बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के दौरान वोटर लिस्ट से 3.66 लाख नाम हटाए जाने के दावे के बीच एक चौंकाने वाली बात सामने आई है. राज्य के 38 जिलों और 243 विधानसभा क्षेत्रों में से अब तक एक भी अपील निर्वाचन आयोग या जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष नहीं पहुंची है.
निर्वाचन आयोग के मुताबिक बिहार में एसआईआर प्रक्रिया 2025 के दौरान मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने की प्रक्रिया पूरी हो गई है, लेकिन 8 अक्टूबर तक लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 24(क) के तहत कोई अपील दायर नहीं की गई.
दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और कुछ राजनेता याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि 3.66 लाख से अधिक लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं.
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ताओं से सवाल किया कि जब इतने बड़े पैमाने पर नाम हटाए गए, तो इनमें से एक भी व्यक्ति ने कोर्ट या आयोग के सामने अपील क्यों नहीं की?
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इस बीच निर्वाचन आयोग ने गुरुवार की सुनवाई से पहले अपना हलफनामा कोर्ट में दाखिल कर दिया है. चुनाव आयोग ने बताया कि कोर्ट के आदेश के अनुसार सभी जिला निर्वाचन पदाधिकारियों और चुनाव कार्य से जुड़े अधिकारियों को जरूरी सूचना भेज दी गई है. इसके साथ ही आयोग ने स्पष्ट किया कि आधार कार्ड केवल वोटर की पहचान का साधन है, यह उसकी जन्मतिथि या निवास स्थान की पुष्टि नहीं करता.