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यूटिलिटी

छट रहे हैं संकट के बादल, इस साल 73 लाख करोड़ की शॉपिंग कर सकते हैं भारतीय!

लोग खर्च करने के लिए तैयार
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कोरोना की दूसरी लहर से उबरने के बाद अब भारतीय जमकर खर्च करने के लिए तैयार हैं. FITCH SOLUTIONS की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में देशवासी 73 लाख करोड़ की शॉपिंग कर सकते हैं. ये खर्च लगभग प्री-कोविड स्तर के बराबर है. इससे मंदी का असर जल्द ही गायब होने की उम्मीद बढ़ गई है.
 

अर्थव्यवस्था में तेजी की लहर
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अनलॉक की शुरुआत के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी की लहर दौड़ सकती है. दरअसल, अभी तक आशंका जताई जा रही थी कि कोरोना की दूसरी लहर के असर से भारतीयों की खपत इस साल घट सकती है. अगर ऐसा होता है तो खपत आधारित भारतीय अर्थव्यवस्था को कड़ी चोट पहुंच सकती है.
 

फिच सॉल्यूशंस की रिपोर्ट
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लेकिन अब फिच सॉल्यूशंस की रिपोर्ट में इस आशंका को खारिज कर दिया गया है. फिच सॉल्यूशंस की रिपोर्ट के मुताबिक उपभोक्ताओं का खर्च 2021 में 9.1 फीसदी की दर से बढ़ेगा. पिछले साल उपभोक्ताओं के खर्च में 9.3 फीसदी की गिरावट आई थी.

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आर्थिक स्थिति बेहतर होने की उम्मीद
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अनुमान जताया जा रहा है कि इस दौरान भारतीय उपभोक्ता 73.3 लाख करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं. 2019 में उपभोक्ताओं ने 74 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे. अगर वाकई इस रिपोर्ट का अनुमान सटीक निकलता है तो फिर देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ी तमाम चिंताएं दूर हो सकती हैं. 
 

महंगाई बढ़ने का खतरा
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हालांकि उम्मीद की इस रोशनी पर अंधेरे का एक साया भी मंडरा रहा है. महंगाई की मुश्किल रिकवरी की रफ्तार को ब्रेक लगा सकती है. 
इस साल महंगाई औसतन 5 फीसदी रहने का अनुमान है जो मौजूदा मंदी के माहौल के लिहाज से बड़ा आंकड़ा है.
 

इनकम में धीरे-धीरे बढ़ोतरी
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इससे परिवारों की खर्च करने लायक इनकम में होने वाली बढ़ोतरी पर असर होगा. ये इनकम 4.16 लाख करोड़ के साथ प्रो-कोविड लेवल के भी पार पहुंच जाएगी. 2019 में ये 4.09 लाख करोड़ थी. लेकिन खर्च पर महंगाई का दबाव बना रहेगा.   
 

 सप्लाई चेन के कमजोर होने से दबाव
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जानकारों का भी मानना है कि बेहतर मानसून भले ही महंगाई को ज्यादा फैलने से रोक सकता है. लेकिन सप्लाई चेन के कमजोर होने से इसपर दबाव बना हुआ है. इसके अलावा भी उपभोक्ता पर असर डालने वाले 2 बड़े मुद्दे सामने खड़े हैं. 
 

ईंधन पर ज्यादा खर्च
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इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुताबिक टैक्स का डायरेक्ट और इनडायरेक्ट बोझ परिवारों को ज्यादा खर्च करने से रोक रहा है. ईंधन पर ज्यादा उत्पाद शुल्क और कॉरपोरेट टैक्स में कमी से परिवारों पर टैक्स का कुल बोझ बढ़कर 75 फीसदी पहुंच गया है जो 2019-20 में 60 प्रतिशत था. 

सरकार से राहत की उम्मीद
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साथ ही सैलरी और आमदनी में कमी भी लोगों को ज्यादा खर्च करने से रोक सकती है. उम्मीद है कि इन दोनों ही मुद्दों पर सरकार काम करेगी. राहत पैकेज देकर आमदनी बढ़ाएगी. सप्लाई चेन की कमियां दूर करके महंगाई घटाएगी. इससे आखिरकार देश की खपत बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था नई ऊंचाइयों पर पहुंच जाएगी. 

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