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Crime Katha: एक घर, दो कातिल और चार लाशें... 6 महीने बाद ऐसे खुला था खूनी राज, सन्न कर देगी 24 साल पुरानी ये वारदात

24 साल पहले कत्ल का ऐसा मामला सामने आया था, जिसमें एक नहीं बल्कि चार-चार कत्ल किए गए थे. वो भी एक ही घर में.. आज क्राइम कथा में कहानी उसी खूनी वारदात की, जिसे सुनकर आज भी लोगों की रूह कांप जाती है.

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चैताली-रिजवान की करतूत का फसाना लोगों को हैरान कर देता है
चैताली-रिजवान की करतूत का फसाना लोगों को हैरान कर देता है

Crime Katha: पुलिस की फाइलों में कई ऐसी खौफनाक वारदातें दफ्न हैं, जिन्हें जानकर लोग आज भी हैरान हो जाते हैं. ये इस तरह के जुर्म थे, जिनकी तफ्तीश और तहकीकात पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं थी. ऐसी ही एक वारदात को आज से ठीक 24 साल पहले चार हिस्सों में अंजाम दिया गया था. ये मामला था कत्ल का. वो भी एक नहीं बल्कि चार-चार कत्ल. जो एक बाद एक कुछ घंटों के दौरान अंजाम दिए गए थे. आज क्राइम कथा में कहानी उसी खूनी वारदात की, जिसे सुनकर आज भी लोगों की रूह कांप जाती है.

29 जनवरी 1999

झारखंड की स्टील सिटी जमशेदपुर. जहां  शुभेंदु भौमिक का परिवार टेल्को इलाके में रहता था. उस परिवार में कुल मिलाकर पांच सदस्य थे. परिवार के मुखिया शुभेंदु भौमिक टेल्को कंपनी में ही तैनात थे. जबकि उनकी पत्नी लकी घर संभालती थी. उनका 14 साल का बेटा कल्याण पढ़ रहा था और एक बेटी थी चैताली, जो शहर के एक नामी कालेज में पढ़ती थी. बच्चों की बुजुर्ग नानी अनिता भी उनके साथ रहती थी. उनका एक हंसता खेलता परिवार था. उस दिन तक भी किसी ने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था, जो कुछ उनके साथ होने वाला था. कुछ ऐसा जो बहुत भयानक था.

कुछ बैचेन लग रही थी चैताली

सर्दियों का मौसम था. दोपहर के करीब डेढ़ बज रहे थे. शुभेंदु भौमिक अपने काम पर यानी कंपनी गए हुए थे. उनका बेटा कल्याण भी घर से बाहर था. घर में केवल शुभेंदु की पत्नी लकी, बेटी चैताली और उनकी बुजुर्ग सास अनिता मौजूद थी. हर रोज की तरह उस दिन भी दोपहर में खाने के बाद बुजुर्ग नानी ऊपर पहली मंजिल पर अपने कमरे में आराम करने जा चुकी थीं. चैताली की मां लकी भी घर के कुछ काम बिजी थी. लेकिन ऐसा लग रहा था कि मानों चैताली कुछ बैचेन थी. जैसे वो किसी का इंतजार कर रही हो.

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घर में एक नौजवान की एंट्री

जब उसकी मां घर के काम निपटा रही थी, उसी दौरान चैताली चुपचाप आकर घर के दरवाजे पर जाकर खड़ी हो गई. वो लगातार रस्ते पर निगाहें लगाए बैठी थी. वो सच में किसी का इंतजार कर रही थी. कुछ देर बाद उसका इंतजार खत्म हुआ और एक नौजवान शख्स उसके सामने खड़ा था. पहले उन दोनों ने वहां दबी आवाज़ में कुछ बातें की और इसके बाद वे घर में दाखिल हो गए. इस दौरान चैताली की मां को इस बात की बिल्कुल भी भनक नहीं लगी. जबकि उसकी नानी तो पहले ही अपने कमरे में सो रही थी. 

