकों और विरोधियों के लिए एक सियासी संदेश था.
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महाराष्ट्र की राजनीति में 20 साल बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक मंच पर साथ आए हैं. यह एकजुटता महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य किए जाने के सरकार के आदेश के विरोध में हुई. बाद में सरकार ने 17 जून को संशोधित आदेश जारी कर हिंदी को वैकल्पिक बना दिया और 5 जुलाई को प्रदर्शन के एलान से पहले आदेश वापस ले लिया. इस घटनाक्रम को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह मराठी अस्मिता का जज्बा है या सियासी मजबूरी.
तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने कहा कि मुंबई में आज भाई उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में हिंदी 'थोपने' के खिलाफ हुई 'विजय रैली' में जोशीले भाषणों और जनज्वार ने हमें बेहद उत्साहित किया है. साथ ही कहा कि हम भाषायी भेदभाव, तमिल भाषा की उपेक्षा और कीलाड़ी जैसी सभ्यताओं को नज़रअंदाज़ करने वाला व्यवहार और अधिक सहन नहीं करेंगे.
महाराष्ट्र की सियासत में आज का दिन महत्वपूर्ण रहा। शिवसेना उद्धव गुट और एमएनएस के बीच 20 साल की दूरियां खत्म हो गईं. राज्य में जारी भाषा के विवाद को लेकर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच पर साथ आए. एक सभा में दोनों भाई गर्मजोशी के साथ मिले और एक दूसरे का अभिवादन किया. उन्होंने भावी सियासत साथ में करने के संकेत भी दिए.
केडिया ने कहा कि वे 30 वर्षों से मुंबई में रह रहे हैं, फिर भी वे मराठी भाषा में उस स्तर की जानकारी नहीं हासिल कर पाए हैं जैसी किसी स्थानीय व्यक्ति को होती है. इसलिए वे मराठी केवल अनौपचारिक माहौल में ही इस्तेमाल करते हैं.
महाराष्ट्र की राजनीति में आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण रहा, जब ठाकरे बंधु उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे पूरे 20 साल बाद एक मंच पर साथ आए. यह वह काम था जो बाला साहेब ठाकरे भी नहीं कर पाए थे, लेकिन मराठी भाषा के मुद्दे ने दोनों भाइयों को एक कर दिया. शिवसेना उद्धव गुट और एमएनएस के बीच चला आ रहा 20 साल का मनमुटाव समाप्त हो गया.