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100 फीसदी FDI से बदलेगी अर्थव्यवस्था की तस्वीर लेकिन रोजगार के लिए करें इंतजार

आर्थिक मामलों के जानकारों का दावा है कि भारत की एफडीआई नीति ने अभीतक विदेशी निवेश में अच्छा इजाफा किया है. अब केन्द्र सरकार के 100 फीसदी एफडीआई के फैसले से भारतीय और विदेशी कंपनियों को आपस में कारोबार करने में आसानी होगी.

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बढ़ेगा विदेशी निवेश, आएगा रोजगार
बढ़ेगा विदेशी निवेश, आएगा रोजगार

केन्द्र सरकार ने विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए एफडीआई नीति में अहम परिवर्तन का ऐलान किया है. केन्द्रीय कैबिनेट ने सिंगल ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग में ऑटोमैटिक रूट के तहत 100 फीसदी एफडीआई का फैसला लिया है. वहीं ऑटोमैटिक रूट के तहत कंस्ट्रक्शन सेक्टर में भी 100 फीसदी एफडीआई अब संभव है. इसके साथ ही सरकार ने एयर इंडिया में भी विदेशी कंपनी को 49 फीसदी हिस्सेदारी लेने के लिए मंजूरी दे दी है.

आर्थिक मामलों के जानकारों का दावा है कि भारत की एफडीआई नीति ने अभीतक विदेशी निवेश में अच्छा इजाफा किया है. अब केन्द्र सरकार के 100 फीसदी एफडीआई के फैसले से भारतीय और विदेशी कंपनियों को आपस में कारोबार करने में आसानी होगी.

ईज ऑफ डूईंग बिजनेस के साथ दौड़ेगा मेक इन इंडिया

ज्यादातर कारोबारियों का दावा है कि केन्द्र सरकार के इस फैसले से ईज ऑफ डूईंग बिजनेस बेहतर होगा. केन्द्र सरकार को अपने फ्लैगशिप प्रोग्राम मेक इन इंडिया को भी आगे बढ़ाने का मौका मिलेगा. दरअसल कई क्षेत्रों में 100 फीसदी एफडीआई से किसी भी क्षेत्र में कोई भारतीय कंपनी अथवा विदेशी कंपनी पूरी हिस्सेदारी ले सकती है. 100 फीसदी हिस्सेदारी के लिए किसी विदेशी कंपनी को अब केन्द्र सरकार से मंजूरी का इंतजार नहीं करना होगा. यह हिस्सेदारी वह ऑटोमैटिक रूट के तहत ले सकती है.

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इसे पढ़ें: खुफिया विभाग की चेतावनी, एयरलाइन्स में 100 फीसदी FDI में खतरा

एयर इंडिया का निजीकरण तय

एयर इंडिया में 100 फीसदी हिस्सेदारी (49 फीसदी विदेशी निवेश) के फैसले से अब साफ हो गया है कि कंपनी निजी हाथों में जाने के लिए तैयार है. हालांकि अभी भी एयर इंडिया का बड़ा शेयर किसी भारतीय निजी कंपनी के हाथ ही रहेगा लेकिन अब किसी विदेशी पार्टनर की मदद से वह एयर इंडिया को पूरी तरह से अधिग्रहित करने की बोली लगा सकती है. खासबात है कि अब निजी कंपनियां एयर इंडिया को उसके घाटे समेत खरीदने में ज्यादा सक्षम हो जाएंगी.

भारत आने को तैयार कंपनियों को बड़ी राहत

सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई से ज्यादा अहम विदेशी कंपनियों के लिए सोर्सिंग नियमों में दी गई ढील है. अब विदेशी कंपनी पर भारत में बेचे जाने वाले उत्पाद का 30 फीसदी उत्पादन भारत में करने की अनिवार्यता नहीं रहेगी. विदेशी कंपनियों को 30 फीसदी के इस नियम से 5 साल तक छूट रहेगी जब वह उत्पादन के लिए देश के अंदर से प्रोडक्ट तैयार करे. लिहाजा, इस राहत के जरिए अब विदेशी कंपनी भारत में उत्पाद बेचने के लिए ग्लोबल सोर्सिंग के तहत बैठ सकेंगी.  

बढ़ेगा निवेश, आएगा रोजगार?

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इसी दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुए केन्द्र सरकार ने विदेशी संस्थागत निवेशकों और विदेशी पोर्टफोलियो इंवेस्टर को प्राइमरी मार्केट के तहत पॉवर एक्सचेंज में निवेश की मंजूरी दे दी है. केन्द्र सरकार द्वारा यह कदम अपनी एफडीआई नीति को सरल करते हुए देश में विदेशी निवेश लुभाने के लिए उठाया गया है. सरकार को उम्मीद है कि इन क्षेत्रों में एफडीआई से भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश, इनकम और रोजगार में अच्छी ग्रोथ देखने को मिलेगी.

हालांकि इंडिया टुडे के संपादक अंशुमान तिवारी का कहना है कि मौजूदा समय में मल्टी ब्रांड रिटेल में बड़े बदलाव का अहम असर देखने को मिलेगा. तिवारी के मुताबिक सिंगल ब्रांड रिटेल के क्षेत्र में हुए बड़े बदलावों से देश में रोजगार वृद्धि पर कम असर देखने को मिला है. अंशुमान तिवारी के मुताबिक सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई का फायदा कुछ प्रीमियम ब्रांन्ड्स को पहुंचेगा वह भी उस स्थिति में जब सोर्सिंग के नियमों का पालन किया जाए.

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