बिहार विधानसभा के पहले चरण में 121 विधानसभा सीटों के लिए 6 नवंबर को वोट डाले जाने हैं. पहले चरण की सीटों पर चुनाव प्रचार का शोर थम चुका है. सभी को सुनने और गुनने के बाद मतदाता अपना फैसला किस दल के पक्ष में ईवीएम में कैद करेंगे? अब इंतजार इस बात का है. प्रचार थमने से मतदान के बीच इंतजार की इन घड़ियों में बात राजनीतिक दलों और गठबंधनों के ताकत-कमजोरी की भी हो रही है.
पहले चरण के मतदान से पहले जानते हैं सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और विपक्षी महागठबंधन की ताकत, कमजोरी, अवसर और खतरे यानी SWOT. सबसे पहले बात सत्ताधारी एनडीए की.
ताकत (Strength)
-जंगलराज बनाम सुशासनः एनडीए का पूरा प्रचार जंगलराज के नैरेटिव पर रहा. एनडीए रणनीति इस चुनाव को 1990-2005 के बीच आरजेडी के 15 वर्षों के शासन बनाम नीतीश कुमार सरकार के सुशासन के बीच की लड़ाई बनाने की रही.
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-प्रभावी नेतृत्व: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में लोकप्रिय नेता हैं. मोदी और नीतीश दोनों ने कई रैलियां की हैं, जिनमें भारी भीड़ उमड़ी. खासकर महिलाओं की. सरकार ने 1.25 करोड़ से अधिक महिलाओं को 10 हजार नकद दिए हैं.
-विकास एजेंडा: एनडीए ने घोषणापत्र एक करोड़ रोज़गार सृजन, महिला सशक्तिकरण, किसानों और बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्रित है. सत्ताधारी गठबंधन को इन वादों का लाभ मिलने की उम्मीद है.
-जातिगत संतुलन: एनडीए को अगड़ी-गैर यादव ओबीसी और ईबीसी के साथ ही दलित-महादलित समीकरण से जीत का भरोसा है.
कमजोरी (Weakness)
-नीतीश कुमार की स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य पर संशय एनडीए की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है.
-आंतरिक असंतोष: जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा जैसे छोटे गठबंधन सहयोगियों ने सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर असंतोष व्यक्त किया है.
-रोजगार सृजन: रोज़गार सृजन एनडीए सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. राज्य के युवाओं के बीच बेरोजगारी और पलायन का मुद्दा गूंज रहा है.
अवसर (Opportunities)
-सत्ता-विरोधी भावना: 2020 के विधानसभा चुनाव के समय नीतीश कुमार के खिलाफ जैसी सत्ता-विरोधी लहर दिखाई दे रही थी, इस बार वैसी लहर नहीं दिख रही. तेजस्वी यादव अकेले ही महागठबंधन के अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं और उन्हें कांग्रेस से बहुत कम समर्थन मिलता नजर आ रहा है.
-महिलाओं का इमोशनल कनेक्ट: नीतीश कुमार की सरकार के महिला सशक्तिकरण की योजनाओं के कारण इमोशनल कनेक्ट का लाभ एनडीए को मिल सकता है.
खतरा (Threat)
-महागठबंधन की एकजुटता: तेजस्वी यादव के नेतृत्व में मज़बूत नेतृत्व दिखाते हुए महागठबंधन मजबूत चुनौती पेश कर रहा है.
-जातिगत गतिशीलता: जातिगत दलबदल और बदलते समीकरण एनडीए की संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं, खासकर अगर निषाद और वैश्य वोट महागठबंधन को मिलते हैं.
-प्रशांत किशोर: प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी एनडीए के वोटों में, खासकर प्रभावशाली जातियों के वोटों में सेंधमारी कर सकती है.
महागठबंधन का SWOT एनालिसिस
ताकत (Strength)
-संयुक्त गठबंधन: महागठबंधन ने आखिरकार एक संयुक्त मोर्चा पेश किया है, जिसमें तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद के चेहरे और मुकेश सहनी उपमुख्यमंत्री पद के चेहरे हैं.
-युवा आकर्षण: तेजस्वी यादव को युवा चेहरा बनाकर आरजेडी ने रणनीतिक रूप से युवा मतदाताओं को लक्षित किया है, जो विधानसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण फैक्टर होंगे.
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-सत्ता विरोधी फैक्टर्स: महागठबंधन बेरोजगारी, अपराध और शिक्षा को लेकर जनता के असंतोष का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है, जो उनके पक्ष में काम कर सकता है.
-मजबूत क्षेत्रीय मौजूदगी: सीमांचल जैसे क्षेत्रों में महागठबंधन की मजबूत मौजूदगी है, जहां उन्होंने नए चेहरे उतारे हैं और मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए आक्रामक रूप से काम कर रहे हैं.
कमजोरी (Weakness)
-आंतरिक तनाव: राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के बीच प्रतिद्वंद्विता और सीट बंटवारे के विवाद की वजह से कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन कमजोर पड़ा है. जब तेजस्वी को महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया गया था, तब राहुल गांधी की अनुपस्थिति को लेकर भी सवाल उठे थे.
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-स्पष्टता का अभाव: महागठबंधन का सीट बंटवारे का समीकरण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है. कम से कम 10 सीटें ऐसी हैं जहां महागठबंधन के सहयोगी चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं.
-कमजोर कांग्रेस की रणनीति: 2020 में कांग्रेस का कमज़ोर प्रदर्शन और मज़बूत नेतृत्व का अभाव गठबंधन की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है. कांग्रेस महागठबंधन में कमजोर कड़ी बनी हुई है और विपक्षी गठबंधन की संभावनाएं बहुत हद तक ग्रैंड ओल्ड पार्टी के प्रदर्शन पर भी निर्भर करेंगी.
अवसर (Opportunities)
-एनडीए से असंतोष: एनडीए के 20 साल के शासन ने व्यापक असंतोष को जन्म दिया है, जिसका महागठबंधन फायदा उठा सकता है.
-युवाओं में बेरोजगारी: बिहार में युवाओं की उच्च बेरोजगारी दर महागठबंधन को युवा मतदाताओं से जुड़ने का अवसर प्रदान करती है.
खतरा (Threat)
-जंगलराज का नैरेटिव: एनडीए का पूरा प्रचार पक्ष में एक प्रबल लहर है, लोग इस चुनाव को सुशासन और कुशासन के बीच की लड़ाई के रूप में देख रहे हैं.
-प्रशांत किशोर: प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी सत्ता-विरोधी वोटों को विभाजित कर सकती है. ऐसा हुआ तो नुकसान महागठबंधन की संभावनाओं को पहुंच सकता है.