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महाराष्ट्र का वोटिंग पैटर्न क्यों चौंका रहा, झारखंड में क्या सरप्राइज है? वोटिंग ट्रेंड के संकेत क्या

महाराष्ट्र में मतदान का पिछले 29 साल का रिकॉर्ड टूट गया है तो वहीं झारखंड के जामताड़ा में भी 77 फीसदी वोटिंग हुई है. दोनों ही राज्यों में हाई टर्नआउट किस तरफ इशारा करता है और ट्रेंड क्या कहते हैं?

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन (फोटोःPTI)
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन (फोटोःPTI)

महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव का शोर मतदान के साथ ही थम गया है. वोटिंग के बाद मतगणना की बारी है. 23 नवंबर को वोटों की गिनती होगी और चुनाव नतीजे आएंगे लेकिन उससे पहले राजनीतिक दल अब विधानसभावार वोटिंग पैटर्न को लेकर समीक्षा बैठकें कर अपनी संभावनाओं की स्थिति टटोलने में जुट गए हैं. एग्जिट पोल अनुमानों में महाराष्ट्र और झारखंड, दोनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले गठबंधन की सरकार बनने के अनुमान जताए गए हैं लेकिन बात वोटिंग पैटर्न को लेकर भी हो रही है.

महाराष्ट्र में टूटा 29 साल का रिकॉर्ड

देर रात तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में 65 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है. महाराष्ट्र में मतदान का ये आंकड़ा साल 1995 के बाद विधानसभा या लोकसभा, किसी भी चुनाव में सबसे अधिक है. साल 1995 के महाराष्ट्र चुनाव में 71.7 फीसदी मतदान हुआ था लेकिन इसके बाद विधानसभा के चुनाव हों या लोकसभा के, 70 की कौन कहे टर्नआउट कभी 65 का आंकड़ा भी नहीं छू पाया था. 2019 के पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो सूबे में 61.4 फीसदी वोटिंग हुई थी. साल 1999 में 60.9, साल 2004 में 63.4, साल 2009 में 59.6, 2014 के विधानसभा चुनाव में 63.3 और 2019 में 61.4 फीसदी मतदान हुआ था.

लोकसभा चुनावों की बात करें तो हालिया लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की सीटों पर 61.5 फीसदी मतदान हुआ था. महाराष्ट्र में साल 1996 के आम चुनाव में 52.4, 1998 में 57.1 और साल 1999 में 61 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले थे. साल 2004 में 54.3, साल 2009 के आम चुनाव में 50.5 और 2014 में महाराष्ट्र की लोकसभा सीटों पर 60.4 फीसदी वोटिंग हुई थी.

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झारखंड में भी हाई टर्नआउट

झारखंड की बात करें तो सूबे की 81 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में मतदान हुआ. पहले चरण की 43 विधानसभा सीटों पर 66.65 फीसदी मतदान हुआ था जो 2019 में हुए पिछले चुनाव के मुकाबले 2.9 फीसदी अधिक है. दूसरे चरण की 38 विधानसभा सीटों पर देर रात तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 68 फीसदी से अधिक मतदान हुआ है. इन सीटों पर पिछले विधानसभा चुनाव में 66.9 फीसदी मतदान हुआ था. झारखंड चुनाव के दूसरे चरण की सीटों पर मतदान के मामले में जामताड़ा अव्वल रहा. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार जामताड़ा में 77 फीसदी से अधिक मतदान हुआ है.

महाराष्ट्र के वोटिंग पैटर्न का संकेत क्या

चुनाव विधानसभा के हों या लोकसभा के, हाई टर्नआउट को परिवर्तन का संकेत माना जाता है. महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक इस बार हाई टर्नआउट देखने को मिला है. हालांकि, कई बार हाई टर्नआउट के बावजूद सत्ताधारी दल सत्ता बचा ले जाते हैं. इसके पीछे कई फैक्टर काम करते हैं और जानकार भी तीन फीसदी तक मार्जिन ऑफ एरर लेकर चलते हैं यानि अगर मतदान प्रतिशत में तीन फीसदी तक का इजाफा होता है तो यह जरूरी नहीं कि मतदाताओं ने परिवर्तन के लिए ही वोट किया हो. 1999 से 2019, महाराष्ट्र का चुनावी अतीत भी यही बता रहा है.

