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IMF के पैसे से भी पाकिस्तान का कुछ नहीं होने वाला? Moody's ने बजा दी खतरे की घंटी

आर्थिक बदहाल Pakistan के लिए Moody's की रिपोर्ट खतरे की घंटी बजाने वाली है. इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान की लिक्विडिटी और आर्थिक स्थिति भारी जोखिम में हैं. अगले कुछ वर्षों के लिए देश चलाने के लिए पाकिस्तान को फंड जमा करने की क्षमता पर भी जोखिम बना हुआ है.

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रेटिंग एजेंसी मूडीज की रिपोर्ट ने बढ़ाई पाकिस्तान की चिंता
रेटिंग एजेंसी मूडीज की रिपोर्ट ने बढ़ाई पाकिस्तान की चिंता

कंगाल पाकिस्तान (Pakistan) के हाल बेहाल हैं और ये हर बीतते दिन के साथ बिगड़ते ही जा रहे हैं. महंगाई चरम पर पहुंचने से लोगों की थाली से रोटी तक गायब होती जा रही है. देश में महंगाई दर (Pakistan Inflation) 25 फीसदी पर है और इसमें आने वाले दिनों में राहत की उम्मीद कम ही है. ये हम नहीं कह रहे, बल्कि वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स (Moody's Investors) ने देश में खतरे की घंटी बजाई है. एजेंसी के इकोनॉमिस्ट्स ने आशंका जाहिर करते हुए कहा है कि 2023 की पहली छमाही में महंगाई दर 33 फीसदी के स्तर पर पहुंच सकती है.

क्या IMF की मदद पार लगाएगी नैया?
Moody's Investors की ताजा रिपोर्ट ने पहले से आर्थिक बदहाल देश की चिंता को और भी बढ़ा दिया है. इस इकोनॉमिक क्राइसिस (Pakistan Economic Crisis) से निकलने के लिए पाकिस्तान की शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) सरकार कई देशों के सामने हाथ फैला चुकी है, लेकिन हर ओर से उसे निराशा ही हाथ लगी है. अब उसको सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मदद की आस बची है. बता दें पाकिस्तान ने 2019 में 6 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के लिए साइन किया था.

इस डील के 1.1 अरब डॉलर की पहली किस्त दिसंबर से रुकी हुई है और सरकार इसे रिलीज कराने के हर संभव प्रयास कर रही है. यहां तक कि वैश्विक निकाय की ओर से रखी गई कई कड़ी शर्तों को भी सरकार मानती जा रही है. इसमें जनता पर नया टैक्स (Pakistan New Tax) थोपने से लेकर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा (Petrol-Diesel Price Hike) तक शामिल है.  

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खजाना खाली और करेंसी धराशायी
अब सवाल ये है कि पाकिस्तान के जो वर्तमान हालात हैं. यानी सरकार का खजाना खाली हो चुका है और विदेशी मुद्रा भंडार (Pakistan Forex Reserve) 3 अरब डॉलर के नीचे पहुंच गया है...पाकिस्तानी रुपया अमेरिकी डॉलर (Pakistani Rupee Vs Dollar) के मुकाबले 275 के निचले स्तर पर आ गया है...खाने-पीने से लेकर तेल गैस के दाम आसमान पर पहुंचने से देश में हाहाकार मचा हुआ है. ऐसी स्थिति में क्या आईएमएफ की मदद देश को संकट से उबारने के लिए काफी है? तो इस सवाल के जवाब में रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स की रिपोर्ट पूरी तस्वीर साफ करती नजर आ रहा है. 

क्या कहा गया है Moody's की रिपोर्ट में? 
बुधवार को पाकिस्तान के हालातों पर जारी की गई मूडीज इन्वेस्टर्स की रिपोर्ट में एनालिटिक्स से जुड़ी सीनियर इकोनोमिस्ट कैटरीना एल (Katrina Ell) ने चेतावनी देते हुए कहा है कि पाकिस्तान में महंगाई 2023 की पहली छमाही में कम होने से पहले औसतन 33 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच सकती है. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे हालातों में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की मदद या बेलआउट पैकेज पटरी से उतर चुकी अर्थव्यवस्था को वापस ट्रैक पर लाने के लिए काफी नहीं है. 

