scorecardresearch
 

साबरमती जेल से अतीक को उम्रकैद के हिसाब तक... पिछले 36 घंटे में माफिया डॉन के साथ कब क्या हुआ?

उमेशपाल अपहरण केस में अतीक अहमद समेत तीन को दोषी करार दिया गया है. सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. वहीं सात आरोपियों को बरी कर दिया गया है. इससे पहले अतीक को सोमवार को साबरमती जेल से नैनी शिफ्ट किया गया था. पुलिस ने माफिया को यूपी लाने के लिए करीब पौने तेरह सौ किमी. तक का सफर तय किया था. इस दौरान लोग टीवी के पर्दे पर नजरें गड़ाए थे कि पता नहीं कब और कहां गाड़ी पलट जाए या फिर गाड़ी नजरों से अचानक ओझल हो जाए.

Advertisement
X
अतीक अहमद को एमपी-एमएलए कोर्ट ने अपहरण के मामले में दोषी करार दिया है
अतीक अहमद को एमपी-एमएलए कोर्ट ने अपहरण के मामले में दोषी करार दिया है

साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद को जब यूपी लाया जा रहा था, तब हर तरफ सवाल सुनाई दे रहे थे. कानून की गाड़ी सड़क पर पलट तो नहीं जाएगी? इंसाफ का पहिया रास्ते में फिसल तो नहीं जाएगा? किसी पुलिसवाले के हथियार फिर से छिन तो नहीं लिए जाएंगे? अदालत से पहले सड़क पर ही एक बार फिर से फैसला तो नहीं सुना दिया जाएगा? कानपुर वाले विकास दुबे की कहानी प्रयागराज वाले अतीक अहमद के साथ तो नहीं दोहराई जाएगी?

सफर में रोमांच और एक्शन 

बस इस 'फिर से और फिर से' के सवाल ने तमाम न्यूज चैनलों की गाड़ियों को करीब पौने तेरह सौ किलोमीटर तक अहमदाबाद से प्रयागराज तक खूब भगाया. लोग टीवी के पर्दे पर नज़रें गड़ाए थे कि पता नहीं कब और कहां गाड़ी पलट जाए या फिर गाड़ी नज़रों से अचानक ओझल हो जाए, क्योंकि पलटने और नज़रों से ओझल हो जाने में लोगों को एक रोमांच और एक्शन नज़र आ रहा था. 

एक जेल से शुरू होकर दूसरी पर खत्म

लेकिन, कानून की गाड़ी एक ही ढर्रे पर हर बार नहीं पलटती है. शक यक़ीन में बदल जाता है. ठीक वैसे ही जैसे चमत्कार बार-बार नहीं होता और जो बार-बार हो वो चमत्कार नहीं होता. फिर इस सफर में कमबख्त कानपुर की तरह प्रयागराज में बारिश भी नहीं हुई कि पहिया फिसलता और गाड़ी पलटती. लिहाज़ा करीब 24 घंटे का यह सफर एंटी क्लाइमेक्स और बिना किसी एक्शन सीन के एक जेल से शुरू होकर दूसरे जेल के दरवाज़े पर जाकर ख़ामोशी से ख़त्म हो जाता है.

Advertisement

3 राज्य और 24 घंटे का सफर

याद कीजिए लगभग ढाई साल पहले ठीक ऐसे ही एक सफर का हिस्सा बने थे आप. तब गाड़ी को उज्जैन से चलकर कानपुर पहुंचना था. तब सफर छोटा भी था. लेकिन इस बार सफर सचमुच लंबा था. करीब पौने तेरह सौ किलोमीटर की दूरी, 24 घंटे से ज़्यादा का सफर और तीन राज्यों की सीमाएं. क़ाफ़िले के साथ कुल 9 गाड़ियां और 45 जवान-अफसर. कायदे से देखें तो अगर यूपी पुलिस अहमदाबाद से प्रयागराज तक के लिए किसी ट्रेन का पूरा एक डब्बा ही बुक करा लेती तो खर्चा भी कम पड़ता और थकान भी कम होती. पर हां फिर ये तमाशा ज़रूर मिस हो जाता और वो गाड़ी पलटने वाला सस्पेंस और रोमांच भी ख़त्म हो जाता. 

ऐसे अटकी थीं अतीक की सांसें

अब यह तो पता नहीं कि पौने तेरह सौ किलोमीटर के सफर के दौरान उस जेल वैन ने कितने झटके खाए और कितनी बार अचानक ब्रेक लगा. मगर यह ज़रूर है कि अचानक लगते हर ब्रेक पर अतीक अहमद का ब्रेक डाउन ज़रूर हुआ होगा. खास कर एमपी के शिवपुरी इलाके में तो अतीक अहमद की सांसें शर्तिया उस वक्त अटक गई होंगी जब सचमुच जेल वैन के ड्राइवर ने अचानक ज़ोर की ब्रेक मारी और कुछ पल के लिए लगा कि बस अब गाड़ी पलट गई. हुआ यह था कि जेल वैन के सामने एक गाय आ गई थी. गाय को बचाने के लिए ड्राइवर ने ब्रेक मारी पर फिर भी गाय वैन की चपेट में आ गई और उसकी मौत हो गई लेकिन अतीक अब भी ज़िंदा और सही-सलामत था.

Advertisement

विकास दुबे वाला रूट

करीब ढाई साल पहले 8 जुलाई 2020 को विकास दुबे की गाड़ी भी सड़क पर वैसे ही सरपट भाग रही थी. तब भी पीछे मीडिया का काफिला था. पर शुरुआती रूट अतीक से अलग था. विकास दूबे उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था. जबकि अतीक अहमदाबाद से प्रयागराज. विकास और अतीक का रूट  पहली बार एमपी के शिवपुरी में मिलता है. विकास भी उज्जैन से शिवपुरी पहुंचा, फिर वहां से झांसी और झांसी से बांदा होते हुए कानपुर.

