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Etawah Lok Sabha Chunav Result 2019: रामशंकर कठेरिया जीते, सपा के कमलेश कुमार को शिकस्त दी

Lok Sabha Chunav Etawah Result 2019:17वीं लोकसभा चुनाव के तहत उत्तर प्रदेश की इटावा सीट पर सभी की निगाहें है. इटावा संसदीय सीट पर मतगणना की प्रकिया चल रही है. इस सीट पर सपा, बीजेपी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है.

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Etawah Lok Sabha Election Result 2019
Etawah Lok Sabha Election Result 2019

17वीं लोकसभा चुनाव के तहत उत्तर प्रदेश की इटावा पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष बीजेपी उम्मीदवार रामशंकर कठेरिया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी गठबंधन उम्मीदवार सपा के कमलेश कुमार को 64437 मतों से पराजित किया है. इस सीट पर सपा, बीजेपी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिखा.

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कब  और  कितनी  हुई  वोटिंग

इटावा  सीट  पर  वोटिंग चौथे चरण  में 29 अप्रैल  को  हुई  थी,  इस सीट पर 58.46  फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार  का  इस्तेमाल  किया  था. इस सीट पर कुल  1752343 मतदाता हैं, जिसमें से 1024472 मतदाताओं ने अपने वोट डाले हैं.

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कौन-कौन  हैं  प्रमुख  उम्मीदवार

अनुसूचित जाति के आरक्षित वाली इस सीट  पर  यूं  तो  सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी राम शंकर कठेरिया चुनाव लड़ रहे है, जिनका मुख्य मुकाबला सपा की कमलेश कुमार और कांग्रेस के अशोक कुमार दोहरे से है. इस सीट पर कुल 13 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.

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2014 का चुनाव

2014 के लोकसभा चुनाव में इटावा सीट पर 55.04 फीसदी वोटिंग हुई थी, जिसमें बीजेपी प्रत्याशी अशोक दोहरे 46.71 फीसदी (4,31,646) वोट मिले थे और और उनके निकटतम सपा प्रत्याशी प्रेमदास कठेरिया 28.38 फीसदी 2,66,700)  मिले थे. इसके अलावा बसपा की अजय जाटव को 20.51 फीसदी (1,92,804) वोट मिले थे. इस सीट पर बीजेपी के अशोक दोहरे ने 1,72,946 मतों से जीत दर्ज की थी.

इटावा का इतिहास

इटावा लोकसभा सीट पर अभी तक कुल 17वीं बार लोकसभा चुनाव हो रहे हैं. अभी तक के चुनाव में चार-चार बार सपा और कांग्रेस ने जीत हासिल की जबकि दो बार बीजेपी, एक-एक बार बसपा, जनता दल, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय लोकदल और सोशलिस्ट पार्टी ने जीत दर्ज की है.

1952 में पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के तुला राम ने जीत हासिल की. इसके बाद 1957 में सोशलिस्ट पार्टी के अर्जुन सिंह भदौरिया ने और 1962 में कांग्रेस के जीएन दीक्षित चुनाव जीते, लेकिन 1967 में अर्जुन सिंह भदौरिया संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर जीतने में कामयाब रहे. 1971 में कांग्रेस ने वापसी की और शंकर तिवारी सांसद बने.

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