scorecardresearch
 

उइगर मुसलमान ही नहीं, चीन में इन अल्पसंख्यकों के साथ भी होती रही नाइंसाफी

लगभग 9 साल पहले चीन के युन्नान में कुछ उइगरों ने एक ट्रेन स्टेशन पर 150 लोगों को जख्मी कर दिया. इसके तुरंत बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आतंक को कुचलने का ऐलान कर दिया. तब से लेकर अब तक लाखों उइगर मुसलमान घरों से उठाकर कैपों में डाले जा चुके. देश अकेला उन्हीं पर सख्त नहीं हुआ. यहां माइनोरिटी तेजी से अपनी पहचान खो रही है.

Advertisement
X
चीन में माइनोरिटी पर अन्याय की बात अक्सर यूएन में उठती रहती है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)
चीन में माइनोरिटी पर अन्याय की बात अक्सर यूएन में उठती रहती है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)

मई 2014 में चीन की सरकार ने एक कैंपेन शुरू किया, जिसका नाम था- स्ट्राइक हार्ड कैंपेन अगेंस्ट वायलेंट टैररिज्म. शिनजिंयाग प्रांत में चली इस मुहिम में उइगर और बाकी तुर्क मुसलमान छांटे गए और उन्हें री-एजुकेशन कैंपों में भेज दिया गया. समय-समय पर इंटरनेशनल मीडिया इन कैंप्स की सैटेलाइट इमेज जारी करता है, जिसमें कंटीली बाड़ से घिरी हुई अकेली इमारतें दिखती हैं. किसी शहर वाली कोई रौनक यहां नहीं होती. इन जगहों पर रखे गए लोग री-एजुकेट किए जा रहे हैं कि वो अपना धर्म छोड़कर चीन में पूरी तरह से घुलमिल जाएं. 

मानवाधिकार संस्था ह्यमन राइट्स वॉच ने जब अमेरिका के साथ मिलकर ये बातें सामने लाईं तो उइगरों के नाम पर यूनाइटेड नेशन्स तक में हल्ला मचा, लेकिन हुआ कुछ नहीं, सिवाय इसके कि पढ़ने-लिखने वाले ज्यादातर लोग चीन के उइगरों को जानने लगे. लेकिन इनके अलावा भी चीन में दूसरे धर्मों या कल्चर से जुड़े लोग रहे. ये सब तेजी से घटते जा रहे हैं.

कौन सी माइनोरिटीज रहती हैं?

चीन में सबसे ज्यादा आबादी हान चाइनीज की रही. आखिरी जनगणना में ये देश का 91 प्रतिशत से ज्यादा थे. उनके अलावा करीब 56 और ग्रुप हैं, जिनकी आबादी 105 मिलियन के आसपास रही. जुआंग, हुई, मियाओ, कजाक, बई, कोरियन, हानी, ली, उइगर और फालुन गोंग जैसी कम्युनिटीज यहां रहती हैं.

why are ethnic minorities are disappearing in china including uyghurs and hui- phot Pixabay

बहुत से ऐसे भी समुदाय है, जिनकी आबादी 5 हजार से भी कम है. चीन इन लोगों को एथनिक माइनोरिटी में नहीं गिनता. माना जा रहा है कि ये माइनोरिटीज तेजी से अपनी खासियत खो रही हैं. बोलचाल, रहन-सहन और खान-पान में जो भी बातें अलग थीं, वो अब घटती जा रही हैं क्योंकि चीन की सरकार ऐसा चाहती है. 

Advertisement

एंटी-माइनोरिटी सेंटिमेंट्स कब-कब दिखते रहे?

चीन में एक समुदाय था, जिसे फालुग गोंग कहते थे. 90 के आसपास इस समुदाय का जन्म हुआ. ये आध्यात्म की बात करते. मेडिटेशन करते. जल्द ही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के सपोर्टर भी फालुन गोंग के सदस्य बनने लगे. कुछ सालों के अंदर ये समुदाय चीन में सबसे ज्यादा अनुयायियों की बिरादरी बन गई. साल 1998 में वहां की स्टेट स्पोर्ट्स कमीशन का अनुमान था कि अकेले चीन में ही 70 मिलियन से ज्यादा लोग ये नई प्रैक्टिस कर रहे हैं. 

