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पति, पत्नी, प्रेमी और वो... राजा रघुवंशी मर्डर केस में छठे किरदार संजय वर्मा के नाम का खुलासा, और उलझ गई मिस्ट्री

राजा रघुवंशी मर्डर केस में सोनम के कॉल रिकॉर्ड से संजय वर्मा का नाम सामने आया है. उजाला यादव की गवाही और ढाबे वाले के बयान से मर्डर मिस्ट्री और गहरी हो गई. जानें जांच से जुड़े सभी नए खुलासे.

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सोनम की CDR से इस कहानी के छठे किरदार का खुलासा हुआ है
सोनम की CDR से इस कहानी के छठे किरदार का खुलासा हुआ है

Raja Raghuvanshi Murder Case: राजा रघुवंशी हत्याकांड की जांच पड़ताल जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, इसमें हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं. हर रोज एक नई परत खुल रही है. अब इस सनसनीखेज मर्डर केस में छठे किरदार की एंट्री भी हो गई है. दरअसल, इस मामले में सोनम के साथ एक और शख्स का नाम सामने आया है, जो संजय वर्मा है. जांच में जुटी शिलांग पुलिस को जो जानकारी हाथ लगी है, उससे यह मामला सुलझने के बजाय और भी उलझ गया है.

कॉल डिटेल्स ने खोला राज
शिलांग पुलिस को सोनम रघुवंशी के मोबाइल कॉल रिकॉर्ड से चौंकाने वाला इनपुट मिला है. पता चला है कि कत्ल की वारदात से पहले सोनम संजय वर्मा नाम के एक लड़के से बात कर रही थी. उसने 1 मार्च से 25 मार्च के बीच संजय वर्मा नामक युवक को 112 बार कॉल किया. यानी लगभग हर रोज़ चार से पांच बार उनके बीच बातचीत हुई. पुलिस के मुताबिक, यह सामान्य संपर्क नहीं हो सकता.

कौन है संजय वर्मा?
अब सवाल उठ रहा है कि आखिर संजय वर्मा कौन है? क्या वो इस हत्याकांड की साजिश में शामिल है? या फिर सोनम की मदद कर रहा था? या वही इस खूनी साजिश का असली मास्टरमाइंड है, जो पर्दे के पीछे रहकर केवल आदेश देता रहा? पुलिस अब इसी कड़ी को जोड़ने में लगी है.

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गाजीपुर की यात्रा में भी दिखे थे संदिग्ध
इससे पहले सोनम के वाराणसी से गाजीपुर तक के सफर में भी कुछ ऐसे क्लू मिले थे, जो यह इशारा कर रहे थे कि वह अकेली नहीं थी. गाजीपुर के सैदपुर की निवासी उजाला यादव ने दावा किया था कि 8 जून की रात जब वह लखनऊ से वाराणसी पहुंची और वहां से गाजीपुर जाने के लिए बस में बैठी, तो उसी समय सोनम भी वहां मौजूद थी.

उजाला ने बताया था कि सोनम ने उससे गोरखपुर जाने का रास्ता पूछा और फिर बस से गाजीपुर निकल गई. लेकिन उससे भी हैरान कर देने वाली बात यह थी कि सोनम अकेली नहीं थी, बल्कि उसके साथ दो युवक भी थे, जिनमें से एक ने सफेद शर्ट पहन रखी थी और दोनों ने चेहरा ढक रखा था.

बस में सफर के दौरान उजाला सोशल मीडिया पर राजा रघुवंशी मर्डर केस से जुड़े वीडियो देख रही थी, जिसे देखकर सोनम असहज हो गई और उसे ऐसा न करने को कहा. इसके बाद सोनम ने उजाला से फोन मांगा, एक नंबर टाइप किया, कॉल नहीं किया और नंबर डिलीट कर दिया.

ढाबे वाले की गवाही
गाजीपुर के काशी टी स्टॉल के मालिक साहिल यादव ने भी पुलिस को बताया कि सोनम किसी बदहवास या डरी हुई हालत में वहां नहीं पहुंची थी, बल्कि पास की एक गाड़ी से उतरी और आराम से दुकान तक आई. वहीं से उसने अपने भाई गोविंद को फोन किया. यानी सोनम की पूरी योजना पहले से तय थी. वह किसके साथ आई थी? क्या वहां गाड़ी में संजय वर्मा मौजूद था?

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सवालों की लंबी फेहरिस्त
सोनम के कॉल डिटेल्स और गवाहों की बातों के आधार पर पुलिस अब इन अहम सवालों पर ध्यान दे रही है-

- क्या संजय वर्मा ही वो व्यक्ति है जो सोनम की मदद कर रहा था?
- क्या संजय वाराणसी से गाजीपुर तक के सफर में साथ था?
- क्या उजाला यादव जिन दो लोगों को देखकर आई, उनमें एक संजय ही है?
- क्या इस पूरे केस में फर्जी नाम से खरीदी गई सिम का इस्तेमाल हुआ है?

शिलांग पुलिस को शक है कि आरोपियों ने फर्जी नामों से सिम कार्ड लेकर उनका इस्तेमाल किया होगा, ताकि असली पहचान छुपाई जा सके.

इंदौर पहुंची शिलांग पुलिस
मंगलवार को ही शिलांग पुलिस इंदौर पहुंची और राजा रघुवंशी के घर जाकर परिजनों से पूछताछ की. पुलिस ने राजा की मां और दो भाइयों से एक घंटे तक बातचीत की. बातचीत का फोकस था- सोनम का व्यवहार, उसका परिवार से रिश्ता और हनीमून ट्रिप के दौरान की गतिविधियां. इससे पहले पुलिस ने उस फ्लैट की भी तलाशी ली थी, जहां कत्ल के बाद सोनम आकर रुकी थी.

दूसरा हथियार अब बरामद
मंगलवार को ही पुलिस ने मौका-ए-वारदात पर क्राइम सीन रिक्रिएशन किया. इस दौरान उस खाई के पास से हत्या में इस्तेमाल हुआ दूसरा हथियार बरामद कर लिया गया, जो अब तक गायब था. पहले ही पुलिस यह बता चुकी थी कि राजा की हत्या में दो हथियारों का इस्तेमाल हुआ था.

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सुपारी लेकर नहीं, दोस्ती में किया मर्डर
शिलांग पुलिस ने पहले ही यह साफ कर दिया है कि यह कोई सुपारी किलिंग नहीं थी. राज कुशवाह ने अपने दोस्तों - आकाश, विशाल और आनंद को दोस्ती में हत्या के लिए तैयार किया. उन्हें किसी तरह की मोटी रकम नहीं दी गई, बल्कि केवल ₹59,000 ट्रैवल और अन्य खर्चों के लिए दिए गए थे.

पहले नाकाम कोशिश, छठी बार में कत्ल
पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि राजा की हत्या की प्लानिंग चार-पांच बार की गई थी. पहली बार गुवाहाटी में कोशिश नाकाम रही. दूसरी बार नोंघरियाह में लाश ठिकाने लगाने की जगह नहीं मिली. तीसरी बार मावलखियात में प्लान फेल हो गया. फिर पानी में डुबोकर मारने की कोशिश भी नाकाम रही. और फिर आखिरकार 23 मई को वैसेडॉन्ग फॉल्स के पास कातिलों को मौका मिला और राजा की हत्या को अंजाम दे दिया गया.

(इंदौर से रवीश पाल का इनपुट)

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