डराने वाले 300 किमी.

अतीक अहमद भी अहमदाबाद से शिवपुरी पहुंचा. फिर वहां से झांसी और उसके बाद बांदा. बांदा से प्रयागराज और कानपुर का रास्ता अलग हो जाता है यानी विकास दूबे और अतीक अहमद दोनों ही शिवपूरी से बांदा तक एक ही रास्ते पर सफर कर रहे थे. ये रास्ता करीब 300 किलीमटर लंबा है. यानी 300 कलोमीटर तक विकास दूबे और अतीक अहमद की गाड़ी एक ही रूट पर दौड़ी थी. यकीनन इस रूट पर जाते हुए अतीक को विकास दुबे की कहानी याद आई होगी या फिर वैन में बैठे पुलिस वालों ने शायद याद दिलाई हो.

विकास दुबे का आखिरी सफर

विकास दुबे अपनी मंज़िल यानी कानपुर की दहलीज़ तक लगभग पहुंच चुका था. मगर मंज़िल पर पहुंच कर भी वो मंज़िल तक नहीं पहुंच सका था. क्योंकि मंज़िल से बस कुछ किलोमीटर पहले ही गाड़ी नज़रों से ओझल हुई और फिर पलट गई थी. और इसके साथ ही विकास दूबे की ज़िंदगी भी पलट चुकी थी.
 
जारी था अतीक का सफर

Advertisement

मगर बांदा के बाद भी अतीक का सफर जारी था. कानपुर की दहलीज़ के इतिहास को देखते हुए अब नजरें प्रयागराज की दहलीज़ पर थीं. पर यहां अतीक ने ये दहलीज़ भी ज़िंदा ही पार कर ली. रविवार शाम लगभग जितने बजे अतीक अहमद अहमदाबाद की साबरमती जेल से बाहर निकला था, सोमवार शाम लगभग ठीक उतने ही बजे वो प्रयागराज की नैनी जेल में दाखिल हो रहा था. वो भी ज़िंदा.

उमेशपाल अपहरण केस में अतीक दोषी करार

प्रयागराज की इस नैनी जेल से अतीक अहमद मंगलवार की सुबह एक बार फिर बाहर आया और उसे जेल से प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ले जाया गया. जहां उसकी मौजूदगी में मुक़दमे का फैसला सुनाते हुए उसे दोषी करार दे दिया गया. साथ ही अन्य कुछ आरोपियों को भी अदालत ने दोषी माना है.

17 साल पुराना है मामला

आपको फिर से बता दें कि ये केस उमेशपाल की हत्या का केस नहीं है. बल्कि जिस उमेशपाल की हाल में हत्या हुई है, उसी उमेशपाल के 28 फरवरी 2006 में हुए अपहरण का मुकदमा है. दरअसल विधायक राजूपाल हत्याकांड में उमेशपाल शुरूआती गवाह माना गया था. जबकि अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ मुख्य आरोपी.

अतीक पर है अगवा करने का इल्जाम

अतीक और उसके भाई पर इलज़ाम है कि दोनों ने अपने गुर्गों के साथ मिल कर 28 फरवरी 2006 को उमेशपाल को किडनैप कर लिया था. इसके बाद उमेशपाल को अतीक के एक दफ्तर में ले जाकर रात भर बुरी तरह पीटा गया. फिर इस धमकी के साथ कि राजूपाल केस में गवाही नहीं देगा, एक मार्च 2006 को उसे छोड़ दिया गया था. मगर बाद में उमेशपाल ने अपहरण की रिपोर्ट लिखा दी. अब 17 साल बाद उसी केस में मंगलवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाया है.

Advertisement

हो सकती है गुजरात वापसी

अगर इस केस में अतीक को सज़ा भी हो जाती है तो भी उसे वापस अहमदाबाद की साबरमती जेल ही जाना होगा. क्योंकि अतीक को यूपी की जेल से दूर गुजरात की जेल में रखने का फैसला सुप्रीम कोर्ट का है. यानी बहुत मुमकिन है कि मंगलवार को ही उसे वापस साबरमती जेल के लिए रवाना कर दिया जाए.

पुलिस ने अदालत से मांगी पूछताछ की इजाजत

लेकिन अतीक अहमद को प्रयागराज में ही रोकने के लिए यूपी पुलिस के पास एक और मौका है. उमेशपाल हत्याकांड में अतीक को यूपी पुलिस ने मुख्य आरोपी बनाया है. इस केस में अभी तक अतीक से पूछताछ नहीं हुई है. सोमवार को यूपी पुलिस ने प्रयागराज की ही एक कोर्ट में उमेशपाल मर्डर केस में अतीक से पूछताछ के लिए उसकी पुलिस हिरासत की मांग की है. हालांकि सोमवार को कोर्ट बंद होने तक अदालत में ये मामला लिस्टेड नहीं था. अब अगर कोर्ट यूपी पुलिस की अर्जी मान लेती है तो फिर कम से कम अगले कुछ दि्नों के लिए अतीक को प्रयागराज में ही रहना होगा.

इस बीच दूसरी तरफ अतीक के तमाशाई सफर से अलग उसके बाई अशरफ को बरैली जेल से बिना किसी शोर-शराबे के निकाल कर सोमवार को ही प्रयागराज की नैनी जेल पहुंचा दिया गया था. अशरफ को बिना सुरक्षा के तामझाम के बीच एक पुलिस वैन में बिठा कर ही बरैली से प्रयागराज पहुंचा दिया गया. वो भी बगैर गाड़ी पलटे.

Advertisement
Advertisement