रूस की S-400 मिसाइल प्रणाली को दुनिया की सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम में से जाना जाता है. यह सिस्टम हवाई हमलों जैसे विमानों, मिसाइलों और ड्रोनों को रोकने में सक्षम है. भारत ने मई 2025 में पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को S-400 की मदद से सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया. लेकिन रूस, जिसने यह सिस्टम बनाया, यूक्रेन के ड्रोन हमलों को रोकने में बार-बार असफल क्यों रहा?
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भारत में S-400 की शानदार सफलता
मई 2025 में पाकिस्तान ने जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, लुधियाना और भुज जैसे भारतीय शहरों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए. भारतीय वायुसेना ने S-400 प्रणाली का उपयोग करके इन हमलों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया. इस प्रणाली ने 50 से अधिक पाकिस्तानी ड्रोनों और मिसाइलों को ट्रैक किया और उन्हें नष्ट कर दिया.
भारत ने S-400 को पठानकोट, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में तैनात किया है. यह सिस्टम 600 km तक लक्ष्य को ट्रैक कर सकती है. 400 km की दूरी तक हमला कर सकती है. भारत ने इसकी तकनीक को अपनी जरूरतों के हिसाब से बदला है. जिससे यह और प्रभावी हो गई.
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रूस में S-400 की नाकामी
दूसरी ओर, रूस में S-400 प्रणाली यूक्रेन के ड्रोन और मिसाइल हमलों को रोकने में बार-बार असफल रही है. कुछ तथ्य और आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं...

यूक्रेन ने अब तक कम से कम 31 S-400 प्रणालियों को नष्ट या क्षतिग्रस्त किया है. यह रूस के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि हर S-400 बैटरी की कीमत करीब 200 मिलियन डॉलर (लगभग 1700 करोड़ रुपये) है.
S-400 की असफलता के कारण
रूस में S-400 की असफलता के कई कारण हैं...

भारत की सफलता का राज
भारत ने S-400 को अपनी रक्षा प्रणाली में बेहतर तरीके से एकीकृत किया है. कुछ कारण इस प्रकार हैं...

क्या S-400 अविश्वसनीय है?
S-400 अभी भी एक शक्तिशाली प्रणाली है, जो विमानों, क्रूज मिसाइलों और बैलिस्टिक मिसाइलों को रोक सकती है. लेकिन यह अजेय नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है कि इसे प्रभावी बनाने के लिए सही तैनाती, समर्थन प्रणालियां और रणनीति जरूरी है. यूक्रेन ने रूस की कमजोरियों का फायदा उठाया, जबकि भारत ने इसे सही तरीके से उपयोग किया. 1 जून 2025 को यू्क्रेन ने रूस के अंदर ट्रकों में छिपाकर हमलावर ड्रोन भेजे.
रूस के शहरों में इन ट्रकों ने ड्रोन लॉन्च किए. ड्रोन अगर ज्यादा ऊंचाई से आता तो S-400 ट्रैक कर लेता. ये नीचे उड़ान भरते हुए हमला कर रहे थे. साथ ही एस-400 सिस्टम हवा से आने वाले खतरों को ट्रैक करता है, सड़क या जमीनी रास्ते से आए हुए किसी भी हथियार को नहीं. रूस की S-400 प्रणाली की विफलता इस बात का सबूत है कि किसी भी हथियार की प्रभावशीलता उसकी तैनाती और उपयोग की रणनीति पर निर्भर करती है.