घर में पहला का कत्ल

इसी बीच चैताली उस नौजवान को साथ लेकर मकान की पहली मंजिल पर बने उस कमरे में पहुंची, जहां उसकी नानी सो रही थी. उन दोनों को ऊपर जाते वक्त किसी ने नहीं देखा. अब चैताली और वो नौजवान नानी के कमरे में थे. नानी गहरी नींद में थी. तभी अचानक वो दोनों नानी पर झपटे पहले उन दोनों ने नानी का मुंह और नाक दबा दिया. वो तड़पने लगीं, उनकी आवाज़ भी नहीं निकली और दम घुटने की वजह से उनकी मौत हो चुकी थी. उनका जिस्म ठंडा पड़ चुका था. अब बिस्तर पर बुजुर्ग अनीता नहीं बल्कि उनका मुर्दा जिस्म पड़ा था.

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तेजधार हथियार से लाश के टुकड़े

अब बारी थी उस लाश को ठिकाने लगाने की. लिहाजा चैताली और उस नौजवान ने मिलकर एक तेजधार हथियार से नानी की लाश के कई टुकड़े कर डाले और फिर उन टुकड़ों को बेड की चादर में बांध कर कोने में रख दिया. कमरे में खून के निशान भी साफ करने की कोशिश की. अब वो दोनों थोड़ा रिलैक्स कर रहे थे. इसके बाद चैताली और उस शख्स के बीच कुछ बातचीत होती है और वो दोनों उस कमरे से बाहर निकल जाते हैं.

घर में दूसरा कत्ल

अब वो दोनों उस कमरे का रुख करते हैं, जहां चैताली की मां लकी मौजूद थी. पहले चैताली उनके कमरे में दाखिल होती है और पीछे वो शख्स भी आता है. चैताली की मां भी उस वक्त आराम कर रही थी. इससे पहले कि वो कुछ समझ पाती या संभल पाती, चैताली और उस नौजवान ने उनका गला दबाकर उन्हें भी मौत की नींद सुला दिया. इसके बाद उन दोनों ने वही किया, जो उन्होंने नानी की लाश के साथ किया था. यानी लाश के टुकड़े-टुकड़े कर दिए. कमरे में खून ही खून था. दोनों ने पहले लाश के टुकड़ों को बांधकर रख दिया और फिर वहां भी खून के निशान मिटा दिए. वो बेटी यानी चैताली बेरहमी के साथ खुद पहले नानी और अब अपनी मां को मौत के घाट उतार चुकी थी. 

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उसी शख्स के साथ कमरे में मौजूद थी चैताली

अब भौमिक परिवार के घर में दो कत्ल हो चुके थे और वहां दो लाशें मौजूद थी. लेकिन चैताली और वो शख्स अभी भी कुछ करने की तैयारी में थे. अब वो दोनों वापस नानी के कमरे में जा चुके थे. यानी वो दोनों ऊपरी मंजिल पर बने कमरे में थे. ऐसा लग रहा था कि वो शख्स वहां से जाना ही नहीं चाहता था. चैताली उसके साथ बहुत खुश लग रही थी. उसका बर्ताव बिल्कुल ऐसा था, जैसे कुछ हुआ ही नहीं. 

घर में तीसरा कत्ल

अब शाम का वक्त हो चुका था. अब चैताली का भाई कल्याण घर में दाखिल होता है. वो सीधे ऊपरी मंजिल पर जाता है. जैसे ही वो अपनी नानी से मिलने के लिए उनके कमरे का दरवाजा खोलकर अंदर दाखिल होता है, चैताली के साथ वहां मौजूद वो शख्स कल्याण को गले से पकड़कर नीचे गिरा देता है और फिर पहले की तरह ही वो दोनों गला दबाकर उसका कत्ल करते हैं और फिर लाश को निपटाने के लिए वही तरीका अपनाते हैं, जो वो लोग पहले भी कर चुके थे. यानी लाश को तेजधार हथियार से टुकड़ों में काट देते हैं. फिर खून साफ करते हैं और कल्याण की लाश के टुकड़ों को भी कपड़े में बाधकर रख देते हैं.   

