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Laaptaa Ladies Review: मजेदार है दो दुल्हनों के खोने की कहानी, कॉमेडी के साथ बढ़िया परफॉरमेंस करेंगी खुश

'लापता लेडीज' के नाम से ही साफ है कि कहानी दो लेडीज के बारे में होने वाली है. इन लेडीज की दिक्कत क्या है और कैसे ये लापता हो गई हैं, यही फिल्म में देखने वाली बात है. कैसी है किरण राव के निर्देशन में बनी ये फिल्म, पढ़िए हमारा रिव्यू और जानिए.

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स्पर्श श्रीवास्तव, रवि किशन
स्पर्श श्रीवास्तव, रवि किशन
फिल्म:लापता लेडीज
4/5
  • कलाकार : स्पर्श श्रीवास्तव, नितांशी गोयल, प्रतिभा रांटा, रवि किशन
  • निर्देशक :किरण राव

औरत होना मुश्किल चीज है. हम सभी इस बात को रोज किसी न किसी, कहीं न कहीं से सुनते हैं, लेकिन समझते कम ही हैं. हजारों सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी हमें यही सुना है कि औरत की पहचान उसके साथ के मर्द से होती है. वो अपने पति का नाम नहीं ले सकती, उसके कोई सपने नहीं हो सकते, हों भी तो पूरे नहीं हो सकते, मां-बाप को गरीबी मिटाने की जगह उसे शादी करनी होगी और अपनी पसंद-नापसंद बयां वो नहीं कर सकती. आज भी बहुत-सी छोटी जगहों पर ये होता है. डायरेक्टर किरण राव भी ऐसी ही किसी छोटे-से गांव में बसी दो औरतों की प्यारी-सी कहानी हमारे लिए लेकर आई हैं, जिसका नाम है 'लापता लेडीज'.

क्या है फिल्म की कहानी?

अब नाम से ही साफ है कि कहानी दो लेडीज के बारे में होने वाली है. इन लेडीज की दिक्कत क्या है और कैसे ये लापता हो गई हैं, यही फिल्म में देखने वाली बात है. 2001 में सेट 'लापता लेडीज' की कहानी सूरजमुखी नाम के गांव में रहने वाले दीपक (स्पर्श श्रीवास्तव) से शुरू होती है, जो अपनी नई ब्याही पत्नी फूल (नितांशी गोयल) को उसके गांव से विदाकर पहली बार ससुराल ले जा रहा है. लेकिन गलती से फूल ट्रेन में ही छूट जाती है और दीपक किसी दूसरी ही दुल्हन (प्रतिभा रांटा) को अपने घर ले आता है. घर पहुंचकर उसे जब पता चलता है तो उसके होश उड़ जाते हैं. अब दीपक क्या करेगा? फूल कहां है और क्या वो उसे कभी मिल पाएगी? और दीपक के साथ आ गई इस दूसरी दुल्हन का क्या सीन है, इसी के चारों ओर फिल्म को मजेदार ढंग से बुना गया है.

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ये फिल्म कॉमेडी, बढ़िया एक्टिंग और ड्रामा से भरी हुई है. इस सबके साथ डायरेक्टर किरण राव हल्के-फुल्के अंदाज में ऐसी भारी बातें फिल्म के जरिए कहती हैं कि आप सोचने पर मजबूर हो जाते हैं. काफी प्यार और मेहनत से किरण ने लापता लेडीज की दुनिया को तैयार किया है. ये पूरी फिल्म प्योर देसी है. छोटे गांव, उसमें रहने वाले देसी लोग, उनके रीति-रिवाज, खेती करते किसान, लापरवाह दरोगा, देसी दारू पीकर लल्लू से जोक मारते किरदार और मेहनत करती महिलाएं, सबकुछ. ये सब मिलकर इस फिल्म को एक 'फन वॉच' बनाता है.

किरण राव ने किया कमाल

किरण राव का निर्देशन काफी बेमिसाल है. सालों बाद वो डायरेक्टर की कुर्सी पर दोबारा बैठी हैं और लापता लेडीज देखकर आपको लगेगा कि वो इतने टाइम दूर क्यों थीं, क्योंकि किरण बढ़िया डायरेक्टर हैं और उन्हें और फिल्में बनानी चाहिए. इस फिल्म में कई बढ़िया जोक्स हैं. किरदारों के बीच की मस्ती, उनके बीच का रोमांस, परेशानी में पड़ना और फिर उसका निवारण ढूंढना सब काफी नेचुरल लगता है. फिल्म में छोटी-छूटी डिटेल्स हैं. दोनों खोई दुल्हनें अपनी जिंदगी में मिले दूसरे चांस से उसे सुधारने में लगी हैं, तो वहीं अपने आसपास की औरतों के लिए भी कुछ न कुछ कर रही हैं. वो खुद कुछ सीख रही है और अपने साथ दूसरों को भी उड़ने के लिए पंख दे रही हैं. ये सबकुछ होते हुए देखना काफी 'सूदिंग' लगता है. फिल्म की कहानी काफी सिंपल और बढ़िया है. इसमें कोई भाषणबाजी, मोनोलॉग वगैरह कुछ नहीं है. बस एक कहानी है, जिसे अपनी आंखों के सामने खुलते आपको देखना है और एन्जॉय करना है.

