रूस ने 5 जून 2025 की रात में यूक्रेन पर ओरेश्निक (Oreshnik) नाम की इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM) से हमला किया. यह रूस सबसे उन्नत हाइपरसोनिक मिसाइल है. कुछ लोग इसे भारत-रूस की ब्रह्मोस मिसाइल की कॉपी कह रहे हैं, क्योंकि यह तेज गति और कई निशाने मारने में सक्षम है. ओरेश्निक का एक लॉन्च असफल रहा और इसका मलबा कजाकिस्तान में गिरा. यह मिसाइल कितनी खास है, कितनी महंगी है. क्या यह वाकई ब्रह्मोस की नकल है?
ओरेश्निक मिसाइल क्या है?
ओरेश्निक (रूसी में "हेज़ल ट्री") एक हाइपरसोनिक इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे रूस ने यूक्रेन के खिलाफ इस्तेमाल किया. इसे 21 नवंबर 2024 को पहली बार यूक्रेन के ड्निप्रो शहर में एक रक्षा फैक्ट्री पर दागा गया था. रूस का दावा है कि यह मिसाइल पश्चिमी एयर डिफेंस सिस्टम को भेद सकती है और मैक 11 (12,300 किमी/घंटा) की गति से उड़ती है.
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हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह ब्रह्मोस की तरह क्रूज मिसाइल नहीं, बल्कि बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसके डिज़ाइन और तकनीक में अंतर है.
हाल की घटनाएं और तथ्य
ड्निप्रो हमला (21 नवंबर 2024): रूस ने यूक्रेन के ड्निप्रो में ओरेश्निक मिसाइल से एक रक्षा फैक्ट्री पर हमला किया. यह हमला यूक्रेन द्वारा ATACMS और स्टॉर्म शैडो मिसाइलों से रूस पर हमले के जवाब में था. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे पश्चिमी हथियारों के खिलाफ "हाई-टेक जवाब" बताया.
कजाकिस्तान में मलबा (फरवरी 2025): फरवरी 2025 में खबर आई कि ओरेश्निक का एक लॉन्च असफल रहा, और इसका मलबा कजाकिस्तान में गिरा. यूक्रेन के सैनिक और ब्लॉगर किरिलो साज़ोनोव ने दावा किया कि यह मिसाइल खराब थी. यूक्रेन के सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशन ने इस खबर को खारिज किया, लेकिन कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई.
उत्पादन और लागत: पुतिन ने दिसंबर 2024 में ओरेश्निक की बड़े पैमाने पर उत्पादन की घोषणा की. एक पूर्व रूसी रक्षा इंजीनियर ने मॉस्को टाइम्स को बताया कि इस मिसाइल का बड़े पैमाने पर उत्पादन में 5-7 साल लग सकते हैं, क्योंकि रूस का रक्षा क्षेत्र नौकरशाही और नवाचार की कमी से जूझ रहा है. यूक्रेन की खुफिया एजेंसी ने अनुमान लगाया कि रूस प्रति माह 25 ओरेश्निक (वर्ष में 300) बना सकता है.
लागत: ओरेश्निक इस्कंदर-1000 मिसाइल से बहुत महंगी है, लेकिन सटीक लागत अज्ञात है. कुछ का दावा है कि इसके उत्पादन में करोड़ों रुपये की चोरी हुई.
बेलारूस में तैनाती: मई 2025 में बेलारूस के सुरक्षा परिषद के सचिव अलेक्जेंडर वोल्फोविच ने कहा कि रूस 2025 के अंत तक बेलारूस में ओरेश्निक मिसाइलें तैनात करेगा.
यूक्रेन का जवाब: यूक्रेन के कमांडर-इन-चीफ ओलेक्जेंडर सिरस्की ने जनवरी 2025 में कहा कि यूक्रेन ओरेश्निक का मुकाबला करने के लिए स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम बना रहा है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने दावा किया कि कुछ एयर डिफेंस सिस्टम ओरेश्निक को रोक सकते हैं.
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ओरेश्निक मिसाइल की खासियतें
ओरेश्निक मिसाइल अपनी गति और कई निशाने मारने की क्षमता के लिए जानी जाती है. मैक 11 (12,300 किमी/घंटा या 3.4 किमी/सेकंड). यह ध्वनि की गति से 11 गुना तेज है. रूस का दावा है कि यह इतनी तेज है कि इसे रडार या एयर डिफेंस सिस्टम (जैसे THAAD) से ट्रैक करना मुश्किल है.
रेंज: 5,000-5,500 किमी. यह यूरोप के ज्यादातर हिस्सों और यूक्रेन को कवर कर सकती है. कुछ स्रोतों के अनुसार, यह कपुस्तिन यार (रूस) से लॉन्च होकर ड्निप्रो तक पहुंची.
वारहेड: 6 स्वतंत्र रूप से निशाना बनाने वाले वारहेड्स (MIRVs), प्रत्येक में 6 सबम्यूनिशन (कुल 36). यह एक साथ कई जगहों पर हमला कर सकती है. परमाणु या गैर-परमाणु पेलोड ले जाने में सक्षम. ड्निप्रो हमले में गैर-परमाणु वारहेड का उपयोग हुआ. प्रत्येक वारहेड का वजन अज्ञात, लेकिन रूस का दावा है कि यह परमाणु बम जितना विनाशकारी हो सकता है.
ट्रैजेक्टरी: यह हाई-आर्क पर उड़ती है, जिससे इसे रोकना मुश्किल होता है. इसकी मैन्युवरेबल वारहेड्स रास्ते में दिशा बदल सकती हैं. मोबाइल लॉन्चर से दागी जाती है, जिसे छिपाना आसान है. कपुस्तिन यार (रूस) इसका मुख्य लॉन्च स्थल है.
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तापमान सहनशक्ति: यह 4,000 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन कर सकती है, जो हाइपरसोनिक गति पर उत्पन्न होता है. रूस के पास अभी सीमित संख्या (कुछ दर्जन) ओरेश्निक मिसाइलें हैं. बड़े पैमाने पर उत्पादन की योजना है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह महंगा और समय लेने वाला है.
क्या ओरेश्निक ब्रह्मोस की कॉपी है?
कई लोग ऑरश्निक को ब्रह्मोस (भारत-रूस की संयुक्त मिसाइल) की कॉपी कह रहे हैं, लेकिन दोनों में कई अंतर हैं.
समानताएं... ब्रह्मोस की गति मैक 3-4 और ऑरश्निक की मैक 11 है. दोनों कई निशाने मार सकती हैं. ब्रह्मोस एंटी-शिप और लैंड-अटैक में माहिर है, जबकि ऑरश्निक बैलिस्टिक मिसाइल है. दोनों में रूस की तकनीक का योगदान है. ब्रह्मोस में रूस का रैमजेट इंजन और ऑरश्निक में RS-26 तकनीक है.
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