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चीन का वॉर्निंग रडार... लॉन्च होते ही दे देगा दुश्मन की मिसाइल की जानकारी, नष्ट भी कर देगा

चीन का नया लॉन्च ऑन वॉर्निंग रडार टेस्ट सैन्य तकनीक में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जो अमेरिकी मिसाइलों और ड्रोन्स को नष्ट करने का दावा करता है. यह टेस्ट प्रभावशाली है, लेकिन इसकी हकीकत युद्ध के मैदान में ही साबित होगी.

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चीन ने ऐसा रडार बनाया है जो दुनिया के किसी भी कोने में लॉन्च होने वाले हवाई हमले की जानकारी देगा. (Photo: Representational/Freepik)
चीन ने ऐसा रडार बनाया है जो दुनिया के किसी भी कोने में लॉन्च होने वाले हवाई हमले की जानकारी देगा. (Photo: Representational/Freepik)

चीन ने हाल ही में दुनिया का पहला लॉन्च ऑन वॉर्निंग (LOW) रडार सफलतापूर्वक टेस्ट किया है, जो दुश्मन के मिसाइल हमले की चेतावनी देने और उनको नष्ट करने में सक्षम है. यह रडार अमेरिकी मिसाइलों, ड्रोन्स और हवाई हथियारों को पकड़ने और उन्हें मार गिराने की क्षमता रखता है. आइए समझते हैं कि यह तकनीक क्या है? यह कितनी प्रभावी हो सकती है? इसके पीछे क्या मकसद हो सकता है?

लॉन्च ऑन वॉर्निंग रडार क्या है?

लॉन्च ऑन वॉर्निंग रडार एक एडवांस प्रणाली है जो दुश्मन के बैलिस्टिक मिसाइल हमले का पता लगाने के लिए बनाई गई है. यह रडार न सिर्फ मिसाइलों की शुरुआत को पहचान सकता है, बल्कि उनकी दिशा और गति को भी ट्रैक करता है. अगर कोई मिसाइल लॉन्च होती है, तो यह रडार तुरंत चेतावनी देता है. सटीक जानकारी के आधार पर जवाबी कार्रवाई करने में मदद करता है. चीन का दावा है कि इस रडार ने टेस्ट में 100% सफलता हासिल की है, जो इसे दुनिया में अनोखा बनाता है.

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china launch on warning radar

टेस्ट का तरीका और परिणाम

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने गोबी रेगिस्तान में 16 बैलिस्टिक मिसाइलों का एक साथ टेस्ट किया. इस टेस्ट में नई पीढ़ी के डुअल-बैंड (S/X) फेज्ड एरे रडार का इस्तेमाल हुआ, जो मिसाइलों और उनके डिकॉय को पहचानने में सक्षम है. इस रडार ने 31 डेकोय और माध्यमिक लक्ष्यों को लगातार ट्रैक किया.

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7 हाई वैल्यू के खतरों को प्राथमिकता दी. टेस्ट में हर मिसाइल को सटीकता से पकड़ा गया और निशाना लगाया गया, जो इसकी शक्ति को दिखाता है. यह टेस्ट इजरायल और अमेरिका जैसे देशों के मौजूदा सिस्टम से बेहतर माना जा रहा है, जहां हाल के हमलों में डिफेंस सिस्टम ओवरलोड हो गए थे.

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अमेरिकी हथियारों के खिलाफ दावा

चीन का कहना है कि यह रडार अमेरिकी मिसाइलों, ड्रोन्स और हवाई हथियारों को आसानी से ढूंढ और नष्ट कर सकता है. खासकर हाइपरसोनिक मिसाइलों और मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल्स (MIRVs) जैसे उन्नत हथियारों के खिलाफ यह रडार प्रभावी है. यह दावा इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच सैन्य तनाव बढ़ रहा है. दोनों देश अपनी तकनीक से एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं.

china launch on warning radar

क्या यह दावा सही है?

हालांकि चीन ने इस रडार की सफलता का दावा किया है, लेकिन इसे पूरी तरह सच मानने से पहले सावधानी बरतने की जरूरत है. अमेरिका के पास पहले से ही USNS हावर्ड ओ. लोरेनजेन जैसे रडार हैं, जो 1000 से ज्यादा लक्ष्यों को ट्रैक कर सकते हैं, लेकिन इन्हें लाइव टेस्ट में नहीं दिखाया गया.

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चीन का यह टेस्ट भले ही प्रभावशाली हो, लेकिन वास्तविक युद्ध की स्थिति में इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठ सकते हैं. साथ ही, अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के पास अपनी रक्षा प्रणालियां हैं, जो इस चुनौती का जवाब दे सकती हैं.

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इसके पीछे का मकसद

चीन का यह कदम सैन्य ताकत दिखाने और क्षेत्रीय वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश हो सकती है. पिछले कुछ सालों में चीन ने अपनी परमाणु शक्ति और मिसाइल भंडार बढ़ाया है. इस रडार के जरिए वह अमेरिका और अन्य देशों को संदेश देना चाहता है. 

यह टेस्ट ऐसे समय में हुआ है, जब भारत और अमेरिका के साथ उसका तनाव बढ़ा हुआ है. कुछ विशेषज्ञ इसे सैन्य प्रचार (propaganda) भी मानते हैं, ताकि घरेलू जनता में भरोसा बढ़े और दुश्मनों में डर पैदा हो. 

china launch on warning radar

संभावित खतरे

अगर यह रडार वाकई इतना शक्तिशाली है, तो यह क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बन सकता है. लॉन्च ऑन वॉर्निंग सिस्टम का मतलब है कि चीन को अगर हमले का पता चलेगा, तो वह तुरंत जवाबी कार्रवाई कर सकता है, जो युद्ध की स्थिति पैदा कर सकता है. साथ ही, अमेरिका और उसके सहयोगी देश इस तकनीक को चुनौती दे सकते हैं, जिससे हथियारों की होड़ और तेज हो सकती है.

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भारत के लिए क्या मायने?

भारत के लिए यह खबर चिंता की बात हो सकती है, क्योंकि उसकी सीमा चीन के साथ है. हाल के ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने अपनी सैन्य ताकत दिखाई है, लेकिन अगर चीन का यह रडार सचमुच इतना प्रभावी है, तो भारत को अपनी हवाई रक्षा और मिसाइल प्रणालियों को और मजबूत करने की जरूरत होगी. 

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