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न खाने को चावल, न पीने को पानी, GDP का भी होगा बंटाधार... भारत की 'वाटर स्ट्राइक' से टूटेगी PAK की कमर

Pahalgam Terror Attack के बाद भारत एक्शन मोड में है और Pakistan पर कई फैसले किए हैं. इनमें सिंधु जल संधि को स्थगित करना भी शामिल है और ये कदम पाकिस्तान की कमर तोड़ सकता है.

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पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक्शन मोड में भारत
पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक्शन मोड में भारत

पहलगाम आंतकी हमले (Pahalgam Terror Attack) से पूरा देश गम और गुस्से में है. मंगलवार को हुए इस आंतकी हमले में 28 लोगों की जान चली गई और इनमें दो विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं, जबकि कई गंभीर घायल हुए हैं. इसके बात एक्शन में आते हुए भारत ने पाकिस्तान का करारा जवाब देना शुरू कर दिया है और सबसे बड़ा फैसलों में सिंधु जल संधि को स्थगित करना (Indus Waters Treaty Suspension) भी शामिल है. इस वॉटर स्ट्राइक से न केवल पड़ोसी देश को चावल खाने और पानी पीने के लाले पड़ सकते हैं, बल्कि कई राज्य अंधेरे में डूब सकते हैं. इसका सीधा असर PAK GDP पर देखने को मिल सकता है. 

तीन तरफा होगा पाकिस्तान पर असर
कश्मीर के पहलगाम के बैसारन घाटी में हुए आतंकी हमले (Pahalgam Attack) में 28 लोगों की मौत के बाद भारत सरकार ने कई कड़े फैसले किए हैं. बुधवार को आयोजित सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक में साल 1960 में हुए सिंधु जल समझौता (Indus Waters Treaty) को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखने का निर्णय लिया गया है. भारत द्वारा सिंधु जल संधि (IWT) को स्थगित करना पहलगाम आतंकी हमले के बाद उसकी रणनीति में महत्वपूर्ण वृद्धि को दर्शाता है. संधि की बाध्यताएं खत्म होने से पाकिस्तान की कृषि, ऊर्जा और अर्थव्यवस्था तीनों पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि सिंधु नदी पड़ोसी देश की लाइफ लाइन मानी जाती है.

महत्वपूर्ण बांध और उनका असर

किशनगंगा (झेलम): 2018 से चालू, मंगला बांध प्रमुख सहायक नदी के पानी को मोड़ता है.
रतले (चिनाब): निर्माणाधीन, पाकिस्तानी पंजाब में पानी के प्रवाह को और कम कर सकता है.
शाहपुरकंडी (रावी): रावी का पानी भारतीय चैनलों द्वारा संचालित होता है, जिससे PAK की पहुंच कम हो जाती है.
उज्ह (रावी): एक नियोजित बांध, जो नीचे की ओर पानी की उपलब्धता को और कम कर देगा.

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अंधेरे में डूब सकते हैं पाकिस्तान के कई शहर
Indus Water Treaty के स्थगित होने से लंबे समय से आर्थिक संकट झेल रहा पड़ोसी मुल्क Pakistan बूंद-बूंद को मोहताज हो सकता है. यही नहीं बिना पानी के पाकिस्तान में खाद्य उत्पादन में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है, जिससे लाखों लोगों के सामने खाने का संकट पैदा होगा. घरों तक पहुंचने वाले पीने के पानी से लेकर खेतों की सिंचाई के लिए पाकिस्तान सिंधु नदी के पानी पर निर्भर रहता है और देश की कई जल विद्युत परियोजनाओं के लिए ये अहम है. ऐसे में वाटर स्ट्राइक से कई पाकिस्तानी शहर अंधेरे में डूब सकते हैं और बिन बिजली कारोबार ठप होने का असर सीधा देश की इकोनॉमी (PAK Economy) पर दिख सकता है. 

5 पॉइंट में समझें कैसे टूटेगी PAK की कमर? 

कृषि: पाकिस्तान की लगभग 80% सिंचित भूमि सिंधु के पानी पर निर्भर है. इसमें रुकावट से गेहूं, चावल और कपास जैसी प्रमुख फसलों की पैदावार कम हो सकती है, जो GDP और फूड सिक्योरिटी के लिए अहम हैं. इसके अलावा सिंचाई में कमी से लवणता की समस्या और भी बदतर हो सकती है, जो पहले से ही एग्रीकल्चर लैंड के 43% हिस्से को प्रभावित कर रही है.

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पावर सप्लाई: तरबेला और मंगला बांधों से जल विद्युत उत्पादन, जो कि लगभग 30% विद्युत आपूर्ति करते हैं, कम प्रवाह के कारण पावर सप्लाई ठप पड़ सकती है. बता दें कि देश की कई जल विद्युत परियोजनाओं के लिए सिंधु नदी अहम है.

रोजगार: पानी रोकने से कम पैदावार होगी और पाकिस्तान में ग्रामीण रोजगार बुरी तरह प्रभावित हो सकता है, ऐसे में डिफॉल्ट की स्थिति पैदा हो सकती है और लाहौर (Lahore) व कराची (Karachi) जैसे बड़े शहरों पर शहरी प्रवास का दबाव बढ़ सकता है. 

प्रांतों में विवाद: अंतर-प्रांतीय जल तनाव (Water Tension) का एक और गंभीर असर देखने को मिल सकता है. जबकि जल प्रवाह में कमी से प्रांतों के बीच विवाद पैदा हो सकता है, जिससे 1991 के जल समझौते के तहत ऐतिहासिक तनाव फिर से दिख सकता है. बता दें तब पंजाब, सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान ने जल आवंटन समझौते पर साइन किए थे, लेकिन यह करार विवादों में फंसा रहा और जमकर विवाद हुआ था. 

निर्यात में रुकावट: भारत की ओर से होने वाली वाटर स्ट्राइक पाकिस्तान की जीडीपी, फॉरेक्स रिजर्व से लेकर Pakistani Currency तक पर अपना असर डालने वाली साबित हो सकती है. दरअसल, जल प्रवाह कम होने से बासमती चावल समेत कई कृषि निर्यात में कमी आ सकती है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ेगा और पाकिस्तानी रुपया कमजोर होगा.

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