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अभी बाकी था एक खून 

घड़ी की सुई जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी, वैसे-वैसे भौमिक परिवार के उस घर में एक के बाद एक तीन कत्ल हो चुके थे. यानी उस घर में अब तक तीन लोगों का खून हो चुका था. उस घर की दो मंजिल पर तीन लाशें पड़ी थीं. मगर उस घर में अभी एक कत्ल और होना था. उसी का इंतजार चैताली और वो दूसरा कातिल कर रहा था. और वो कत्ल होना था घर के मुखिया शुभेंदु भौमिक का.

घर में चौथा कत्ल

दिन ढ़ल चुका था. रात होने को आई तो शुभेंदु भौमिक कंपनी से काम निपटा कर अपने घर लौट आए. जब वो घर आए तो दरवाजा बंद तो था लेकिन लॉक नहीं था. उनके घर में आने की दस्तक से चैताली को पता चल चुका था कि उसके पिता घर आ चुके हैं. वो दोनों शुभेंदु के आने का ही इंतजार कर रहे थे. इससे पहले कि शुभेंदु ऊपरी मंजिल पर जाते, चैताली उनके पास आ गई और तभी पीछे से वो शख्स भी वहां आ गया और उसने शुभेंदु भौमिक को पीछे से पकड़कर बिस्तर पर गिरा दिया. चैताली भी उसका साथ दे रही थी. उस पर तो जैसे खून सवार था. उन दोनों ने पहले की तरह गला दबाकर शुभेंदु का कत्ल किया और फिर तेजधार हथियार से वार करके लाश के टुकड़े कर दिए.

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सेप्टिक टैंक में ठिकाने लगाए थे लाश के टुकड़े

अब भौमिक परिवार के पांच सदस्यों में से 4 का कत्ल हो चुका था. घर में मौत का सन्नाटा पसरा हुआ था. अब बारी थी उन चारों लाशों के टुकड़ों को ठिकाने लगाने की. चैताली और उसके साथी ने मिलकर प्लान बनाया कि लाशों को घर के पीछे बने सेप्टिक टैंक में डाल दिया जाए. इसके बाद उन दोनों ऐसा ही किया. चारों लाशों के टुकड़ों को उन दोनों ने सेप्टिक टैंक में डालकर ऊपर से ढक्कन बंद कर दिया. यही नहीं अगले दिन चैताली का पार्टनर इन क्राइम वो शख्स सीमेंट और रेत लेकर आया. उसका घोल तैयार किया और सेप्टिक टैंक के ढक्कन समेत पूरे ऊपरी हिस्से को सीमेंट से सील कर दिया.

वापस लौट गया था खूनी पार्टनर

कुल मिलाकर एक बाद एक चार कत्ल और फिर खून और सबूत मिटाने की इस जद्दोजेहद में चैताली और उसके पार्टनर को करीब 30 घंटे का वक्त लगा. कत्ल, सफाई और लाश के टुकड़ों को सेप्टिक टैंक में ठिकाने के लगाने के बाद वो नौजवान शख्स वापस लौट गया. अब अपने माता-पिता, भाई और नानी का कत्ल करने के बाद चैताली उसी घर में मौजूद थी. दो दिन बीत चुके थे. मगर इस सामूहिक हत्याकांड की भनक किसी को नहीं लगी.

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घर पर ताला लगाकर चली गई थी चैताली

तीसरे दिन किसी पड़ोसी ने घरवालों के बारे में चैताली से पूछा तो उसने बताया कि वे लोग एक शादी समारोह में शहर से बाहर गए हुए हैं. इसी तरह से एक दो लोगों ने और इस बारे में पूछा तो चैताली ने यही जवाब दिया. मगर अब वो इस बात से परेशान होने लगी थी. उसे पकड़े जाने का डर भी सता रहा था. लिहाजा कुछ दिनों अचानक चैताली अपने मकान पर ताला लगाकर कहीं चली गई. किसी को उसके बारे में कुछ पता नहीं चला.

