'प्रधानमंत्री जी, पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र की जनता की ओर से, हम आपको पूर्णिया हवाई अड्डे के उद्घाटन के लिए धन्यवाद देते हैं. लेकिन जब मखाना किसानों के संघर्ष की बात आती है, तो केवल हमारे नेता राहुल गांधी ही हैं जो उनके दर्द को सही मायने में समझते हैं. दूसरी ओर, आप और आपकी सरकार, बस उन्हें तकलीफ़ देना ही जानते हैं.' पूर्वी बिहार के सीमांचल में पूर्णिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए हवाई अड्डे का उद्घाटन किया. इसके कुछ घंटे बाद गर्व से भरे राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने एक्स पर यह बयान पोस्ट किया था.
पीएम के साथ फोटो वायरल
इस पोस्ट से कुछ ही घंटे पहले 15 सितंबर को उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच साझा किया था और हल्की-फुल्की बातचीत भी की, जिस पर प्रधानमंत्री खिलखिलाकर हंस पड़े थे. लेकिन पप्पू यादव के इस प्रदर्शन का असर कई लोगों की कल्पना से कहीं ज़्यादा था.
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पूर्णिया से निर्दलीय सांसद, जिन्होंने राहुल गांधी के प्रति निष्ठा की शपथ ली है और अपनी पार्टी (जेएपी-एल) का कांग्रेस में विलय भी कर दिया है, अपना अलग ही खेल खेल रहे हैं. कांग्रेस से राज्यसभा सांसद और पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन कौर अब उनसे अलग हो चुकी हैं. पप्पू यादव अपने निर्दलीय होने के टैग का पूरा फायदा उठाते दिख रहे हैं. यह कोई हैरानी की बात नहीं कि छह बार के सांसद पप्पू यादव, दोनों पक्षों- एनडीए और महागठबंधन से फायदे की उम्मीद रखते हैं.
कांग्रेस से मोल-भाव की कोशिश?
कई लोगों को पप्पू यादव की चाल बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाने की एक ज़बरदस्त सौदेबाज़ी लगती है. इससे सवाल उठता है कि क्या निर्दलीय सांसद पप्पू यादव कांग्रेस को चालाकी से मात देकर उसे 'पप्पू' (मूर्ख बनाने के लिए प्रचलित कहावत) बना रहे हैं?
पप्पू यादव की राजनीति पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्णिया के लेखक और कॉलमिस्ट गिरिंद्रनाथ झा ने कहा, हमारे निर्दलीय सांसद ने प्रधानमंत्री को हंसाया! इस ट्वीट के साथ, पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने दिखा दिया है कि उन्हें मोदी और राहुल गांधी, दोनों से बराबर लगाव है. मोदी एयरपोर्ट के लिए, राहुल मखाने के लिए! निर्दलीय होने का असली फ़ायदा तो हमारे सांसद ख़ुद उठा रहे हैं!'
बीजेपी ने याद दिलाया 'अपमान'
अन्य लोगों, जिनमें अधिकतर बीजेपी नेता और सदस्य थे, ने बिहार में राहुल गांधी की रैली के मंच से पप्पू यादव को 'अभद्र' तरीके से हटाए जाने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा, जबकि मोदी ने आलोचनाओं के बावजूद सौहार्दपूर्ण तरीके से उनका अभिवादन किया.
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने एक्स पर लिखा, 'प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी या तेजस्वी यादव के बीच अंतर... नामदार नवाबजादे ने पप्पू यादव को कई बार मंच और गाड़ी से धक्का दिया और बेइज्जत किया. दूसरी ओर, नरेंद्र मोदीजी पर की गई तीखी आलोचनाओं के बावजूद, पप्पू यादव को कल मंच पर एक प्रमुख और सम्मानजनक स्थान मिला.'
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हालांकि पप्पू यादव का रुख बीजेपी के उलट, तुष्टिकरण का संकेत नहीं देता है. लेकिन यह इस अनुभवी नेता को चुनावों से पहले निर्दलीय होने का फायदा उठाने से नहीं रोक पाया होगा. जहां वह अपने समर्थकों के लिए टिकट की उम्मीद कर रहे हैं, जबकि एक साल पहले उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों में जेडीयू सांसद संतोष कुशवाहा और आरजेडी की बीमा भारती को हराया था. एक साल बाद पप्पू यादव राजनीतिक मांगों पर और भी मुखर हो गए हैं और एक बड़ी भूमिका की तलाश में हैं.
पूर्णिया एयरपोर्ट के उद्घाटन के मौके पर पप्पू यादव ने प्रधानमंत्री मोदी से बात की, मंच से एनडीए के कई नेताओं को धन्यवाद दिया और पूर्णिया के लिए कुछ मांगें भी रखीं, जो आंशिक रूप से पूर्णिया लोकसभा सीट को घेरता है.
अस्सलामु-अलैकुम से प्रणाम तक
सबसे पहले, उद्घाटन समारोह में पप्पू यादव का संबोधन 'प्रणाम गोर लगियेचिये तोरा सब किये" (आप सभी को नमस्कार और सम्मान) के साथ शुरू हुआ, जो पिछले महीने राहुल गांधी के साथ बिहार रैली से बिल्कुल अलग था. जहां उन्होंने एक खुली छत वाली गाड़ी पर तेजस्वी यादव के साथ 'अस्सलामु-अलैकुम' के साथ शुरुआत की थी, जो कि अरबी में अभिवादन का एक तरीका है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार और अन्य नेताओं के बैठने के बाद, पप्पू यादव तेज़ी से पीएम मोदी की कुर्सी के पीछे गए, सम्मान में झुके और कुछ देर तक बातचीत की, जिस पर प्रधानमंत्री हंस पड़े. शुरुआती नमस्कार-हास्य के बाद, उनके भाषण का समय आया.
निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा, 'पूर्णिया एयरपोर्ट सीमांचल और कोसी के लोगों की जीत है. इसके लिए मैं प्रधानमंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूं और हमारे ईमानदार मुख्यमंत्री का स्वागत करता हूं. हमारे सपनों में हमारे साथ खड़े रहने के लिए मैं तहे दिल से आपका शुक्रिया अदा करता हूं. आप हमारे सपने के साथ खड़े रहे.' उन्होंने कहा, 'जब भी आप विकास का समर्थन करेंगे, पप्पू यादव आपके साथ खड़े होंगे. मैं आपसे वादा करता हूं.'
पूर्णिया के लिए रखीं पांच मांगें
इसके बाद उनके लिए अपनी पांच मांगों को आगे बढ़ाने का समय आ गया, जिनमें कठोर बांधों के जरिए बाढ़ नियंत्रण, पूर्णिया के लिए हाई कोर्ट की एक बेंच, शहर को उप-राजधानी का दर्जा देना, एम्स का निर्माण और एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम शामिल थे. उन्होंने कहा, 'मैंने कभी राजनीति नहीं की, सिर्फ़ विकास के लिए काम किया है.' अन्य मांगों पर, जिन्हें उन्होंने 'भीख' कहा, उन्होंने मखाना, मक्का और तिलकुट, जो बिहार की दो GI-टैग वाली उपज हैं, पर जीरो टैक्स लगाने की मांग की.
एयरपोर्ट के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्र में वंदे भारत और अमृत भारत ट्रेनों, नई रेल लाइनों और एक एक्सप्रेसवे का भी उद्घाटन किया. पप्पू यादव ने 15 सितंबर को मांगे पूरी होने का श्रेय आंशिक रूप से खुद को दिया. तो पप्पू यादव, जो अब बिहार में जमीनी स्तर पर सक्रिय हैं और जिन्होंने आरजेडी के साथ खराब संबंधों को खत्म करने का संकेत दिया है, के इस राजनीतिक रुख का क्या मतलब है?
निर्दलीय रहते हुए भी उन्होंने कांग्रेस और राहुल गांधी के प्रति अपनी निष्ठा जताई है. उनके लिए, कांग्रेस ही अब सबसे उपयुक्त मंच है, और शायद उन्हें यह बात पता भी है. कांग्रेस नेतृत्व ने भी उनके प्रति काफ़ी हद तक समर्थन जताया है. महीनों पहले, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सांसद सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद, पप्पू यादव, जिन्होंने राहुल गांधी के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त की थी, ने कहा था कि वह 'बिहार में कठिन भूमिका' निभाने के लिए तैयार हैं.
बिहार में बड़ी भूमिका की तलाश
ऐसे में बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले पप्पू यादव के हौसले बुलंद हैं. गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई से मुकाबला करने और कोसी-सीमांचल के राजनीतिक क्षेत्र (अररिया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार की 31 विधानसभा सीटें) में एक बड़ी भूमिका पर नजर रखने के बाद वह उत्साहित हैं.
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, जिन्हें उन्होंने 'जननायक' भी कहा था, के साथ मतभेद दूर करने के बाद, पार्टी के पूर्व सदस्य पप्पू यादन अब बड़े लक्ष्य साध रहे हैं, और लगातार राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम ले रहे हैं. आगामी विधानसभा चुनावों में सीमांचल की 24 सीटें, जिनमें से कई मुस्लिम बहुल हैं और पारंपरिक रूप से कांग्रेस के लिए मजबूत हैं, पप्पू यादव, ग्रैंड ओल्ड पार्टी और आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के लिए काफी अहम हैं.
विपक्षी गठबंधन 2020 के विधानसभा चुनावों के अपने प्रदर्शन को बेहतर करने की कोशिश करेगा, जहां उसने सीमांचल में कुल 17 सीटें जीती थीं, जिसमें आरजेडी, कांग्रेस और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन ने प्रमुख मुस्लिम बहुल सीटों पर कब्जा किया था.
निर्दलीय होने का उठा रहे फायदा?
राहुल गांधी की यात्रा ने बिहार में एनडीए में हलचल मचा दी है और एनडीए को गठबंधन की एकता मजबूत करने पर मजबूर कर दिया है. वहीं पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी उतनी ही चतुराई और कुशलता से काम कर रहे हैं. सार्वजनिक रूप से कांग्रेस और राहुल गांधी के साथ जुड़े होने के कारण, उनका निर्दलीय होने का ठप्पा उन्हें बिना किसी तात्कालिक राजनीतिक जोखिम के प्रधानमंत्री मोदी सहित एनडीए नेताओं के साथ सौहार्दपूर्ण ढंग से जुड़ने का मौका देता है.
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पप्पू यादव के कदम बिहार विधानसभा चुनावों से पहले अधिकतम लाभ उठाने की एक सोची-समझी रणनीति का संकेत देते हैं. उनके क्षेत्र सीमांचल की प्रमुख सीटें दांव पर होने के कारण, यादव का यह तरीका दोनों खेमों को सतर्क और यकीनन सतर्क रखते हुए बड़ी रियायतें दिलाने की संभावना रखता है. अब सवाल यह है कि क्या कांग्रेस उन्हें एक वफादार सहयोगी के रूप में देखती है या पप्पू यादव बिहार चुनावों से पहले जितना हो सके उतना लाभ उठाने के लिए चुपचाप इस सबसे पुरानी पार्टी को 'पप्पू' बना रहे हैं.