Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन में जंग शुरू हुए 6 महीने से ज्यादा लंबा समय हो चुका है. लेकिन जंग अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. इस बीच किसी भी परमाणु हादसे से निपटने के लिए अब यूरोपियन यूनियन एंटी-रेडिएशन दवा यूक्रेन को भेज रहा है. ये इसलिए किया जा रहा है क्योंकि यूक्रेन का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट पर अभी भी रूसी सेना का कब्जा है.
यूरोप के सबसे बड़े जेपोरीजिया न्यूक्लियर प्लांट (Zaporizhzhia) पर जंग शुरू होने के हफ्तेभर बाद ही रूसी सेना ने कब्जा कर लिया था. रूसी सेना के कब्जे में होने की वजह से यहां कभी भी परमाणु हादसे या रेडिएशन लीक होने का खतरा बना हुआ है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskiy) ने कहा कि जेपोरीजिया न्यूक्लियर प्लांट पर रूसी सेना का कब्जा होना अभी भी रिस्की और खतरनाक है. उन्होंने मांग की है कि इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) को जल्द से जल्द प्लांट का दौरा करना चाहिए. जेलेंस्की ने आशंका जताई है कि अगर रूसी सेना की किसी हरकत से रिएक्टर्स डिसकनेक्ट हो जाते हैं तो फिर से यहां बड़ा हादसा हो सकता है.
यही वजह है कि अब यूक्रेन को एंटी-रेडिएशन दवा की 55 लाख डोज भेजी जा रही है. यूरोपियन यूनियन ने एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि परमाणु हादसे के डर को देखते हुए यूक्रेन को 55 लाख पोटेशियम आयोडाइड टैबलेट भेजी जा रही है. इनमें से 50 लाख यूरोपियन यूनियन और 5 लाख ऑस्ट्रिया भेज रहा है. इसकी कीमत 5 लाख यूरो (करीब 4 करोड़ रुपये) है.
क्या है ये दवा?
कोई परमाणु हादसा या परमाणु हमला होता है, तो उससे रेडिएशन निकलता है. अगर परमाणु हमला होता है तो फिर उससे बच पाना लगभग नामुमकिन है. लेकिन परमाणु हादसा होता है और रेडिएशन लीक होता है तो उससे बचा जा सकता है. ये दवा इसी काम में आएगी.
ये दवा पोटेशियम आयोडाइड है, जो शरीर में रेडियोएक्टिव आयोडीन को जाने से रोकती है. ये दवा लेते ही थायराइड ग्रंथि ब्लॉक हो जाती है, जिससे रेडियोएक्टिव आयोडीन अंदर नहीं जा पाता है. थायराइड ग्रंथि बहुत सेंसेटिव होती है.
कैसे काम करती है ये दवा?
आयोडीन हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है. ये आयोडीन थायराइड ग्रंथि में जमा होता है. जब रेडिएशन लीक होता है तो रेडियोएक्टिव आयोडीन निकलता है. चूंकि थायराइड ग्रंथि बहुत सेंसेटिव होती है, इसलिए वो नॉन-रेडियोक्टिव आयोडीन और रेडियोएक्टिव आयोडीन को पहचान नहीं पाती.
रेडिएशन लीक होने पर रेडियोएक्टिव आयोडीन सांस के जरिए या फिर खान-पान के जरिए शरीर के अंदर जा सकता है. ऐसा होने पर शरीर के अंदर रेडिएशन फैल जाता है. पोटेशियम आयोडाइड की ये दवा थायराइड ग्रंथि को ब्लॉक कर देती है, जिससे रेडियोएक्टिव आयोडीन जमा नहीं हो पाता और रेडिएशन से बचा जा सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, रेडिएशन लीक होने से पहले या बाद में पोटेशियम आयोडाइड की दवा ली जा सकती है. ये दवा थायराइड ग्रंथि में आयोडीन जमा कर देती है. ऐसे में अगर रेडियोएक्टिव आयोडीन लीक भी होता है तो वो थायराइड ग्रंथि में जमा नहीं हो पाता.
ये दवा कितनी जरूरी?
जब रेडियोएक्टिव आयोडीन निकलता है, तो वो दो तरह से शरीर के संपर्क में आ सकता है. पहला बाहरी और दूसरा आंतरिक. बाहरी संपर्क में आने पर ये रेडियोएक्टिव आयोडीन त्वचा पर जम जाता है, जिसे साबुन या गर्म पानी से निकाला जा सकता है.
लेकिन आंतरिक संपर्क में आने पर ये थायराइड ग्रंथि में जम जाता है, जिससे थायराइड कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. इससे बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा है.
WHO के मुताबिक, 1986 में यूक्रेन के चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट में हादसा हुआ था. इससे दूध और खाने के जरिए रेडियोएक्टिव आयोडीन बच्चों के शरीर में चला गया था. इस कारण 4 से 5 साल के बच्चों में भी थायराइड कैंसर के मामले सामने आए थे.
कितना अहम है जेपोरीजिया पावर प्लांट?
- जेपोरीजिया न्यूक्लियर पावर प्लांट को 1984 से 1995 के बीच बनाया गया था. ये यूरोप का सबसे बड़ा और दुनिया का 9वां सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट है.
- इस पावर प्लांट में 6 रिएक्टर्स हैं. हर रिएक्टर से 950 मेगावॉट बिजली पैदा होती है, जबकि संयुक्त रूप से 5,700 मेगावॉट बिजली बनाई जाती है. इससे यूक्रेन की 25 फीसदी बिजली पैदा होती है.
- ये पावर प्लांट यूक्रेन की नाइपर नदी (Dnieper River) के पास बसे Enerhodar शहर में स्थित है. ये प्लांट डोनबास प्रांत से 200 किमी और राजधानी कीव से 550 किमी दूर है.