शुभेंदु को तलाश रहे थे कंपनी के लोग

घर पर ताला लगाने के बाद वक्त बीतता जा रहा था. किसी को भी भौमिक परिवार का कोई सदस्य नहीं दिख रहा था. रिश्तेदार, पड़ोसी  और दूसरे लोग भी इस बात को लेकर हैरान थे कि आखिर ये पूरा परिवार कहां गायब हो गया? इस खूनी वारदात को करीब 6 माह का वक्त बीत चुका था. लेकिन किसी को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी. टेल्को कंपनी के लोग भी शुभेंदु को तलाश कर रहे थे, क्योंकि वो 6 माह से काम पर नहीं पहुंचे थे. कंपनी के लोग जब भी टेल्को इलाके में उनके घर जाते तो वहां हमेशा ताला लगा मिलता. उन्हें शुभेंदु के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही थी.

चैताली के मामा ने दर्ज कराई थी FIR

कई रिश्तेदार भी हैरान थे कि 6 महीने से लगातार उनके घर पर फोन कॉल की जा रही थी. लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा था. फोन करनेवालों में चैताली के मामा भी शामिल थे. जो बेहद परेशान थे. लिहाजा उन्होंने अपनी बहन के घर जाने का फैसला किया. इसी प्लान के मुताबिक शुभेंदु की पत्नी के भाई अपनी बहन से मिलने उनके घर जा पहुंचे. वहां जाकर जब उन्होंने पड़ोसियों से जानकारी ली तो पता चला कि भौमिक परिवार की किसी रिश्तेदारी में कोई शादी थी ही नहीं. तब उन्होंने सबसे पहले जाकर पुलिस को इस मामले की शिकायत दी.

भौमिक परिवार के घर पहुंची पुलिस

शिकायत मिलने के बाद पुलिस हरकत में आ गई. पुलिस भी हैरान थी कि अचानक ये पूरा परिवार कहां गायब हो गया. पुलिस ने मामले की तफ्तीश शुरू कर दी. इसी कड़ी में सबसे पहले पुलिस भौमिक परिवार के घर पहुंची. घर पर लगा ताला भी तोड़ दिया गया. उस वक्त चैताली के मामा भी वहां मौजूद थे. पुलिस ने पहली नजर में जब घर को देखा तो वहां कुछ नहीं मिला. लेकिन जब पुलिस की टीम घर के बैक साइड में पहुंची तो वहां एक जगह पर सीमेंट प्लास्टर दिखाई दिया, जो ज्यादा पुराना नहीं था. 

घर के पीछे सेप्टिक टैंक में थीं लाशें

ना जाने क्यों चैताली के मामा को उस सेप्टिक टैंक पर किए प्लास्टर को देखकर कुछ शक होने लगा. पुलिस और चैताली के मामा को ये बात परेशान कर रही थी कि यह मकान करीब 6 महीने से बंद पड़ा था. लेकिन सेप्टिक टैंक पर किया गया सीमेंट ज्यादा पुराना नहीं था. इसी बात को जानकर पुलिसवाले भी हैरान थे. लिहाजा, शक की बिनाह पर सेप्टिक टैंक का ढक्कन तोड़ा गया. और जैसे ही पुलिसवालों ने सेप्टिक का ढक्कन हटाया तो अंदर का मंजर देखकर उनके होश उड़ गए. उस टैंक के अंदर से इंसानी शरीर के टुकड़े तैर रहे थे.

यू्ं हुआ चैताली पर शक

अब पुलिस और फोरेंसिक की टीम ने इलाके को सील कर दिया. और इंसानी जिस्म के उन टुकड़ों को पोस्टमार्टम, डीएनए और दूसरी जांच के लिए रवाना कर दिया. इस मामले की छानबीन के दौरान पुलिस को पता चला कि परिवार के यूं गायब हो जाने के बाद भी घर में केवल चैताली थी. लेकिन बाद में वो अचानक कहीं गायब हो गई. बस यही वजह थी कि अब पुलिस को चैताली पर शक हो रहा था.

