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मां बनाती हैं बीड़ी, पिता मजदूर... बेटा लड़ रहा विधानसभा चुनाव, कौन है भोजपुर का सबसे गरीब उम्मीदवार?

बिहार के भोजपुर से एक ऐसा उम्मीदवार विधानसभा चुनाव में उतरा है, जो न दौलत रखता है, न बाहुबली प्रभाव... इस उम्मीदवार का कहना है कि वह जनता के भरोसे पर कायम है. मां बीड़ी बनाती हैं और पिता मजदूरी करते हैं, उनका बेटा क्यामुद्दीन अंसारी भाकपा (माले) के टिकट पर चुनाव लड़ रहा है. क्यामुद्दीन जनता के बीच जाकर सादगी और सेवा भाव के साथ अपना संदेश पहुंचा रहे हैं.

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भोजपुर विधानसभा का सबसे गरीब उम्मीदवार. (Photo: ITG)
भोजपुर विधानसभा का सबसे गरीब उम्मीदवार. (Photo: ITG)

बिहार विधानसभा चुनाव में जहां प्रत्याशी अपनी करोड़ों की संपत्ति और बाहुबली छवि के दम पर चुनावी मैदान में उतरते हैं, वहीं भोजपुर से एक ऐसा उम्मीदवार भी सामने आया है, जो न दौलत रखता है, न रौब, लेकिन जनता के भरोसे चुनाव में उतरा है. हम बात कर रहे हैं भाकपा (माले) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे क्यामुद्दीन अंसारी की, जो आरा विधानसभा सीट से मैदान में हैं.

क्यामुद्दीन अंसारी भोजपुर के सबसे गरीब उम्मीदवारों में से हैं. उनके नामांकन पत्र के अनुसार, उनके पास कुल नकद केवल 37 हजार रुपये हैं, जबकि पत्नी समेत उनकी कुल संपत्ति लगभग 5 लाख 30 हजार रुपये है. वे पूरे आत्मविश्वास और सादगी के साथ चुनाव मैदान में उतरे हैं.

आजतक की चुनावी चौपाल में आरा के स्थानीय लोगों ने क्यामुद्दीन अंसारी को लेकर अपनी राय व्यक्त की. क्यामुद्दीन अंसारी बेहद गरीब परिवार से आते हैं. उनकी मां बीड़ी बनाकर घर चलाती हैं और पिता मजदूरी करते हैं. इसके बावजूद क्यामुद्दीन ने हमेशा समाज के वंचित और श्रमिक वर्ग की आवाज बुलंद की है. जहां बड़े-बड़े उम्मीदवार प्रचार में करोड़ों खर्च कर रहे हैं, वहीं क्यामुद्दीन अंसारी जनता के बीच अपना संदेश पहुंचा रहे हैं.

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कई लोगों ने कहा कि ऐसे उम्मीदवार का हर किसी को समर्थन करना चाहिए, जो गरीबों और मजदूर वर्ग के हक की आवाज उठाता है. एक स्थानीय महिला ने कहा कि क्यामुद्दीन जनता के बीच आते हैं, हमारे मुद्दों को सुनते हैं और सच्चाई के साथ लड़ाई लड़ने की बात करते हैं. बड़े-बड़े उम्मीदवार प्रचार पर करोड़ों खर्च करते हैं, लेकिन क्यामुद्दीन जनता के बीच जाकर अपना संदेश देते हैं.

क्यामुद्दीन के परिवार की कहानी भी जनता के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उनकी मां बीड़ी बनाकर घर चलाती हैं, जबकि पिता मजदूरी करते हैं. आर्थिक संघर्ष के बावजूद क्यामुद्दीन आत्मविश्वास के साथ चुनाव मैदान में हैं और जनता की समस्याओं को उजागर कर वोट मांग रहे हैं. चुनावी चौपाल में शामिल कई लोगों ने कहा कि भोजपुर का सबसे गरीब उम्मीदवार केवल 37 हजार रुपये नकद लेकर मैदान में उतरा है, लेकिन उसके पास लाखों उम्मीदें हैं. 

अब सवाल यह उठता है कि क्या सादगी और सेवा भाव की यह लड़ाई जनता के दिल में अपनी जगह बना पाएगी? क्या एक गरीब उम्मीदवार बड़े-बड़े धनबल और बाहुबली छवि वाले प्रतिद्वंद्वियों के बीच टिक पाएगा? भोजपुर की जनता और राजनीतिक पर्यवेक्षक इस चुनावी चुनौती को बारीकी से देख रहे हैं.

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