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उत्तराखंड मिशन 2022: CM धामी 22 हजार नौकरियों से जीत सकेंगे युवाओं का दिल?

उत्तराखंड में तीरथ रावत की जगह मुख्यमंत्री बनने वाले 45 साल के पुष्कर धामी युवा को साधने के दिशा में सक्रिय हो गए हैं और अपना राजनीतिक एजेंडा युवाओं के इर्द-गिर्द केंद्रित कर रखा है. ऐसे में धामी ने 22 हजार नौकरी निकालने की बात कह युवाओं का दिल जीतने की कोशिश की है, लेकिन यह आसान नहीं है.

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उत्तराखंड सीएम पुष्कर धामी
उत्तराखंड सीएम पुष्कर धामी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • उत्तराखंड में युवा मतदाता निर्णायक भूमिका में
  • CM पुष्कर धामी युवाओं को साधने में जुटे
  • लाखों युवाओं ने नौकरी के लिए किया पंजीकरण

उत्तराखंड में सात महीने के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं. बीजेपी ने युवा नेतृत्व और 60 प्लस के नारे के साथ 2022 के चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है. तीरथ रावत की जगह मुख्यमंत्री बनने वाले 45 साल के पुष्कर धामी युवाओं को साधने की दिशा में सक्रिय हो गए हैं और अपना राजनीतिक एजेंडा युवाओं के इर्द-गिर्द केंद्रित कर रखा है. 

मुख्यमंत्री धामी ने अपनी कैबिनेट की पहली ही बैठक में 22 हजार से ज्यादा खाली पदों को भरने का निर्णय लिया है. इससे साफ जाहिर है कि बीजेपी युवा नेतृत्व के सहारे उत्तराखंड के युवाओं का दिल जीतने में जुट गई है. लेकिन, बीजेपी के लिए यह आसान नहीं है. 

बीजेपी पांच साल पहले उत्तराखंड में बिना किसी चेहरे के चुनावी मैदान में उतरी थी. पार्टी को इसका फायदा मिला और उसने  57 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की. वहीं, 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 'खंडूड़ी है जरूरी' का नारा देकर अपने अनुभवी और बुजुर्ग राजनेता को चुनावी चेहरा बनाया था, लेकिन वह सफल नहीं रही. वहीं, 2022 के चुनाव के लिए पार्टी ने युवा चेहरे के साथ युवाओं को साधने की मुहिम शुरू की है. 

उत्तराखंड में करीब 57 प्रतिशत मतदाता युवा मतदाता हैं, जिनकी आयु 18 से 45 साल के बीच है. ऐसे में ये युवा मतदाता चुनाव में निर्णायक भूमिका हैं. लिहाजा पार्टी की नजर इन्हीं युवाओं पर है. इसी को देखते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कैबिनेट की पहली ही बैठक में 22 हजार से ज्यादा खाली पदों को भरने का निर्णय लिया ताकि युवाओं के सहारे 2022 की सियासी नैया पार लगाई जा सके. 

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उत्तराखंड में विभिन्न विभागों में सृजित, संविदा और आउटसोर्स के तकरीबन 50 हजार से ज्यादा पद खाली हैं. 14 ऐसे प्रमुख विभाग हैं जिनमें तकरीबन 30 हजार के करीब पद खाली पड़े हैं. सूबे की बीजेपी सरकार ने पिछले साढ़े 4 सालों में इन पदों को किसी माध्यम से भरने की जहमत नहीं उठाई. लेकिन, पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री पद संभालते ही 22 हजार पदों पर भर्ती का ऐलान कर दिया. इससे साफ संकेत है कि बीजेपी की नजर युवा मतदाताओं पर है. 

बता दें कि उत्तराखंड में 2016 से लेकर 2021 तक कुल साढ़े 42 लाख 32 हजार 383 लोगों ने रोजगार के लिए पंजीकरण कराया है, जिनमें से 20 हजार 47 लोगों को रोजगार मिला है. वहीं, 2020-21 में 8 लाख से ज्यादा बेरोजगार पंजीकृत हैं, जिनमें सिर्फ 1,398 लोगों को रोजगार मिला. ऐसे में सवाल उठता है कि जब साढ़े 4 साल में मात्र 20 हजार पदों पर ही नियुक्तियां की गई हैं तो 6 महीने में 22 हजार पदों पर नियुक्तियां कैसे की जाएंगी. बिहार चुनाव में रोजगार एक बड़ा मुद्दा बना था, इसे देखते हुए कई राज्य अभी से इसे लेकर सतर्क हैं. 

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग कड़ी मशक्कत के बाद एक साल में केवल 6 से 7 हजार पदों पर ही भर्ती करा पता है. इसके पीछे वजह यह है कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है, जिस वजह से बड़े स्तर पर भर्ती नहीं हो पाती है. इसके चलते राज्य में युवाओं के सामने रोजगार एक बड़ा चुनावी मुद्दा विपक्ष बना रहा है, जिसे देखते हुए पुष्कर धामी ने 22 हजार पदों पर भर्ती करने का फैसला किया है. 

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बीजेपी युवा वोटरों को साधने का लक्ष्य लेकर चल रही है, जो फिलहाल बेरोजगारी के कारण खासे व्यथित हैं. विपक्ष भी इस मुददे को धार देने में जुटा है. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने सवाल किया है कि सीएम बताएं कि वे 22 हजार पद कौन से होंगे जिन पर भर्तियों की घोषणा की गई है. हालांकि, मुख्यमंत्री भी युवाओं की अपेक्षा और नाराजगी से वाकिफ हैं. इसीलिए पहली कैबिनेट बैठक के बाद ही 22 हजार लोगों की नौकरी निकाली है, जिसे भर कर वो युवाओं को संदेश देना चाहते हैं. इसी के साथ उन्होंने इंटरव्यू में जवाब देते हुए में कहा है सरकारी नौकरियां सीमित हैं, लेकिन हम लाखों की संख्या में स्वरोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं. सरकार इस दिशा में प्रयास करेगी. 


 

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