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साल 2004 का चुनाव छोड़ दें तो जब-जब टर्नआउट बढ़ा है, महाराष्ट्र में तब-तब सरकार बदली है. 2004 में टर्नआउट बढ़ने के बावजूद सत्ताधारी गठबंधन ने फिर से सरकार बनाई थी. तब टर्नआउट में इजाफा तीन फीसदी से कम ही था जो मार्जिन ऑफ एरर के दायरे में ही आता है. साल 1999 के चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और शरद पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ गठबंधन कर सरकार बनाया था. 2004 में टर्नआउट पिछले चुनाव के मुकाबले 2.5 फीसदी बढ़ा लेकिन गठबंधन सत्ता बरकरार रखने में सफल रहा था.

साल 2009 में टर्नआउट करीब चार फीसदी कम हुआ और कांग्रेस-एनसीपी की सरकार बनी लेकिन 2014 में टर्नआउट 3.7 फीसदी बढ़ा और बीजेपी-शिवसेना की सरकार बनी. 2019 में करीब दो फीसदी की गिरावट सत्ताधारी गठबंधन के पक्ष में गई थी. महाराष्ट्र चुनाव में इस बार का टर्नआउट पिछले चुनाव के मुकाबले करीब चार फीसदी ज्यादा है. ऐसे में देखना होगा कि टर्नआउट बढ़ने पर सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड बरकरार रहता है या इस बार टूट जाता है.

क्यों चौंका रहा महाराष्ट्र का वोटिंग पैटर्न?

महाराष्ट्र का वोटिंग पैटर्न इसलिए चौंका रहा है, क्योंकि एग्जिट पोल नतीजों के अनुमान ट्रेंड के उलट हैं. महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव को लेकर सामने आए एग्जिट पोल नतीजों में दोनों ही राज्यों में बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन की जीत के अनुमान जताए गए हैं. महाराष्ट्र की बात करें तो सत्ताधारी महायुति को MATRIZE के एग्जिट पोल में 150 से 170, Chanakya Strategies के एग्जिट पोल में 152 से 160 और JVC के एग्जिट पोल में 159 सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया है. इन तीनों एग्जिट पोल में विपक्षी महाविकास अघाड़ी को क्रमशः 110 से 130, 130 से 138 और 116 सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया है. 

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झारखंड में क्या सरप्राइज?

झारखंड की बात करें तो सूबे की इमेज सियासी दृष्टि से जितनी अस्थिर है, वोटिंग ट्रेंड के मामले में भी यह उतना ही चौंकाता है. यहां वोट शेयर बढ़े या घटे, सत्ता बदल जाती है. पिछले कुछ चुनावों का ट्रेंड तो यही बताता है. 2019 का विधानसभा चुनाव इसका सबसे अच्छा उदाहरण है जब पिछले चुनाव के मुकाबले मामूली ही सही, टर्नआउट कम रहा था लेकिन सत्ता बदल गई थी.

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साल 2014 के चुनाव में 66.6 फीसदी मतदान हुआ था और बीजेपी सत्ता में आई थी. 2019 में टर्नआउट पॉइंट दो फीसदी की गिरावट के साथ 66.4 फीसदी रहा. ऐसा अमूमन होता भी है कि टर्नआउट में कमी सत्ताधारी दल के पक्ष में जाती है लेकिन झारखंड में नतीजे ट्रेंड के उलट रहे. तब बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई थी.

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इस बार दोनों ही फेज में करीब दो फीसदी अधिक मतदान हुआ. इसे न तो सत्ता के पक्ष में कहा जा सकता है और ना ही ट्रेंड के मुताबिक सत्ता के खिलाफ. मार्जिन ऑफ एरर के दायरे का टर्नआउट क्या सरप्राइज लेकर आता है, ये चुनाव नतीजे ही बताएंगे. हालांकि, एग्जिट पोल अनुमानों में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए की जीत के अनुमान जताए गए हैं.

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एनडीए को MATRIZE के एग्जिट पोल में 42 से 47, CHANAKYA STRATEGIES के एग्जिट पोल में 45 से 50 और JVC के एग्जिट पोल में 40 से 44 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. इन एग्जिट पोल्स में सत्ताधारी इंडिया ब्लॉक को 25 से 30, 35 से 38 और 30 से 40 सीटें मिलने के अनुमान व्यक्त किए गए हैं.

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