कर्ज के बोझ तले दबा है पाकिस्तान
आर्थिक बदहाल पाकिस्तान के लिए इस रिपोर्ट के जरिए मूडीज ने खतरे की घंटी बजाई है. इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान की लिक्विडिटी और आर्थिक संकट भारी जोखिम में हैं. अगले कुछ वर्षों के लिए देश चलाने के लिए पाकिस्तान को फंड जमा करने की क्षमता पर भी जोखिम बना हुआ है. पैसा जुटाने में पाकिस्तान की स्थिति खराब होती जा रही है और कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. दरअसल, आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने के कारण पाकिस्तान अब तक पूरी दुनिया से अरबों रुपये का कर्ज ले चुका है. देश के ऊपर कुल कर्ज और देनदारी 60 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये से अधिक है.

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पाकिस्तान के ऊपर कर्ज का ये आंकड़ा देश की जीडीपी का 89 फीसदी के करीब है. सबसे खास बात ये है कि श्रीलंका की तरह ही पाकिस्तान पर चढ़े कर्ज में सबसे बड़ा हिस्सा चीन का है, जो लगभग 35 फीसदी है. पाकिस्तान पर चीन के कर्ज में बीते एक साल में तेजी से इजाफा हुआ है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश पर चीन का 30 अरब डॉलर का कर्ज है, जो फरवरी 2022 में 25.1 अरब डॉलर था. अकेले चीन का दिया कर्ज ही पाकिस्तान को IMF या विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक दोनों फंडों से अधिक है. 

देश छोड़ने को मजबूर हो रहे लोग
कर्ज के जरिए चल रहे देश में हालात ठीक उसी तरह के होते नजर आ रहे हैं, जैसे पिछले साल 2022 में श्रीलंका में दिखे थे. संकट की इस घड़ी में लोग अब देश छोड़कर भी भागने लगे हैं. पाकिस्तान से विदेश जाने वाले लोगों की संख्या में अचानक तेजी देखी जा रही है. डाटा पर नजर डालें तो पाकिस्तान में 2022 में 832,339 लोगों ने देश छोड़ दिया. ये 2016 के बाद सबसे बड़ा आंकड़ा है. वर्ष 2021 की तुलना में 2022 में देश छोड़ने वाले पाकिस्तानियों की संख्या में लगभग 200% की बढ़ोतरी हुई है.

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अन्य एजेंसियों ने भी घटाई रेटिंग
अकेले Moody's Investors ने ही नहीं, बल्कि इससे पहले ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch Ratings) ने भी पाकिस्तान के सचमुच दिवालिया (Pakistan Default) होने का अलार्म बजा दिया है. एजेंसी की ओर से पाकिस्तान की रेटिंग में एक साथ 2 निगेटिव प्वाइंट्स बढ़ाए गए हैं. ccc+ की कैटेगरी से पाकिस्तान को अब ccc- की कैटेगरी में डाल दिया है. हर बीतते दिन के साथ बिगड़ते आर्थिक हालातों के चलते बीते साल अक्टूबर 2022 में B- कैटेगरी का पाकिस्तान तीन महीने के अंदर रेटिंग के तीन प्वाइंट नीचे खिसक चुका है. फिच के साथ ही एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग (S&P Global Ratings) ने भी पाकिस्तान को दिसंबर 2022 में CCC+ कैटेगरी में डाल दिया था. 

पाकिस्तान की बदहाली, चीन की चिंता
वैश्विक रेटिंग एजेंसियों की रिपोर्ट पाकिस्तान के भविष्य का संकेत देने वाली हैं. देश की रेंटिंग प्वाइंट इतनी तेज गिरावट का एक मतलब ये भी हो सकता है कि पाकिस्तान कभी भी खुद को दिवालिया घोषित कर सकता है और अगर ऐसा हुआ तो सबसे बड़ा झटका उन कर्जदारों को लगेगा, जिन्होंने पाकिस्तान को कर्ज दे रखा है. इसमें सबसे पहले नाम चीन का आता है.

 

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