लोकसभा चुनाव के लिए मैदान सज चुका है और राजनीतिक दल मोहरे सेट करने में जुटे हैं. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और विपक्षी कांग्रेस की अगुवाई वाला इंडिया ब्लॉक चुनावी रणभूमि में उतरने के लिए कमर कस चुके हैं. हिंदी बेल्ट के मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में इन दोनों दलों का सीधा मुकाबला है तो वहीं यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल से लेकर महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश तक, कई राज्य ऐसे भी हैं जहां क्षेत्रीय पार्टियां मुख्य मुकाबले में हैं.
क्षेत्रीय दलों के मुकाबले वाले राज्यों की बात करें तो कई पार्टियां कांग्रेस से ही निकली हैं. कौन-कौन से राज्यों में कांग्रेस से निकली पार्टियां मेन प्लेयर हैं? महाराष्ट्र से लेकर आंध्र प्रदेश और नगालैंड से लेकर पुडुचेरी तक के नाम इस लिस्ट में हैं. आइए, नजर डालते हैं ऐसे ही कुछ राज्यों और कुछ पार्टियों पर.
महाराष्ट्र में एनसीपी
लोकसभा सीटों के लिहाज से महाराष्ट्र, यूपी के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है. महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं और दो पार्टियां ऐसी हैं जिनके एक-एक धड़े बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों की अगुवाई वाले गठबंधन में शामिल हैं. इन्हीं दो में से एक पार्टी है राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानि एनसीपी. एनसीपी (शरद पवार) का कांग्रेस से गठबंधन है तो वहीं एनसीपी सत्ताधारी गठबंधन में है जिसकी अगुवाई अजित पवार कर रहे हैं. शरद पवार और पीए संगमा ने 1999 में कांग्रेस से किनारा कर एनसीपी बनाई थी. अविभाजित एनसीपी को 2019 के चुनाव में चार सीटों पर जीत मिली थी. एनसीपी, बीजेपी और शिवसेना के बाद सूबे में सीटों के लिहाज से तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी.
पश्चिम बंगाल में टीएमसी
पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) भी कांग्रेस से ही निकली है. ममता बनर्जी ने 1998 में कांग्रेस छोड़कर टीएमसी का गठन किया था. 2011 से ही सूबे की सत्ता पर काबिज टीएमसी को पिछले चुनाव में 22 सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी 18 सीटें जीतकर दूसरे नंबर पर रही थी जबकि कांग्रेस दो सीटें जीती थी. सूबे में लोकसभा की 42 सीटें हैं. ममता बनर्जी पटना में हुई पहली बैठक से दिल्ली में हुई अंतिम बैठक तक विपक्षी इंडिया ब्लॉक के मंच पर नजर आईं लेकिन चुनाव से ऐन पहले अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. टीएमसी ने पश्चिम बंगाल की सभी 42 सीटों से अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है.
आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने साल 2011 में कांग्रेस छोड़कर वाईएसआर कांग्रेस नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली थी जो अभी सूबे की सत्ता पर भी काबिज है. आंध्र प्रदेश में लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं और 2019 के आम चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस को 22 सीटों पर जीत मिली थी.
नगालैंड में एनपीपी
नेफ्यू रियो ने कांग्रेस छोड़ 2003 में अपनी पार्टी बनाई और नाम दिया नगालैंड पीपुल्स फ्रंट यानि एनपीपी. नगालैंड में एनपीपी और बीजेपी की गठबंधन सरकार है. पूर्वोत्तर के इस राज्य में लोकसभा की एक सीट है जहां से 2019 में एनपीपी के उम्मीदवार को जीत मिली थी. कांग्रेस उम्मीदवार को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था.
पुडुचेरी में एनआर कांग्रेस
केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के मुख्यमंत्री एन रंगासामी की पार्टी एनआर कांग्रेस भी कांग्रेस से ही निकली है. 2001 में कांग्रेस सत्ता में आई तब रंगासामी पहली बार पुडुचेरी के सीएम बने थे. 2006 में भी कांग्रेस सरकार रिपीट हुई और सरकार की कमान रंगासामी के हाथ ही रही. रंगासामी के दूसरी बार सीएम बनने के बाद नारायणसामी ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया. कांग्रेस ने अगस्त 2008 में रंगासामी की जगह वी वैद्यलिंगम को सीएम बना दिया. 2011 में रंगासामी ने एनआर कांग्रेस नाम से अपनी पार्टी बना ली और 2019 के लोकसभा चुनाव में इस केंद्र शासित प्रदेश की एकमात्र सीट से उनकी पार्टी के उम्मीदवार को जीत मिली थी. एनआर कांग्रेस फिलहाल बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में है.
इन पार्टियों के नाम में भी कांग्रेस
आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस से 50 से अधिक पार्टियां निकली हैं. उनमें से कइयों का कांग्रेस या दूसरी पार्टियों में विलय हो गया तो कुछ अब भी सक्रिय हैं. छत्तीसगढ़ में अजित जोगी ने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस नाम से पार्टी बनाई थी जो सूबे की सियासत में अब भी एक्टिव है. अजीत जोगी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के नेतृत्व वाली पहली सरकार में सीएम रहे थे.
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महाराष्ट्र की विदर्भ जनता कांग्रेस भी कांग्रेस से ही निकली है. जंबूवंतराव धोते ने 2002 में कांग्रेस से किनारा कर यह पार्टी बनाई थी. पश्चिम बंगाल में सुकुमार रॉय ने 1971 में कांग्रेस छोड़ बिप्लोबी बांग्ला कांग्रेस नाम से पार्टी बनाई थी जो लेफ्ट फ्रंट का हिस्सा है.
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दक्षिण भारत के राज्यों की बात करें तो 2014 में जीके वासन ने तमिल मनीला कांग्रेस का गठन किया था. साल 1964 में कांग्रेस से टूटकर केरल कांग्रेस अस्तित्व में आई थी. केरल कांग्रेस से भी सात पार्टियां निकलीं जिनके नाम में एक शब्द कॉमन है- केरल कांग्रेस. कांग्रेस से निकली केरल कांग्रेस से टूटकर बनी ये पार्टियां हैं- केरल कांग्रेस (मणि), केरल कांग्रेस (जैकब), केरल कांग्रेस (बी), केरल कांग्रेस (डेमोक्रेटिक), केरल कांग्रेस (सकारिया थॉमस), केरल कांग्रेस (थॉमस), केरल कांग्रेस (नेशनलिस्ट). 2024 के चुनाव में इनमें से कई पार्टियां ताल ठोकती नजर आ सकती हैं.