चैताली की तलाश

इधर, पुलिस का ये शक उस वक्त पुख्ता हो गया, जब सेप्टिक टैंक से मिले मानव अंगों के टुकड़ों की जांच रिपोर्ट सामने आई. वजह ये थी कि रिपोर्ट के अनुसार सेप्टिक टैंक में मिले इंसानी जिस्म के टुकड़े 4 अलग-अलग लाशों के थे. सबसे अहम बात ये थी कि चैताली ने खुद अपने परिवार का खात्मा किया था और मरने वाले उसके माता-पिता, छोटा भाई और नानी थी. इसके बाद पुलिस फौरन चैताली की तलाश में जुट गई. लेकिन कमाल की बात ये थी कि पुलिस उसका पता नहीं लगा सकी.

प्यार की खातिर परिवार का खात्मा

मगर चंद दिनों बाद कुछ ऐसा हुआ कि पुलिस भी हैरान रह गई. जिस चैताली और उसके पार्टनर को पुलिस तलाश रही थी, वो दोनों खुद थाने जा पहुंचे और पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. उसने पुलिस को बताया कि घर के चार सदस्यों का कातिल कोई और नहीं बल्कि वो खुद थी. उसी ने अपने माता-पिता, भाई और नानी का कत्ल किया है. जिसकी वजह थी इश्क. जी हां ये इश्क ही था, जो खूनी हो गया और चार लोगों की जान ले ली.

चैताली के साथ कत्ल में मौजूद था रिजवान खान

दरअसल, इस सामूहिक हत्याकांड में चैताली का पार्टनर कोई और नहीं बल्कि शहर का उभरता हुआ क्रिकेटर रिजवान खान था. रिजवान ठीक चैताली के कॉलेज के पास वाले स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिए जाता था. वहीं उन दोनों की एक इवेंट के दौरान मुलाकात हुई थी. इसके बाद वो दोनों करीब आ गए. पहले मुलाकातें होती रही. और बहुत जल्द दोनों ने चुपचाप कोर्ट मैरिज कर ली थी. 

चार लोगों के कत्ल का मोटिव

बावजूद इसके वो दोनों साथ रहने लगे थे. पर इसी बीच चैताली को पता चला कि वो मां बनने वाली है. वो जानती थी कि ये बात आज नहीं तो कल उसके घरवालों को भी पता चल जाएगी. लिहाजा उसने अपने घरवालों को बता दी पूरी कहानी. लेकिन उनका ये रिश्ता चैताली के परिवार को कतई मंजूर नहीं था. वे चैताली के इस रिश्ते की बात जानकर आग बबूला हो गए थे. वो लोग चैताली पर दबाव बना रहे थे कि रिजवान को छोड़ दे. उनका हर दिन झगड़ा हो रहा था, लिहाजा चैताली ने अपने पूरे परिवार को रास्ते से हटाने का खौफनाक प्लान बनाया. जिसे उसने रिजवान के साथ मिलकर अंजाम दे डाला. पुलिस के मुताबिक छानबीन और तहकीकात में साफ हो गया था कि सामूहिक कत्ल की ये साजिश खुद चैताली ने ही रची थी.  

13 मार्च 2001 

इसके बाद चैताली और रिजवान को जेल भेज दिया गया. मामला जमशेदपुर सेशन कोर्ट में चलता रहा. डेढ़ साल मुकदमा चलने के बाद आखिरकार कोर्ट ने उन दोनों को सजा-ए-मौत सुना दी. कोर्ट ने दोनों को फांसी पर लटका देने का हुक्म दिया और कलम तोड़ दी. 

31 जनवरी 2003

सेशन कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए चैताली और रिजवान ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. झारखंड की हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट का फैसला बदलते हुए सजा-ए-मौत को उम्रकैद में बदल दिया. यही नहीं, इस मामले में राहत के लिए उन दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में भी अपील दायर की. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. इसके बाद उन दोनों को हजारीबाग जेल में रखा गया. जहां चैताली ने एक बेटे को जन्म दिया था.
 
2 अक्टूबर 2018

यही वो दिन था, जब झारखंड के डाल्टेनगंज से रिजवान खान और दुमका जेल से चैताली की रिहाई हो गई थी. उन दोनों का बेटा भी काफी बड़ा हो चुका है. इस खौफनाक हत्याकांड के 24 साल बीत जाने के बाद भी लोग उस वारदात को भूले नहीं हैं.

 

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