रूस के पास दुनिया के कुछ सबसे खतरनाक और उन्नत हथियार हैं, जिन्हें "सुपर हथियार" कहा जाता है. इनमें अवनगार्ड, बुरेवेस्तनिक, जिरकॉन, किंझल, पोसाइडन और सरमत शामिल हैं. लेकिन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन युद्ध (फरवरी 2022 से शुरू) में इनका उपयोग क्यों नहीं किया? किंझल का इस्तेमाल किया गया है. लेकिन बाकी मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया या नहीं, इसकी आधिकारिक पुष्टि कभी रूसी सरकार की तरफ से नहीं की गई.
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रूस के सुपर हथियार

अवनगार्ड हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल: यह हथियार ध्वनि की गति से 20 गुना तेज (मैक 20) उड़ता है. यानी 24696 किलोमीटर प्रतिघंटा. 6000 किमी तक मार कर सकता है. यह परमाणु या पारंपरिक हथियार ले जा सकता है. रडार से बच सकता है.

9M730 बुरेवेस्तनिक: यह परमाणु-संचालित क्रूज मिसाइल है, जो हजारों किलोमीटर तक उड़ सकती है. इसे "फ्लाइंग चेर्नोबिल" भी कहते हैं, क्योंकि यह रेडियोधर्मी हो सकता है.
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3M22 जिरकॉन: यह हाइपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल 1000 किमी तक मार करती है. मैक 9 यानी 11113 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलती है. इसे जहाजों और जमीन पर लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए बनाया गया है.

kh-47M2 किंझल: यह हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल हवाई जहाज से लॉन्च होती है. यह 2000 किमी तक मार कर सकती है. मैक 10 यानी 12348 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलती है.
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पोसाइडन: यह परमाणु-संचालित ड्रोन समुद्र में तटीय शहरों को नष्ट कर सकता है. यह 10000 किमी तक जा सकता है. परमाणु विस्फोट से सुनामी पैदा कर सकता है.

आरएस-28 सरमत: इसे "Satan-2" भी कहते हैं. यह भारी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जो 18000 किमी तक मार कर सकती है. 10-15 परमाणु हथियार ले जा सकती है.
रूस ने इनका उपयोग क्यों नहीं किया?
पुतिन ने इन सुपर हथियारों का यूक्रेन में उपयोग नहीं किया. इसके कई कारण हैं...
वैश्विक जोखिम: इन हथियारों, खासकर सरमत और पोसाइडन का उपयोग तीसरा विश्व युद्ध शुरू कर सकता है. रूस के पास 6000 परमाणु हथियार हैं. अमेरिका के पास 5,500. अगर रूस ने हमला किया, तो नाटो और अमेरिका जवाबी हमला कर सकते हैं. पुतिन ने नवंबर 2024 में कहा कि परमाणु हथियारों का कोई सैन्य लाभ नहीं है.
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कूटनीतिक दबाव: इन हथियारों का उपयोग रूस के बचे-खुचे सहयोगियों, जैसे चीन और भारत को नाराज कर सकता है. इससे रूस अलग-थलग पड़ सकता है.
यूक्रेन की रणनीति: यूक्रेनी सेना बिखरी हुई और तेज है. उनके सैनिक एक जगह इकट्ठा नहीं होते, जिससे किंझल या जिरकॉन जैसे हथियारों का उपयोग मुश्किल है. रूस के सैनिक भी कम प्रशिक्षित हैं. अपने सैनिकों को नुकसान पहुंचाए बिना इन हथियारों का उपयोग करना कठिन है.

सीमित लक्ष्य: पुतिन का लक्ष्य डोनबास जैसे क्षेत्रों पर कब्जा करना है, न कि पूरे यूक्रेन को नष्ट करना. कीव जैसे शहरों पर इन हथियारों का उपयोग नाटो को युद्ध में शामिल कर सकता है.
धमकी की ताकत: इन हथियारों की धमकी ही रूस को लाभ दे रही है. पुतिन की धमकियों ने नाटो को सीधे हस्तक्षेप से रोका है. मई 2025 में रूस ने 355 ड्रोनों और 9 मिसाइलों से हमला किया, लेकिन सुपर हथियारों का उपयोग नहीं किया.
युद्ध की स्थिति (जून 2025 तक)
धमकी ही असली हथियार
पुतिन की रणनीति है कि सुपर हथियारों को साइलो में रखकर डर पैदा किया जाए. ये हथियार इस्तेमाल से ज्यादा धमकी देने में प्रभावी हैं. अगर पुतिन इन्हें इस्तेमाल करते हैं, तो वे अपनी विश्वसनीयता और सहयोगी खो सकते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन युद्ध को लंबा खींचना चाहते हैं ताकि यूक्रेन और उसके सहयोगी थक जाएं.