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सैन्यकर्मियों को न्यूक्लियर मेडिसिन पढ़ाएगा DU, आर्मी हॉस्पिटल के साथ ऐतिहासिक साझेदारी

DU Nuclear Medicine Course: बीएससी इन न्यूक्लियर मेडिसिन टेक्नोलॉजी कोर्स तीन साल को होगा. ये कोर्स रेडियोलॉजी विभाग द्वारा संचालित किया जाएगा. इस कोर्स के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार का भारतीय सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा (AFMS) में कार्यरत होना चाहिए.

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दिल्ली यूनिवर्सिटी
दिल्ली यूनिवर्सिटी

DU New Course Admission: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने एक महत्वपूर्ण पहल के तहत न्यूक्लियर मेडिसिन में विशेष पढ़ाई शुरू करने का फैसला किया है. यह कोर्स आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) के सहयोग से शुरू किया जाएगा, जिसका उद्देश्य देश के सैन्यकर्मियों और चिकित्सा क्षेत्र में विशेषज्ञता को बढ़ावा देना है. डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह और कार्यकारी परिषद (एग्जीक्यूटिव काउंसिल) ने  शुक्रवार को डीयू कार्यकारी परिषद यानी ईसी की 1275वीं बैठक में इस इस ऐतिहासिक निर्णय को मंजूरी दी है, जो विश्वविद्यालय को चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

न्यूक्लियर मेडिसिन कोर्स का महत्व
मिली जानकारी के अनुसार, बीएससी इन न्यूक्लियर मेडिसिन टेक्नोलॉजी कोर्स तीन साल को होगा. ये कोर्स रेडियोलॉजी विभाग द्वारा संचालित किया जाएगा. छात्रों को एक साल की इंटर्नशिप करने का मौका भी दिया जाएगा. न्यूक्लियर मेडिसिन एक विशेष चिकित्सा क्षेत्र है, जिसमें रेडियोन्यूक्लाइड्स का उपयोग विभिन्न रोगों, जैसे कैंसर, हृदय रोग और न्यूरोलॉजिकल विकारों के निदान और उपचार के लिए किया जाता है. यह कोर्स छात्रों को रेडियोधर्मी पदार्थों के सुरक्षित उपयोग, गैर-आक्रामक इमेजिंग तकनीकों और नैदानिक प्रक्रियाओं में प्रशिक्षित करेगा. डीयू द्वारा शुरू किया गया यह कोर्स न केवल चिकित्सा शिक्षा में नई संभावनाएं खोलेगा, बल्कि सैन्य और नागरिक स्वास्थ्य सेवाओं में भी योगदान देगा.

BSc न्यूक्लियर मेडिसिन में कौन ले सकता है एडमिशन?
इस कोर्स के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार का भारतीय सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा (AFMS) में कार्यरत होना चाहिए, यहां उसकी सेवा 6 साल पूरी होनी चाहिए और उसका सर्विस रिकॉर्ड भी अच्छा होना चाहिए. इसके अलावा उम्मीदवार का CBSE, CISCE या अन्य किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी/ बॉटनी और जूलॉजी विषयों के साथ कम से कम 50% अंकों के साथ पास होना जरूरी है. 12वीं में अंग्रेजी भी अनिवार्य है. हालांकि खाली सीटों पर संबंधित मेडिकल सेवाओं में समकक्ष मानदंडों के आधार पर भारतीय वायु सेना औऱ नौसेना के चिकित्सा सहायकों को भी एडमिशन दिया जा सकता है.

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अन्य संस्थानों में न्यूक्लियर मेडिसिन की पढ़ाई
दिल्ली में न्यूक्लियर मेडिसिन की पढ़ाई पहले से ही अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (INMAS) जैसे संस्थानों में उपलब्ध है. AIIMS दिल्ली में एमडी न्यूक्लियर मेडिसिन एक 3-वर्षीय स्नातकोत्तर कोर्स है, जिसके लिए INI-CET परीक्षा में वैध स्कोर आवश्यक है. इस कोर्स की फीस लगभग 4,651 रुपये है और इसमें 16 सीटें उपलब्ध हैं. वहीं, INMAS में डिप्लोमा इन रेडिएशन मेडिसिन (2-वर्षीय कोर्स) की पेशकश की जाती है, जिसमें केवल 4 सीटें हैं और प्रवेश नीट-पीजी के माध्यम से होता है. डीयू का यह नया कोर्स इन संस्थानों के साथ मिलकर क्षेत्र में विशेषज्ञों की संख्या बढ़ाने में मदद करेगा.

करियर के नए दरवाजे खोलेगा न्यूक्लियर मेडिसिन कोर्स
डीयू और आर्मी हॉस्पिटल की यह साझेदारी न केवल चिकित्सा शिक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि सैन्य कर्मियों के लिए उन्नत स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. यह कोर्स छात्रों को अस्पतालों, अनुसंधान केंद्रों और नैदानिक प्रयोगशालाओं में न्यूक्लियर मेडिसिन टेक्नोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट या अनुसंधान सहायक के रूप में करियर बनाने का अवसर प्रदान करेगा. इस पहल से भारत में न्यूक्लियर मेडिसिन के क्षेत्र में तकनीकी और शैक्षिक प्रगति को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.

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