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नए स्टार्स हैं बेमिसाल

परफॉरमेंस की बात करें तो किरण राव के डायरेक्शन की तरह 'लापता लेडीज' के एक्टर्स का काम भी कमाल है. इस फिल्म में स्पर्श श्रीवास्तव, नितांशी गोयल और प्रतिभा रांटा ने लीड रोल निभाए हैं. स्पर्श, दीपक के किरदार में एकदम जबरदस्त हैं. उन्होंने प्यार में डूबे, अचानक से अपनी दुल्हन गवां बैठे दूल्हे के किरदार इतना बढ़िया निभाया है. उनके चेहरे का हर एक एक्सप्रेशन उनके अंदर चलने वाली बात को बयां करता है, जो देखना काफी अच्छा लगता है. 

फिल्म की दोनों लीडिंग लेडीज का काम भी कम नहीं है. फूल के रोल में नितांशी गोयल काफी क्यूट लगी हैं. भोली-भाली फूल को अपनी अम्मा से एक ही सीख मिली है कि दूसरे के घर को अपना कैसे बनाया जाए. ट्रेन में पति से बिछड़कर उसकी दुनिया ही उजड़ गई है ऐसे में फूल के अंदर की कशमकश को नितांशी अपनी प्यारी-सी आवाज और एक्टिंग टैलेंट से यूं बाहर निकालकर लाई हैं कि मजा आ गया. ऐसे ही दूसरी दुल्हन पुष्पा रानी के किरदार में प्रतिभा रांटा ने भी दिल खुश करने वाला काम किया है. प्रतिभा ने अपने किरदार के सस्पेंस को बरकरार रखते हुए दर्शकों का मनोरंजन किया है. उन्होंने पुष्पा के किरदार में जान डाली है.

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फिल्म का एक जरूरी किरदार है इंस्पेक्टर श्याम मनोहर, जिसे निभाया है रवि किशन ने. अपने हर नए प्रोजेक्ट के साथ रवि किशन साबित करते हैं कि वो फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बेहतरीन कलाकारों में से एक हैं. ऐसा कोई किरदार नहीं है, जिसे वो बखूबी निभा नहीं सकते. श्याम मनोहर के किरदार में उन्होंने रंग भरे हैं. उनके साथी अफसर के किरदार में 'पंचायत' सीरीज के बनराकस यानी एक्टर दुर्गेश कुमार हैं. दुर्गेश का काम काफी मजेदार है. छाया कदम ने इस फिल्म में अहम भूमिका निभाई है और जिस फ्रेम में वो थीं, वो हर फ्रेम कमाल था. 

गीता हैं इंडस्ट्री की मां 

लगता है कि इस वक्त गीता अग्रवाल शर्मा बॉलीवुड में मां के किरदार को निभाने के लिए नंबर वन चॉइस हैं. 'ओएमजी 2', '12वीं फेल', 'फाइटर' और 'ऑल इंडिया रैंक' के बाद अब 'लापता लेडीज' में भी उन्होंने दीपक की मां का किरदार निभाया है. भले ही गीता को अलग-अलग फिल्मों में सिमिलर रोल्स मिल रहे हों, लेकिन वो हर बार अपने किरदार को शिद्दत से निभा रही हैं, जिसकी तारीफ करना बनता है. गीता अग्रवाल शर्मा हर फ्रेम में कमाल करती हैं. उनका हर इमोशन, हर डायलॉग, हर फीलिंग आपके दिल तक पहुंचता है. यही बताता है कि वो कितनी बढ़िया एक्ट्रेस हैं.

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फिल्म की एडिटिंग और बैकग्राउंड स्कोर बढ़िया है. इसके गाने भी अच्छे हैं. 'लापता लेडीज' एक फैमिली एंटरटेनर है, जिसे आप अपने परिवार के साथ जाकर आराम से देख सकते हैं. आप इसे जरूर एन्जॉय करेंगे.

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