बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच हाल की दोस्ती और बदलते हालातों के बीच, भारत ने बांग्लादेश बॉर्डर पर तीन नई सैन्य चौकियां (गैरिसन) लगा दी हैं. ये चौकियां बमुनी (धुबरी के पास), किशनगंज और चोपड़ा में हैं. इसका मकसद है बॉर्डर पर कमजोर जगहों को मजबूत करना, निगरानी बढ़ाना और सिलीगुड़ी कॉरिडोर की रक्षा करना.
सिलीगुड़ी कॉरिडोर को 'चिकन नेक' कहा जाता है. यह भारत का एक संकरा गलियारा है, जो पूर्वोत्तर राज्यों को बाकी देश से जोड़ता है. यह सिर्फ 22 किलोमीटर चौड़ा है. नेपाल, बांग्लादेश, चीन व भूटान की सीमाओं से घिरा है. अगर यह बंद हो गया, तो पूर्वोत्तर भारत अलग-थलग पड़ जाएगा.
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हाल ही में बांग्लादेश के अंतरिम सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने पाकिस्तान के जनरल साहिर शमशाद मिर्जा से मुलाकात की. इसमें कनेक्टिविटी और रक्षा संबंधों पर बात हुई. यूनुस ने शेख हसीना के हटने के बाद चीन को निवेश का प्रस्ताव दिया और पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की बात की.

खुफिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि यह सिलीगुड़ी पर कब्जा करने की साजिश हो सकती है. लेकिन भारत की सेना कहती है कि यह हमारा सबसे मजबूत इलाका है. सेना प्रमुख ने कहा कि चिकन नेक कमजोर नहीं, बल्कि सबसे मजबूत कड़ी है. पश्चिम बंगाल, सिक्किम और पूर्वोत्तर की पूरी ताकत यहां इकट्ठा हो सकती है.
शेख हसीना के हटने के बाद मुहम्मद यूनुस ने सत्ता संभाली. बांग्लादेश की नीतियां बदल गईं. चीन के साथ बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत ज्यादा करीबी आई. पाकिस्तान से पुराने रिश्ते जोड़ने की कोशिश हो रही है. यूनुस का चीन को ऑफर भारत के हितों के खिलाफ लगता है. भारत इन सबकी नजर रख रहा है. खुफिया स्रोतों का कहना है कि नई चौकियां इंटेलिजेंस, लॉजिस्टिक्स और तेज रिस्पॉन्स के लिए हैं. ये चौकियां सेना को जल्दी हिलने-डुलने में मदद करेंगी. पूरा इलाका पहले से ही भारतीय सेना का मजबूत किला है.
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भारतीय सेना का त्रिशक्ति कोर (33 कोर) सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास सुखना में मुख्यालय रखता है. यह पूर्वोत्तर को देश से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण हिस्सा है. कोर ने सैनिकों और हथियारों की मजबूत मौजूदगी रखी है. हाल ही में T-90 टैंकों के साथ लाइव फायरिंग एक्सरसाइज की गई. हाई एल्टीट्यूड में लड़ने की स्किल्स मजबूत हो रही हैं. कोर हमेशा बैटल रेडी रहने के लिए कई कॉम्बैट एक्सरसाइज करता है.
❄ Indian Army - Lifeline in the Snow!
— Trishakticorps_IA (@trishakticorps) November 5, 2025
At extreme high altitudes of Sikkim, #IndianArmy troops are carrying out continuous snow-clearing operations to keep mountain roads open for local villagers, school children, and patients.
These efforts ensure that essential supplies,… pic.twitter.com/mvX5f6PtlK
हाल ही में 'पूर्वी प्रचंड प्रहार' नाम का जॉइंट मिलिट्री और एयर स्ट्राइक एक्सरसाइज हुआ. यह ड्रोन, कामिकेज ड्रोन और FPV ड्रोन के साथ 'अश्नि प्लाटून' और 'भैरव बटालियन' की ताकत दिखाता है. ये स्पेशल फोर्सेस की एक्सटेंशन हैं, जो घातक हमले के लिए तैयार हैं. ऑपरेशन सिंदूर के बाद ड्रोन पावर बढ़ाई गई है.
भारत ने चिकन नेक को स्टेट-ऑफ-द-आर्ट तकनीक से पूरी तरह सुरक्षित कर लिया है. यहां तैनात मुख्य हथियारों में सबसे पहले राफेल फाइटर जेट है, जो फ्रेंच मल्टी-रोल फाइटर है. यह हवा से हवा और जमीन पर हमले दोनों कर सकता है. पश्चिम बंगाल के हाशिमारा एयरबेस पर 18 जेट्स तैनात हैं.
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2016 में भारत ने फ्रांस से कुल 36 जेट्स 9 बिलियन डॉलर में खरीदे थे. ये जेट्स दुश्मन को तेजी से निशाना बना सकते हैं. सके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल है, जो भारत और रूस का संयुक्त सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. यह जमीन पर हमले के लिए बनी है. 290 किलोमीटर से ज्यादा दूर के टारगेट को 3200 km/hr की स्पीड से नष्ट कर सकती है. इसका एयर वर्जन 400 किलोमीटर से ज्यादा रेंज वाला है. चिकन नेक इलाके में एक पूरा रेजिमेंट तैनात है, जो सुखोई Su-30MKI फाइटर जेट्स से लॉन्च होती है. यह मिसाइल दुश्मन की किसी भी साजिश को तुरंत रोक सकती है.

हवाई रक्षा के लिए S-400 एयर डिफेंस सिस्टम बहुत महत्वपूर्ण है. यह सर्फेस-टू-एयर मिसाइल है, जो दुश्मन जेट्स, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों को 400 किलोमीटर से ज्यादा दूर से नष्ट कर देती है. सिलीगुड़ी कॉरिडोर में इसका दूसरा रेजिमेंट तैनात है. भारत ने रूस से 5 बिलियन डॉलर में कुल 5 रेजिमेंट्स खरीदी हैं, जिनमें से तीन डिलीवर हो चुके हैं. यह सिस्टम हवाई क्षेत्र को पूरी तरह अभेद्य बनाता है.
MRSAM (मीडियम रेंज सर्फेस-टू-एयर मिसाइल) भी DRDO और इजराइल के सहयोग से बनी है. यह हवा के टारगेट्स को 70 किलोमीटर से ज्यादा दूर से मार गिराती है. फरवरी से 33 कोर के ऑपरेशनल इलाके में तैनात है. इसी तरह आकाश एयर डिफेंस सिस्टम DRDO का स्वदेशी हथियार है, जो हवा में घुसपैठ रोकने के लिए डिजाइन किया गया है. यह पूरे इलाके में तैनात है.
हाल ही में नया एडवांस आकाश सिस्टम 8,160 करोड़ रुपये में खरीदा गया. इसमें नई सीकर टेक्नोलॉजी, कम जगह लेने वाला डिजाइन और 360 डिग्री हमले की क्षमता है.
ये सभी सिस्टम मिलकर पूर्वी हवाई क्षेत्र को चीन या किसी अन्य की घुसपैठ से बचाते हैं. MiG के सभी वर्जन भी इसी इलाके में तैनात हैं, जो अतिरिक्त मजबूती देते हैं. भारत की ये रक्षा व्यवस्था न सिर्फ मजबूत है, बल्कि हमेशा अलर्ट रहती है.