चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नया फरमान जारी किया है. इसके मुताबिक चुनाव के नतीजे आने के 45 दिन बाद तक ईवीएम में सिंबल लोडिंग यूनिट को संरक्षित रखना होगा. आयोग ने सर्कुलर के जरिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इस आदेश का परिपालन करने का निर्देश दिया है. यानी अब 45 दिनों तक वीवीपैट की पर्ची ईवीएम के साथ सुरक्षित रखी जाएगी.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने पिछले दिनों ही अपने आदेश में ईवीएम और VVPAT के आंकड़ों और पर्चियों के शत प्रतिशत मिलान की गुहार खारिज करते हुए ये निर्देश दिया था कि ईवीएम के सिंबल लोडिंग यूनिट को चुनाव याचिकाओं के मद्देनजर 30 की बजाय 45 दिनों तक स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित और संरक्षित रखा जाए.
बुधवार को एक बयान में चुनाव आयोग ने कहा कि सभी राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को प्रतीक लोडिंग इकाइयों (एसएलयू) के संचालन और भंडारण के लिए नए प्रोटोकॉल को लागू करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और प्रावधान बनाने का निर्देश दिया गया है.
आयोग ने कहा, "जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है, संशोधित प्रोटोकॉल 1 मई, 2024 को या उसके बाद VVPAT में प्रतीक लोडिंग प्रक्रिया के पूरा होने के सभी मामलों में लागू होते हैं."
बता दें कि एसएलयू किसी विशेष सीट पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों का नाम और प्रतीक वीवीपैट या पेपर ट्रेल मशीनों पर अपलोड करता है. अब इसे 45 दिन तक ईवीएम के साथ स्ट्रॉन्ग रूमें सुरक्षित रखा जाएगा. चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद इन 45 दिनों में, लोग चुनाव को चुनौती देते हुए संबंधित हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट द्वारा ईवीएम और वीवीपैट पर्चियां मंगाई जा सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये आदेश
बता दें कि याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT पर दो महत्वपूर्ण निर्देश दिए थे. पहला निर्देश यह है कि सिंबल लोडिंग प्रोसेस पूरी होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट (SLU) को सील किया जाना चाहिए और इसे 45 दिन तक सुरक्षित रखा जाना चाहिए. और दूसरा निर्देश ये था कि चुनाव के नतीजे में दूसरे और तीसरे नंबर पर आए उम्मीदवार चाहें तो परिणाम आने के सात दिन के भीतर दोबारा जांच की मांग कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में इंजीनियरों की एक टीम द्वारा माइक्रो कंट्रोलर की मेमोरी की जांच की जाएगी.
हालांकि कोर्ट ने कहा था कि वीवीपैट वेरिफिकेशन का खर्चा उम्मीदवारों को खुद ही उठाना पड़ेगा. यदि ईवीएम में गड़बड़ी पाई जाती है तो खर्च वापस कर दिया जाएगा. जस्टिस दत्ता का कहना था कि किसी सिस्टम पर आंख मूंदकर संदेह करना ठीक नहीं है. लोकतंत्र, सभी स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास बनाए रखने के बारे में है. विश्वास और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देकर हम अपने लोकतंत्र की आवाज को मजबूत कर सकते हैं.