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बाहुबलियों की लौटी बहार... अनंत सिंह के बाद आनंद मोहन भी नीतीश के दरबार में

बाहुबलियों के बिना बिहार की सियासत अधूरी मानी जाती है और फिर से वो अपने-अपने इलाकों में एक्टिव होन लगे हैं. आगामी विधानसभा चुनाव में दो दर्जन से भी अधिक बाहुबलियों के परिवार मैदान में अपना दम दिखाने के लिए बेताब नजर आ रहे हैं. 

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पूर्व विधायक अनंत सिंह और पूर्व सांसद आनंद मोहन ने की सीएम नीतीश से मुलाकात
पूर्व विधायक अनंत सिंह और पूर्व सांसद आनंद मोहन ने की सीएम नीतीश से मुलाकात

बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी हलचल बढ़ने के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपने-अपने समीकरण सेट करन में जुट गए हैं.  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सीएम आवास जाकर मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह और पूर्व सांसद आनंद मोहन ने मुलाकात की है. दोंनों नेता बाहुबली छवि वाले माने जाते हैं,  जिनसे सीएम नीतीश ने पिछले चुनाव में दूरी बना ली थी. अब फिर से मुख्यमंत्री के साथ उनकी सियासी केमिस्ट्री बन गई . 

बाहुबलियों के बिना बिहार की सियासत अधूरी मानी जाती है और फिर से वो अपने-अपने इलाकों में एक्टिव होन लगे हैं. आगामी विधानसभा चुनाव में दो दर्जन से भी अधिक बाहुबलियों के परिवार मैदान में अपना दम दिखाने के लिए बेताब नजर आ रहे हैं. 

बिहार में सभी दल बाहबली नेताओं पर दांव लगाने की तैयारी में है, जिसमें आरजेडी से लेकर जेडीयू, बीजेपी और चिराग पासवान की एलजेपी तक शामिल हैं. ऐसे में अनंत सिंह और आनंद मोहन जैसे बाहुबली नेताओं का सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात के सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं. 

नीतीश के दरबरार में अनंत-आनंद मोहन 

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बाहुबली अनंत सिंह  हाल ही में जेल से बाहर आए हैं और उनकी पत्नी नीलम देवी आरजेडी से विधायक हैं. इसी तरह उम्रकैद के सजायाफ्ता रहे आनंद मोहन दो साल 
पहले जेल से बाहर आए है. आनंद मोहन के बेटे चेतन आनं शिवहर सीट से आरजेडी के विधायक हैं. आनंद मोहन और अनंत सिंह दोनों बाहुबली जेल से बाहर आते ही उनके सियासी मन बदल गया है. 

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2020 मे दोनों ही बाहुबलियों का परिवार आरजेडी के टिकट पर चुनावी किस्मत आजमाया था और विधायक चुने गए, लेकिन 2025 के चुनाव से पहले जेडीयू के पाले और नीतीश कुार के दरबार में खड़े दिखाई दे रहे हैं.  दो दिन पहले शनिवार को मुख्यमंत्री आवास जाकर अनंत सिंह और आनंद मोहन ने बारी-बारी से सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की है. माना जा रहा है कि दोनों ही बाहुबली अपने परिवार को जेडीयू के टिकट पर किस्मत आजमाने के फिराक में है. 

आनंद मोहन की फैमिली नीतीश से मिली
पूर्व सांसद आनंद मोहन, उनकी पत्नी लवली आनंद और बेटे चेतन आनंद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की. ये मुलाकात बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हुई है, इसलिए इसके मायने निकाले जा रहे. ऐसे में साफ है कि आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद 2025 में शिवहर सीट पर जेडीयू के टिकट पर चुनावी मैदान में ताल ठोक सकते हैं.

आनंद मोहन की पत्नी जेडीयू से शिवहर सीट से सांसद है और अब चेतन आनंद का जेडीयू से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है. आनंद मोहन ने जेल से बाहर आते ही जेडीयू के लिए सियासी बैटिंग शुरू कर दी थी. इसी मद्देनजर उनके बेटे ने आरजेडी के खिलाफ बगावत का झंडा उठा लिया था. चुनावी तपिश के बीच आनंद मोहन ने अपने परिवार के साथ सीएम से मुलाकात कर साफ कर दिया है तो उनका ठिकाना जेडीयू है. 

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नीतीश के दर पर अनंत सिंह की दस्तक
मोकामा से पूर्व  विधायक अनंत सिंह ने शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की. सीएम आवास पर लगभग 15 मिनट तक अनंत सिंह की नीतीश कुमार के साथ बैठक चली.  बेऊर जेल से रिहा होने के बाद उनकी पहली मुलाकात की. सीएम से मिलकर अनंत सिंह ने मोकामा सीट से जेडीयू उम्मीदवार बनने की इच्छा जताई है. ऐसे मे सीएम आवास से बाहर निकलने के साथ ही उन्होंने साफ कर दिया है कि जेडीयू के टिकट पर मोकामा सीट से किस्मत आजमाएंगे. 

बिहार की चर्चित पंचमहला गोलीबारी मामले में मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई. यह विवाद 22 जनवरी को तब शुरू हुआ जब सोनू और मोनू ने मुकेश सिंह के घर पर ताला लगा दिया. इसी मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई थी, लेकिन जमानत पर जेल से बाहर आते ही  अनंत सिंह एक बार फिर से चुनावी मैदान में वापसी की कवायद में जुट गए हैं. 

नीतीश के साथ आनंद-अनंत की केमिस्ट्री
बिहार की सियासत में आनंद मोहन और अनंत सिंह की राजनीतिक हनक है. दोनी ही बाहुबली अगड़ी जाति से आते हैं. आनंद मोहन सिंह राजपूत हैं तो अनंत सिंह भूमिहार समुदाय से आते हैं.  इन दोनों ही बाहुबलियों की अपने-अपने समाज पर मजबूत पकड़ मानी जाती है. अनंत सिंह मोकामा सीट और मुंगेर क्षेत्र में मजबूत दम खम रखते हैं. ऐसे ही शिवहर बेल्ट में आनंद मोहन की सियासी पकड़ है. इसके अलावा राजपूत समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं और बाहुबली छवि के चलते उनकी पकड़ बिहार के दूसरे इलाके में भी है. 
माना जा रहा है कि नीतीश कुमार चुनाव से ठीक पहले आनंद मोहन और अनंत सिह जैसे अगड़ी जाति बाहुबली नेताओं को अपने खेमे में लाकर सवर्ण जातियों को लामबंद करने की स्टेटेजी बनाई है. बिहार में ठाकुर और भूमिहार की आबादी भले ही कम हो, लेकिन राजनीतिक असर उससे कही ज्यादा है. ऐसे में नीतीश कुमार ने दोनों बाहुबली नेताओं को जरिए आरजेडी के सवर्ण पालिटिक्स को काउंटर करने की रणनीति अपनाई है.

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