Crime Katha of Bihar: बिहार के मोकामा में अपराध और राजनीति का गठजोड़ सदियों पुराना है. ये वही इलाका है, जो एक हत्यकांड और कुख्यात अनंत सिंह की वजह से विधान सभा चुनाव के दौरान भी चर्चाओं में बना हुआ है. इस इलाके में AK-47 जैसे खतरनाक हथियारों का बोलबाला रहा है. सात साल पहले मुंगेर जिले में एक पुराने कुएं से 12 AK-47 राइफल बरामद होने के बाद हड़कंप मच गया था. कुआं ही नहीं इलाके में कई और जगहों से पुलिस ने एके47 जैसे हथियार बरामद किए थे. 'बिहार की क्राइम कथा' में जानते हैं पूरी कहानी.
मुंगेर बिहार का ऐसा जिला है, जो हथियारों के लिए कुख्यात है. दरअसल, ब्रिटिश काल में वहां एक बंदूक फैक्ट्री थी, जिसके मजदूरों ने अवैध हथियार बनाने की कला सीख ली थी. फैक्ट्री बंद हो जाने के बाद वो यही काम करने लगे थे. कहा जाता है कि आज भी मुंगेर में देसी पिस्तौल से लेकर एके-47 तक बनती है. ये जगह गंगा किनारे के काफी करीब है, जिसकी वजह से तस्करी आसान होती है. साल 2018 से पहले वहां कट्टे और देसी बम पकड़े जाते थे, लेकिन AK-47 की बरामदगी ने वहां सनसनी फैला दी थी. नक्सल प्रभावित इलाका होने की वजह से ये चिंता की खबर थी. क्योंकि ऐसे हथियार नक्सलियों तक पहुंचते थे.
इस अवैध कारोबार से जुड़े कारीगर मांग के आधार पर पार्ट्स जोड़कर राइफलें तैयार करते थे. लेकिन वक्त बदलने के साथ-साथ पुलिस का दबाव बढ़ने लगा. ऐसे में अवैध हथियारों की कुछ यूनिट मालदा या झारखंड चली गईं. लेकिन मुंगेर अब भी अवैध हथियारों का स्मगलिंग का हब बना रहा.
29 अगस्त 2018
यही वो तारीख है, जब मुंगेर के जमालपुर थाना क्षेत्र में हथियार तस्कर इमरान गिरफ्तार किया गया था. उसके पास से तीन AK-47 राइफलें बरामद हुईं थीं. इस बरामदगी ने पुलिस और एजेंसियों के कान खड़े कर दिए थे. पूछताछ में इमरान ने खुलासा किया था कि हथियार जाबलपुर से आए हैं. उसी दिन एक महिला को भी पुलिस ने पकड़ा था. इसके बाद आरोपी की निशानदेही पर मुंगेर पुलिस ने एक सर्च ऑपरेशन शुरू किया. पुलिस को अंदाजा था कि कुछ बड़ा हाथ लगने वाला है.
28 सितंबर 2018
ठीक महीने बाद बारदाह गांव के बहियार में एक पुराने कुएं पर पुलिस टीम पहुंची. सारा गांव हैरान था कि आखिर पुराने कुएं में पुलिस क्या देखने आई है. पुलिस ने जब उस पुराने कुएं की तलाश ली. तो वहां से 12 AK-47 राइफलें बरामद हुईं. वो पुराना कुआं खेतों के बीच मौजूद था, जहां पहले हर घर की तलाशी हो चुकी थी. राइफलें प्लास्टिक और कार्बन से लपेटी गईं थीं. स्थानीय लोग डर से चुप थे. यह बरामदगी सबको हैरान कर रही थी. खासकर खुफिया एजेंसियों को.
जबलपुर डिपो से चोरी का सफर
एके-47 बरामदगी की जांच तेजी से की जा रही थी. पुलिस को छानबीन से पता चला कि सारे हथियार मध्य प्रदेश के जबलपुर सेंट्रल ऑर्डनेंस डिपो (COD) से चुराए गए थे. इस काम में ऑर्डनेंस डिपो के पूर्व कर्मचारी पुरुषोत्तम लाल का हाथ था. जिसने 2012 से दोषपूर्ण हथियारों के स्टोर से 60 से ज्यादा AK-47 राइफलों का सामान चुराया. सुरक्षा में लापरवाही और रिकॉर्ड की कमी ने इस चोरी को आसान बना दिया था. पुरुषोत्तम ने सामान से हथियार बनाए और मुंगेर के तस्कर इमरान और उसके साले मोहम्मद गुलशाद उर्फ गुलो को बेच दिए. गुलो सिलीगुड़ी में डिफेंस सर्विस कोर में था. इसके बाद बारदाह गांव में हथियार छिपाए गए. पुलिस ने इमरान की निशानदेही पर कुआं खोदा और सारी राइफलें बरामद कर ली, जो ज्यादातर नई थीं. यह नेटवर्क नक्सलियों और अपराधियों तक पहुंचात चुका था.
