Mumbai Admission Scam: मुंबई में स्कूल और कॉलेज एडमिशन के नाम पर चल रहे एक संगठित ठगी रैकेट का खुलासा हुआ है. इस मामले में बीकेसी पुलिस स्टेशन ने दो लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है. आरोपी पेरेंट्स को उनके बच्चों को किसी प्रतिष्ठित स्कूल या कॉलेज में दाखिला दिलाने का लालच देते थे. इसके बदले वे मोटी फीस मांगते थे और पैसा लेने के बाद गायब हो जाते थे. अब कई पेरेंट्स के शिकायत करने पर पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की. शुरुआती जांच में सामने आया कि यह रैकेट काफी समय से सक्रिय था और कई परिवार इसके शिकार बन गए.
मास्टरमाइंड शेख उर्फ राजेश गिरफ्तार
पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी महफूज जकी अहमद शेख उर्फ राजेश कोटवानी को पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया. जांच में सामने आया कि शेख अकेला नहीं, बल्कि उसे सरकारी डेटा मुहैया कराने में एक ट्रैफिक कॉन्स्टेबल भी शामिल था. सह-आरोपी अमोल दत्तात्रेय अवघड़े के खिलाफ भी FIR दर्ज की गई है. अपराध सामने आते ही विभाग ने उसे सस्पेंड कर दिया. दोनों आरोपियों पर धोखाधड़ी और विश्वासघात के तहत मामला दर्ज है.
ऐसे बनती थी लिस्ट
जांच अधिकारियों ने पीटीआई को बताया कि आरोपी राजेश कोटवानी का तरीका बेहद चौंकाने वाला था. वह स्कूलों और कॉलेजों के बाहर खड़ी कारों की नंबर प्लेटों की तस्वीरें खींचता था. इसके आधार पर वह संभावित पेरेंट्स को टारगेट करता था. इन तस्वीरों को वह सीधे कॉन्स्टेबल अवघड़े को भेजता था. इन नंबर प्लेटों के आधार पर शेख यह पहचानता था कि कौन पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए एडमिशन तलाश रहे हैं, और फिर उन्हें कॉल कर फर्जी एडमिशन की पेशकश करता था.
ई-चालान मशीन से डेटा चोरी
कॉन्स्टेबल अवघड़े शेख को उन वाहनों के मालिकों का पूरा डेटा उपलब्ध कराता था. वह ट्रैफिक नियम तोड़ने पर चालान बनाने में इस्तेमाल होने वाली ई-चालान मशीन के जरिए सरकारी डेटाबेस तक पहुंच बनाता था. सरकारी मशीनरी का इस तरह दुरुपयोग इस केस का सबसे गंभीर पहलू माना जा रहा है. जानकारी मिलने के बाद शेख पेरेंट्स से संपर्क करता और दावा करता कि वह कुछ “स्पेशल कनेक्शन” के जरिए एडमिशन का इंतजाम करा सकता है. कई लोग उसकी बातों में आ गए और पैसे गंवा बैठे.
शिकायतों के बाद कार्रवाई
जैसे-जैसे शिकायतें बढ़ती गईं, बीकेसी पुलिस ने एक विशेष जांच टीम बनाकर मामले की तह तक पहुंचने का काम शुरू किया. पिछले हफ्ते शेख को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई, जिसमें उसने माना कि जानकारी का स्रोत कॉन्स्टेबल अवघड़े ही था. इसके बाद विभाग ने 28 नवंबर को अवघड़े को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया और उसके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी. पुलिस अब दोनों आरोपियों से पूछताछ कर यह पता लगा रही है कि क्या इस रैकेट में और लोग भी शामिल थे.