कम्युनिस्ट पार्टी के लिए ये खतरे की घंटी थी. उसने इसका विरोध शुरू किया, जो जल्द ही हिंसक हो गया. तत्कालीन राष्ट्रपति जिआंग जेमिन ने खुद इसके खिलाफ सारे कैंपेन को प्लान और लॉन्च किया. इससे जुड़े अफसर गोंग समुदाय के लोगों की निगरानी करते और उन्हें डिटेंशन सेंटर भेज देते. इन सेंटरों को री-एजुकेशन थ्रू लेबर कहा गया. ह्यूमन राइट्स वॉच समेत कई संस्थाओं का कहना है कि कैंप में लोगों को बिजली के झटके दिए जाते. भूखा-प्यासा रखा जाता और भी कई तरह की हिंसा होती, जब तक वे अपने रीति-रिवाजों से तौबा न कर लें. फिलहाल ये समुदाय चीन में लगभग नहीं जिता है, और जो हैं, वे भी छिपकर मेडिटेट करते हैं. 

Advertisement

why are ethnic minorities are disappearing in china including uyghurs and hui- phot Pixabay

ये समुदाय झेल रहे गैर-बराबरी

यूएस स्टेट डिपार्टमेंट रिपोर्ट ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेस हर साल दुनियाभर में मानवाधिकार से जुड़े डेटा देता है. इसमें माना गया कि तिब्बती, कजाकिस्तानी, हुई मुस्लिम और इनर मंगोलिया के रहने वाले लोग लगातार हिंसा झेल रहे हैं. चीन में इन सबको डिटेंशन सेंटरों में तो नहीं डाला गया, लेकिन अपना कल्चर छोड़ने पर जरूर मजबूर किया जा रहा है. हुई मुस्लिमों को दाढ़ी रखने और बार-बार अपने धर्मस्थल जाने से रोका गया. 

इसका एक सबूत भाषाओं का गायब होना भी

यूनाइटेड नेशन्स के मुताबिक चीन में 56 आधिकारिक एथनिक ग्रुप्स में 100 से ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं. लेकिन अब ये तेजी से गायब हो रही हैं. ओरोक्न, इवेंकी, हेशेन जैसी भाषाएं चीन के रिमोट पूर्वोत्तर में बोली जाती थीं. अब इनकी जगह चीनी भाषा ले चुकी. इनर मंगोलिया में मंगोलियन की जगह स्कूल-कॉलेज-दफ्तरों में मंदारिन भाषा लागू करवा दी गई. शी भाषा, जिसे कुछ ही सालों पहले लगभग 10 लाख लोग बोलते थे, अब उसे समझने वाले हजार से भी कम लोग बाकी हैं. 

अक्टूबर 2020 में चीन की सरकार ने फ्रांस के नेंटेस हिस्ट्री म्यूजियम से कहा था कि वे चंगेज खान और मंगोल साम्राज्य जैसे चीजें अपने यहां न दिखाएं. 

why are ethnic minorities are disappearing in china including uyghurs and hui- phot Unsplash

नस्ल, देश सबको किया जाता है टारगेट

Advertisement

चीन में भाषाविज्ञानी भी वही चीजें प्रमोट करते हैं, जिसमें माइनेरिटी को कमतर दिखाया जाए. चीन में लंबे समय तक रह चुके यूरोपियन यूनियन के राजदूत एंडीमिऑन विल्किंसन ने एक किताब लिखी, चाइनीज हिस्ट्री- ए न्यू मैनुअल. इसमें बताया गया कि न केवल अपने यहां रह रही माइनोरिटी के लिए, बल्कि चीन दुनिया के लगभग हर देश के लोगों के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करता है. जैसे जापान के लोगों को वो नाटा, अफ्रीकन्स को काला दैत्य, पश्चिम को भूतहा चरित्र, दक्षिण एशियाई देशों को मिक्स्ड नस्ल वाले लोग जैसी बातें कहता है. ये सब भाषा विज्ञानी कर रहे हैं, जो चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी से प्रेरित हैं. 

सब पर एक मुहर लगाने की कोशिश

चीन की मौजूदा सरकार हर चीज के सिनिसाइजेशन पर जोर देती है, यानी सबपर चीन का ठप्पा. चीन में रहने वालों को एक ही भाषा बोलनी चाहिए, एक से कपड़े पहनने चाहिए और एक जैसा धर्म अपनाना चाहिए. कहीं न कहीं इंटरनेशनल दबाव में चीन ये खुलकर नहीं कर पा रहा, लेकिन सिनिसाइजेशन के नाम पर जरूर कर रहा है. वो इसे चीन की एकता का नाम देता है.

 

Advertisement
Advertisement