तस्करी नेटवर्क का खुलासा
साल 2018 के ऑपरेशन में मुंगेर पुलिस ने नदियां, नाले, कुएं और जंगल छानने शुरू किए. खुफिया कुत्तों और मशीनों से तलाशी ली गई. पुलिस को कामयाबी भी मिली. 20 एके-47 और 500 पार्ट्स बरामद हुए. 2 अक्टूबर को मंजार वर्धा गांव के एक घर से 91 स्पेयर पार्ट्स मिले, लेकिन परिवार फरार हो गया. आमना खातून नामक महिला ने पूछताछ में कुएं में पार्ट्स छिपाने का राज खोला. उसके घर से दो तैयार AK-47 भी बरामद हुईं थी. कुल 13 लोग गिरफ्तार किए गए. मंजर आलम उर्फ मंजी को पटना से पकड़ा गया, जो सरगना था. वह जाबलपुर से लाकर 50-60 राइफलें नक्सलियों और कोल माफियाओं तक को बेच चुका था.
एनआईए को मिली जांच
अवैध हथियारों के जखीरे ने पुलिस एजेसियों को सकते में डाल दिया था. मंजर आलम को बिहार में एके-47 तस्करी का किंगपिन माना गया था. साल 2014 में वो पटना से गोलियों के जखीरे के साथ पकड़ा गया था. फिर मुंगेर कांड में उसका नाम आया तो वह बुद्धा कॉलोनी में छिपा रहा. इमरान ने पूछताछ के दौरान खुलासा किया था कि 29 अगस्त को पुरुषोत्तम लाल ने दो बैग AK-47 के दिए थे. एक इमरान को और दूसरा शमशेर आलम को. 7 सितंबर को शमशेर की बहन रिजवाना के घर से तीन एके-47 बरामद हुईं. मंजर झारखंड के रामगढ़ में कोयला माफिया से पैसा लाता था. गया, औरंगाबाद में नक्सलियों को सप्लाई करता था. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का जिम्मा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया था.
अनंत सिंह को पहला झटका
इधर, साल 2015 में बाहुबली अनंत सिंह को पटना पुलिस ने एक बड़े ऑपरेशन के तहत गिरफ्तार किया. उसके खिलाफ तीन युवकों की हत्या का केस था. यही नहीं, पटना में उसके आवास से तलाशी के दौरान इंसास राइफल बरामद होने से हड़कंप मच गया था. तब वह जेडीयू विधायक था, लेकिन नीतीश कुमार से उसका मतभेद हो गया था. नतीजा ये हुआ कि उसने जेल में रहते हुए ही 2015 का चुनाव लड़ा और स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की. अनंत ने उसके खिलाफ राजनीतिक साजिश का आरोप लगाया था. बाद में उसे कोर्ट से जमानत मिल गई, लेकिन केस चलता रहा.
16 अगस्त 2019
उस दिन पटना (ग्रामीण) एसपी कांतेश मिश्रा और एएसपी लिपि सिंह ने अनंत सिंह के पैतृक घर लदमा गांव में जाकर छापा मारा. छापेमारी की कार्रवाई 11 घंटे तक चली. इस दौरान उसके घर से एक AK-47, 26 कारतूस, मैगजीन और दो हैंड ग्रेनेड बरामद हुए थे. हथियार प्लास्टिक-कार्बन से लपेटे गए थे. जबकि वो घर 14 साल से बंद था. छापे के वक्त घर का केयरटेकर सुनील राम वहां मौजूद था. मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में इस छापेमारी की वीडियोग्राफी की गई थी. उस वक्त अनंत सिंह ने वीडियो में जेडीयू सांसद ललन सिंह पर साजिश का आरोप लगाया था, क्योंकि उसकी पत्नी नीलम देवी ने मुंगेर से ललन के खिलाफ चुनाव लड़ा था. उसके खिलाफ यूएपीए के तहत केस दर्ज किया गया था. इस मामले में अनंत सिंह ने सरेंडर किया था.
14 जून 2022
अवैध हथियारों का मामला अनंत सिंह को महंगा पड़ा. एके-47 मामले में अदालत ने उसे दोषी ठहराया.
21 जून 2022
इसके बाद वहां की एमपी-एमएलए कोर्ट ने अनंत सिंह को 10 साल कैद की सजा सुनाई. यही सजा घर का केयरटेकर सुनील राम को भी मिली. इसके बाद अनंत सिंह की विधायकी भी चली गई थी. उसे बेऊर जेल में रखा गया था. फिर अनंत सिंह ने हाईकोर्ट में अपील की.
14 अगस्त 2024
यही वो दिन था, जब अवैध हथियारों के मामले में पटना हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में अनंत सिंह को बरी कर दिया. अभियोजन पक्ष केस साबित नहीं कर सका. और अनंत जेल से बाहर आ गया. लेकिन अभी भी उसके खिलाफ 28 केस चल रहे हैं.
30 अक्टूबर 2025
मोकामा में अनंत के काफिले और जन सुराज के नेता पीयूष प्रियदर्शी के काफिले की टक्कर हो गई. मारपीट हुई. फिर 75 वर्षीय दुलारचंद यादव की हत्या कर दी गई. इस मामले की एफआईआर में अनंत सिंह पर गोली चलाने और थार से कुचलने का आरोप है.
1 नवंबर 2025
आधी रात को पटना के एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने 12 वाहनों से बरह में जाकर दबिश दी. और अनंत सिंह, मंजीत ठाकुर और रंजीत राम को गिरफ्तार कर लिया. अनंत ने इसे भी साजिश बताया. बिहार के डीजीपी ने सबूतों के आधार पर कार्रवाई की बात कही.
2 नवंबर 2025
अनंत सिंह को अदालत में पेश किया गया. जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. उसकी गिरफ्तारी के बाद मोकामा में तनाव है. जिसके चलते वहां चुनाव आयोग भारी पुलिस फोर्स तैनात की है.