बिहार में कुढ़नी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव को लिए वोटिंग जारी है. बीजेपी ने एक बार फिर से केदार प्रसाद गुप्ता को मैदान में उतार रखा है जबकि महागठबंधन से जेडीयू प्रत्याशी मनोज कुशवाहा है. हैं. मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी से नीलाभ कुमार तो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM से गुलाम मुर्तजा अंसारी ताल ठोक रहे हैं. इस तरह कुढ़नी सीट का मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. ऐसे में देखना है कि ओवैसी-सहनी की पार्टी के कैंडिडेट से उतरने से गोपालगंज सीट तरह उलटफेर होता है या फिर महागठबंधन अपना दबदबा बनाए रखेगी?
बता दें कि कुढ़नी विधानसभा सीट से आरजेडी विधायक रहे अनिल सहनी' को एमपी-एमएलए कोर्ट से अयोग्य ठहराए जाने के बाद उपचुनाव हो रहे हैं. इस सीट पर आरजेडी के बजाय जेडीयू ने अपना उम्मीदवार मैदान में उतारा है. 2020 के चुनाव में आरजेडी को टक्कर देने वाले केदार गुप्ता मैदान में है, जो महज 712 वोटों से हार गए थे. ऐसे में बीजेपी उपचुनाव में यह सीट हर हाल में जीतना चाहती है, लेकिन महागठबंधन के चलते आसान नहीं है. कुढ़नी सीट पर सभी की निगाहें असदुद्दीन ओवैसी और मुकेश सहनी के कैंडिडेट पर है.
कुढ़नी सीट का समीकरण
कुशवाहा जाति वोटों को ध्यान में रखते हुए जेडीयू ने मनोज कुशवाहा पर दांव लगा रखा है तो वैश्य समाज के समीकरण को देखते हुए बीजेपी ने केदार गुप्ता को उतारा है. सहनी वोटों के चलते मुकेश सहनी ने भूमिहार समुदाय से आने वाले नीलाभ कुमार को प्रत्याशी बनाया है जबकि मुस्लिम वोटर 20 हजार के करीब है, जिसके चलते ओवैसी की पार्टी से मुर्तजा अंसारी है.
कुढ़नी सीट के सियासी समीकरण देखें तो वैश्य वोटर सबसे ज्यादा हैं, जिसके चलते बीजेपी ने केदार गुप्ता पर दांव लगाया है. वैश्य वोटों के बाद मल्लाह, यादव, कोइरी काफी निर्णायक हैं. इसके अलावा मुस्लिम और दलित वोटर भी अहम भूमिका में हैं. कुढ़नी सीट पर भूमिहार वोटर बीजेपी से नाराज माने जा रहे हैं और मुकेश सहनी ने जिस तरह से भूमिहार कार्ड खेला है, उससे बीजेपी की चुनौती बढ़ गई है. इसी तरह से असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर महागठबंधन के लिए टेंशन बढ़ा रखी है.
बीजेपी के लिए सहनी चुनौती
कुढ़नी सीट के जाति समीकरण के लिहाज से सभी पार्टियों के अपने-अपने दांव चले हैं, जिसमें सभी सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं. वीआईपी का निलाभ कुमार को टिकट देना बीजेपी से भूमिहार मतों को काटने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है तो बीजेपी इसी को कारण बनाकर सहनी मतों पर डोरे डाल रही है. मुकेश सहनी का भूमिहार और सहनी वोटों का दांव चलता है तो बीजेपी के लिए चिंता सबब बन सकता है.
जेडीयू के लिए ओवैसी चैलेंज
वहीं, कुढ़नी सीट पर जेडीयू की नजर कुर्मी-कुशवाहा-यादव-मुस्लिम समीकरण पर है. इसी मद्देनजर आरजेडी के बजाय जेडीयू ने चुनाव लड़ा और मनोज कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया, लेकिन असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर एक बार फिर नुकसान महागठबंधन के लिए चुनौती खड़ी कर दी है. AIMIM से मुर्तुजा अंसारी के उतरने से मुस्लिम वोटों का बटवारा होने की संभावना दिख रही है. गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव में यही महागठबंधन की हार का कारण बना था.
कुंढनी सीट: अपनों के बिखरने का डर
कुढ़नी विधानसभा सीट के उपचुनाव बीजेपी और महागठबंधन को अपने कोर वोटबैंक के बिखरने का डर सता रहा है. यहां जेडीयू क्या वीआईपी भी अपने वोट बैंक के बिखरने डर से घबराई हुई है. बीजेपी से इस बार केदार गुप्ता उम्मीदवार हैं. इन्हें सबसे ज्यादा खतरा बीजेपी के टेकन फॉर ग्रांटेड वोटर भूमिहार जाति से है केदार गुप्ता कई चुनौतियों से गुजर रहे हैं. एक तो निषाद वोट बैंक जो स्थानीय सांसद अजय निषाद के चलते बीजेपी को मिलता है, वो बंटता हुआ दिख रहा है. ऐसे ही मुस्लिम वोट भी इस बार एकमुश्त महागठबंधन के साथ नहीं जा रहा है. ओवैसी की पार्टी से मुर्तुजा अंसारी ने उतरकर महागठबंधन के लिए चुनौती बने हुए हैं.