उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा योगी सरकार की आलोचना की बात किसी से छुपी नहीं है. महाकुंभ में हुई जानलेवा भगदड़ को लेकर तो उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की भी मांग कर डाली. मगर इस आलोचना के जवाब में क्या योगी सरकार की यूपी पुलिस ने शंकराचार्य की बुरी तरह पिटाई कर दी है? सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो शेयर करते हुए कुछ यूजर्स यही दावा कर रहे हैं.
वीडियो में शंकराचार्य मीडिया से बात करते हुए कहते हैं, “हमारे भगवान सड़क पर खड़े हुए हैं.” इसके बाद पुलिस उन्हें खदेड़ती है और लाठियों से मारती भी है.
वीडियो को एक्स और फेसबुक पर शेयर करते हुए लोग लिख रहे हैं, #Amitshah जी शंकराचार्य जी पर लाठी चार्ज करवाना बहुत ही शर्मनाक है इसकी जितनी निन्दा की जाए वो कम है! शरीर पर पड़ी हर लाठी की गूंज बहुत दूर तक जाएगी कृपया इसको रोकिए ! पुलिस बालों पर सख्त से सख्त कानूनी करवाई हो ! #Yogi जी इस्तीफ़ा दे , यूपी संभल नहीं रहा है इनसे ? @AmitShah.” ऐसे एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि शंकराचार्य पर लाठीचार्ज का वीडियो अभी का नहीं बल्कि 2015 का है, जब यूपी के सीएम अखिलेश यादव थे. उस समय गणेश मूर्ति विसर्जन को लेकर हुए विवाद के बीच वाराणसी में यूपी पुलिस ने ये लाठीचार्ज किया था.
कैसे पता चली सच्चाई?
चूंकि महाकुंभ के दौरान शंकराचार्य कई बयान दे रहे हैं और लगातार चर्चा में बने हुए हैं. ऐसे में अगर उनपर कोई लाठीचार्ज हुआ होता तो ये एक बड़ी खबर होती, मगर खोजने पर हमें ऐसी कोई विश्वसनीय खबर नहीं मिली.
वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें यही वीडियो शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के आधिकारिक फेसबुक पेज पर मिला. मगर 54 सेकंड का ये वीडियो इस पेज पर करीब 10 साल पहले यानी 2015 में शेयर किया गया था. मतलब शंकराचार्य पर लाठीचार्ज का ये वीडियो अभी का नहीं, बल्कि उस वक्त का है जब यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और सीएम अखिलेश यादव थे.
क्या था पूरा मामला?
कीवर्ड्स के जरिये सर्च करने पर हमें वायरल वीडियो से जुड़ी 2015 की कई न्यूज रिपोर्ट्स मिलीं. खबरों के अनुसार, ये बवाल 23 सितंबर 2015 को वाराणसी में गणेश मूर्ति विसर्जन के दौरान हुआ था. दरअसल, अविमुक्तेश्वरानंद समेत कई संत गंगा में मूर्ति विसर्जित करने की मांग के साथ धरने पर बैठे थे, जिनको हटाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया था.
आजतक की वीडियो रिपोर्ट में बताया गया है कि हाई कोर्ट ने गंगा में मूर्ति विसर्जित करने पर रोक लगाई थी, इसलिए पुलिस ने संत समाज के लोगों को रोका था. इसी दौरान अविमुक्तेश्वरानंद पर लाठीचार्ज हुआ था.
खबरों के मुताबिक, लाठीचार्ज करने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य के प्रमुख सचिव, जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वाराणसी को नोटिस भी जारी किया था.
गौरतलब है कि 2021 में हरिद्वार कुंभ मेले के दौरान अखिलेश यादव ने अविमुक्तेश्वरानंद से संतों पर लाठीचार्ज को लेकर माफी मांगी थी.
साफ है, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद पर लाठीचार्ज अखिलेश यादव सरकार के समय हुआ था, जिसे उनके ताजा बयानों के साथ जोड़कर हाल का बताने की कोशिश की जा रही है.